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कौन है ईरान की रेड आर्मी BASIJ, जो हिजाब का विरोध कर रहीं महिलाओं की बन गई दुश्मन

BASIJ उन लोगों का समूह है, जो ईरान की सरकार के प्रति बफादार है और खुद को अर्धसैनिकबलों की तरह पेश करता है. ईरान में बासिज पिछले दो दशकों से सरकार के खिलाफ किसी भी असंतोष को खत्म करने में अहम भूमिका निभाता रहा है.

ईरान में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त रुख अपना रहा बासिज ( फोटो- रॉयटर्स) ईरान में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त रुख अपना रहा बासिज ( फोटो- रॉयटर्स)
aajtak.in
  • तेहरान,
  • 14 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 2:59 PM IST

22 साल की महसा अमिनी को ईरान में 13 सितंबर को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया जाता है, क्योंकि उसने ठीक से हिजाब नहीं पहना था. पुलिस की हिरासत में उसकी 16 सितंबर को मौत हो जाती है. महसा के परिजन पुलिस पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं. महसा अमिनी की मौत के बाद से पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन जारी हैं. दूसरी ओर ईरान के सुरक्षाबलों की ओर से प्रदर्शनकारियों पर सख्त रुख अपनाया जा रहा है. अब तक 200 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है. इन प्रदर्शनों के दौरान बंदूक और डंडे लिए वे बाइक सवार भी खूब चर्चा में हैं, जो लगातार महिलाओं की आवाज को दबाने की कोशिश में जुटे हैं. इन्हें BASIJ (बासिज) के तौर पर जाना जाता है. 

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क्या है BASIJ?

BASIJ उन लोगों का समूह है, जो ईरान की सरकार के प्रति बफादार है और खुद को अर्धसैनिकबलों की तरह पेश करता है. ईरान में बासिज पिछले दो दशकों से सरकार के खिलाफ किसी भी असंतोष को खत्म करने में अहम भूमिका निभाता रहा है. 
 
जब पूरे ईरान में महसा अमिनी की मौत को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, तब बासिज ने ही इन प्रदर्शनों को खत्म करने का जिम्मा उठाया है. ये हर शहर में तैनात हैं, प्रदर्शनकारियों पर हमला कर रहे हैं, उन्हें हिरासत में लेते हैं. यही वजह है कि महसा अमिनी की मौत को लेकर विरोध प्रदर्शनों में बासिज के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी हो रही है. 

फोटो क्रेडिट- AP

 
अयातुल्ला खुमैनी ने की BASIJ की स्थापना

1979 की इस्लामी क्रांति के तुरंत बाद अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने बासिज की स्थापना की थी. इसे खड़ा करने का मुख्य उद्देश्य ईरान को इस्लामीकृत करने और देश के भीतर के दुश्मनों का मुकाबला करना था. 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान, बासिज ने सद्दाम हुसैन की सेना के खिलाफ मोर्चा संभाला था. 

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धीरे धीरे बासिज ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के तहत आ गई. यह सुप्रीम नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के प्रति वफादार है. ईरान के सुप्रीम नेता भी इस्लामिक गणराज्य के स्तंभ के रूप में बासिज की तारीफ करते रहे हैं. बासिज ने देशभर में अपनी ब्रांच खोल रखी है. यहां तक कि उसका छात्र संगठन, व्यापार संघ और मेडिकल फेकल्टी हैं. हालांकि, अमेरिका ने इसके व्यापार संघ पर प्रतिबंध लगा रखा है. 

बासिज के पास 10 लाख सदस्य

बासिज में आर्म्ड ब्रिगेड, एंटी राइट फोर्स और जासूसों का एक बड़ा नेटवर्क शामिल है. बासिज के ईरान भर में करीब 10 लाख सदस्य हैं. जबकि बासिज सुरक्षाबल में भी हजारों लोग शामिल हैं. ये लोग बिना वर्दी के सामान्य नागरिकों की तरह रहते हैं. इन्हें सरकार अपना समर्थक मानती है. इनमें से ज्यादातर को सरकार की ओर से सैलरी भी मिलती है. विशेषज्ञों का कहना है कि बासिज में इसलिए लोग शामिल होते हैं, क्योंकि उन्हें आर्थिक अवसर मिलते हैं, साथ ही यूनिवर्सिटी में एडमिशन और सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार भी आसानी से मिल जाता है. 

कैसे होती है इस सेना में भर्ती ?

बासिज में शामिल होने के लिए कड़ी ट्रैनिंग होती है. 45 दिन तक चलने वाली इस ट्रेनिंग में सैन्य और वैचारिक ट्रेनिंग दी जाती है. उन्हें सिखाया जाता है कि इस्लामी क्रांति अन्याय के खिलाफ एक ईश्वरीय संघर्ष है, जिसे असंख्य दुश्मनों से खतरा है. इस ट्रेनिंग को पूरा करने के बाद ही बासिज में कोई शामिल हो पाता है. 

 

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