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ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल पहले प्रदर्शनकारी को दी गई फांसी

मोहसेन पर 25 सिंतबर को तेहरान में सत्तार खान बुलेवार्ड सड़क को अवरुद्ध करने और एक सुरक्षाकर्मी को घायल करने का दोषी पाया गया था. ईरान के शरिया कानून के तहत उन्हें भगवान के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी ठहराया गया था. उन्होंने इसके फैसले के खिलाफ अपील की. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को इस फैसले को बरकरार रखा. 

मोहसेन शेखरी मोहसेन शेखरी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:16 AM IST

ईरान में 22 साल की महसा अमीनी की मौत के बाद से हो रहे देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच गुरुवार को एक प्रदर्शनकारी को फांसी दी गई. जिस प्रदर्शनकारी को फांसी की सजा दी गई है, उसकी पहचान मोहसिन शेकारी के रूप में की गई है. ईरान विरोध प्रदर्शनों से जुड़ा मृत्युदंड का यह पहला मामला है. 

मोहसिन पर 25 सिंतबर को तेहरान में सत्तार खान बुलेवार्ड सड़क को अवरुद्ध करने और एक सुरक्षाकर्मी को घायल करने का दोषी पाया गया था. ईरान के शरिया कानून के तहत उन्हें अल्लाह के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी ठहराया गया था. उन्होंने इसके फैसले के खिलाफ अपील की. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को इस फैसले को बरकरार रखा. 

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मोहसिन शेकारी को मिली मौत की सजा पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बयान जारी कर कहा है कि सरकार विरोधी प्रदर्शनों को कुचलने के लिए प्रदर्शनकारी को मौत की सजा दी गई है. 

अमेरिका ने जताई आपत्ति

ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच एक प्रदर्शनकारी को मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने पर अमेरिका ने आपत्ति जताई है. अमेरिका ने कहा है कि इससे देश में हालात और खराब होंगे. 

अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, मोहसिन शेकारी को मृत्युदंड देना असहमति की आवाज को दबाने का ईरान सरकार का प्रयास है. सरकार इसके जरिए विरोध प्रदर्शनों को कुचलना चाहती है. 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने ट्वीट कर कहा कि मोहसिन शेकारी को गलत तरीके से क्रूर सजा देना ईरान के बहादुर लोगों को डराने का घटिया प्रयास है. हमारी संवेदनाएं मोहसिन के परिवार के साथ है. हम इस जघन्य अपराध के लिए ईरान की सरकार को कटघरे में खड़ा करेंगे. 

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ईरान में और प्रदर्शनकारियों के मृत्युदंड की आशंका

महसा अमीनी की मौत के बाद से हिजाब और सरकार का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने सरकार की चूल्हें हिला दी हैं. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि और भी प्रदर्शनकारियों को मौत की सजा सुनाई जा सकती है. इन प्रदर्शनों से डरी सरकार किसी भी कीमत पर इन प्रदर्शनों को कुचलना चाहती है. ऐसे में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि ऐसे 21 और प्रदर्शनकारी मृत्युदंड मिलने की कतार में खड़े हैं. 

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बयान में कहा कि ईरान सरकार को तुरंत भाव से मृत्युदंड की सभी सजाओं को रद्द कर देना चाहिए. और देश में हो रहे प्रदर्शनों से गिरफ्तार किए गए लोगों से सभी आरोप हटा देने चाहिए. 

जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने भी शेकारी को मृत्युदंड दिए जाने के बाद कहा कि मौत की सजा के खतरे से आजादी की चाह कम नहीं होगी. 

बता दें कि 22 साल की ईरानी लड़की महसा अमीनी को ठीक तरह से हिजाब न पहनने की वजह से मॉरैलिटी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस कस्टडी में महसा अमीनी की मौत हो गई. मॉरैलिटी पुलिस पर अमीनी की मौत का आरोप लगाया गया. इसके बाद देशभर में सरकार और हिजाब के विरोध में प्रदर्शन होने लगे. इन प्रदर्शनों में छात्र बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. 

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