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सर्वोच्च लीडर की सहमति के बिना अहम सुधार नहीं ला सकेंगे ईरान के नए राष्ट्रपति, जानिए क्या है वजह

इस्लामी गणराज्य ईरान में राष्ट्रपति का पद शीर्ष पद जरूर है लेकिन यह सबसे शक्तिशाली पद नहीं है. देश का सबसे शक्तिशाली पद यहां के सर्वोच्च नेता के लिए रिजर्व है.

मसूद पेजेश्कियान ईरान के नए राष्ट्रपति बन गए हैं (फाइल फोटो) मसूद पेजेश्कियान ईरान के नए राष्ट्रपति बन गए हैं (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 4:27 PM IST

ईरान (Iran) के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति, उदारवादी मसूद पेजेशकियन (Masoud Pezeshkian) ईरानी शासन में ज्यादा ताकतों, विशेष रूप से सर्वोच्च नेता की सहमति के बिना अहम सुधार लाने में असमर्थ होंगे. एजेंसी के मुताबिक, यह जानकारी देश के एक एक्सपर्ट ने शनिवार (06 जुलाई) को दी. चार उम्मीदवारों में से सिर्फ एक उदारवादी कैंडिडेट पेजेशकियन ने शुक्रवार को पूर्व परमाणु वार्ताकार सईद जलीली के खिलाफ राष्ट्रपति पद के लिए हुए दूसरे चरण के चुनाव में जीत हासिल की.

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मसूद पेजेशकियन, पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की जगह लेंगे, जिनकी मई में हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई थी.

मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के Alex Vatanka ने कहा, "पेजेशकियन को चुनाव लड़ने और जीतने की अनुमति दी गई. यह इस बात की तरफ इशारा है कि ईरान के कट्टरपंथी, परिवर्तन के लिए जनता के दबाव से चिंतित हैं और 85 वर्षीय सर्वोच्च नेता अली खामेनेई द्वारा संभावित उत्तराधिकारी के लिए जमीन तैयार करने के दौरान अस्थिरता को रोकना चाहते हैं."

एलेक्स वतांका ने कहा कि पेजेशकियन हमेशा खामेनेई के पीछे दूसरे स्थान पर रहेंगे और उनका समर्थन करने वाले ईरानियों की अपेक्षाओं को कम करने में सावधानी बरतते रहे हैं. वाटंका ने कहा कि ईरान में यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि पेजेशकियन जैसे उदारवादी शख्स का चुनाव ईरान के परमाणु प्रोग्राम पर पश्चिम के साथ रुकी हुई बातचीत को फिर से शुरू करने और प्रतिबंधों को खत्म करने के संभावित तरीके के रूप में किया जा सकता है.

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सबसे ज्यादा शक्तिशाली नहीं है राष्ट्रपति पद

इस्लामी गणराज्य ईरान में राष्ट्रपति का पद शीर्ष पद जरूर है लेकिन यह सबसे शक्तिशाली पद नहीं है. देश का सबसे शक्तिशाली पद यहां के सर्वोच्च नेता के लिए रिजर्व है. हालांकि, ईरान में राष्ट्रपति का पद कुछ अहम अधिकार जरूर रखता है. इसके अलावा ईरान की सत्ता में कई अन्य खिलाड़ी भी हैं, जिनका प्रभाव अलग-अलग मामलों में देखा जा सकता है. इन सबकी भूमिकाओं को समझने के बाद ईरान में सत्ता की चाबी किसके पास है और इसपर किसकी पकड़ कितनी मजबूत है, इसे लेकर एक साफ तस्वीर मिल सकती है. 

ईरान के राष्ट्रपति vs सर्वोच्च नेता (Supreme Leader)

ईरान की एक तरह से दोहरी शासन व्यवस्था है जिसमें धर्म और गणतंत्र दोनों शामिल हैं. ईरानी शासन वय्वस्था के तहत ईरान के राष्ट्रपति परमाणु कार्यक्रम या फिर मध्य पूर्व में मिलिशिया समूहों के समर्थन सहित किसी भी बड़े मुद्दे पर कोई बड़ा नीतिगत बदलाव नहीं कर सकते हैं. हालांकि, ईरान के राष्ट्रपति कानून या किसी नीति की कठोरता या फिर इसके लागू होने के तौर-तरीकों को जरूर प्रभावित कर सकते हैं. इसके अलावा ईरान के राष्ट्रपति सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई (85 वर्षीय) के उत्तराधिकारी के चयन में शामिल होंगे जिसमें उनकी भूमिका काफी अहम हो सकती है.  

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यह भी पढ़ें: राष्ट्रपति तो बन गए मसूद पेजेश्कियान, लेकिन क्या ईरान में ला पाएंगे बदलाव... जानिए देश में चलती किसकी है?

ईरान में सरकार से जुड़े सभी शीर्ष मामलों में देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ही फैसले लेते हैं. ईरान के सर्वोच्च नेता (Supreme Leader) अयातुल्ला अली खामेनेई को अक्सर देश के पहले सुप्रीम नेता नेता और अपने पूर्ववर्ती अयातोल्ला रुहोल्ला खुमैनी की तस्वीर के नीचे बैठा देखा जा सकता है. ईरान के सर्वोच्च नेता के काफी अधिक शक्ति है लेकिन यह असीमित नहीं है. बड़े फैसले लेने से पहले  सर्वोच्च नेता रिवोल्यूशनरी गार्ड और देश के अन्य प्रभावशाली ग्रुप से सलाह लेते हैं. 

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