
दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको के दो तेल संयंत्रों पर ड्रोन हमले के बाद खाड़ी क्षेत्र समेत वैश्विक स्तर पर जबर्दस्त तनाव बना हुआ है. अमेरिका ने इस हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया तो ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इसे सऊदी अरब को चेतावनी देते हुए कहा कि अरामको के तेल संयंत्रों पर हुए हमले को सऊदी अरब को यमन युद्ध समाप्त करने की चेतावनी के रूप में देखना चाहिए.
सऊदी अरब के पेट्रोलियम कंपनी अरामको के तेल संयंत्रों पर हुए हमले की जिम्मेदारी यमन के हौती विद्रोहियों ने ली थी. अब ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इस मामले में सऊदी अरब को चेतावनी देते हुए कहा कि अरमाको के तेल संयंत्रों पर हुए हमले को सऊदी अरब को यमन युद्ध समाप्त करने की चेतावनी के रूप में देखना चाहिए.
रोकना पड़ा उत्पादन
यमन के ईरान समर्थित विद्रोही समूह हौती ने शनिवार को सऊदी अरब के अबकैक संयंत्र और हिजरा खुरैस तेल क्षेत्र पर ड्रोन से बमबारी की, जिस कारण वहां की सरकारी तेल कंपनी सऊदी अरामको को भारी नुकसान हुआ था. इसकी वजह से रोजाना 5.6 लाख बैरल (वैश्विक तेल आपूर्ति का 6 फीसदी) का उत्पादन रोकना पड़ गया था.
सऊदी अरब के कच्चे तेल के उत्पादन में यह अब तक की सबसे बड़ी बाधा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक है और दुनिया की 10 फीसदी तेल की आपूर्ति करता है. विश्लेषकों का मानना है कि अगर सऊदी संकट की वजह से तेल की कीमतें बढ़ीं और लंबे समय तक ऊंची कीमत बनी रही तो भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ेगा, क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 83 फीसदी तेल का आयात करता है.
दूसरी ओर, सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अजीज बिन सलमान ने कहा कि इस हमले के दो दिन के अंदर आधे प्लांट से उत्पादन शुरू कर दिया गया है.