
ईरान में चल रहा शांतिपूर्ण प्रर्दशन अब हिंसक बन चुका है. प्रदर्शन सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ है. जिसमें अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है. देश में बेरोजगारी और महंगाई भी लगातार बढ़ती जा रही है. इन सब चीजों में सरकार की नाकामी से लोगों में बहुत नाराजगी दिख रही है.
ईरान में फैली इस आग में अब अमेरिका भी हाथ सेकने लगा है. ईरान मामलों में दखल देना हमेशा से अमेरिका की पुरानी ख्वाहिश रही है. यहां सत्ता परिवर्तन को लेकर अमेरिका में हमेशा से दीवानगी देखी गई है. अमेरिका ने उस पर कई तरह की पाबंदियां लगा रखी हैं, अब उसके लिए यह प्रदर्शन एक मौका के रूप में दिख रहा है.
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नॉर्ट ने कहा, ‘‘हम ईरानी लोगों की इन तर्कसंगत आकांक्षाओं का समर्थन करते हैं और सरकार से उनके विचारों और सूचनाओं के स्वतंत्र आदान-प्रदान करने की अनुमति देने का आग्रह करते हैं. इस प्रदर्शन के चलते ईरान में हुई मौत और प्रदर्शनकारियों को जेल में डाले जाने की निंदा करते हैं."
बता दें कि इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी ट्वीट कर ईरानी प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया था. उन्होंने सैकड़ों गिरफ्तारियों की आलोचना भी की थी. अमेरिकी उप- राष्ट्रपति माइक पेन्स ने भी वॉइस ऑफ अमेरिका में एक साक्षात्कार में कहा कि इस बार अमेरिका ईरानी प्रदर्शनकारियों पर हुई कार्रवाई को लेकर एक मूक दर्शक बनकर नही रहेगा.
आपको बता दें कि ईरान का यह प्रदर्शन अर्थव्यवस्था की समस्या से जुड़ा हुआ है और लोग सत्ता में परिवर्तन की मांग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी अब ईरान के प्रमुख धार्मिक नेता खमेनई का भी विरोध करते दिख रहे हैं. जिन एक दर्जन शहरों में विरोध-प्रदर्शन हो रहा है, उनकी पहचान धार्मिक शहर के तौर पर है. कुछ जगहों पर महिलाएं अपने हिजाब को फेंकते हुए प्रदर्शन कर रही हैं. उनकी मांग है कि देश में कट्टर इस्लामिक ड्रेस कोड को खत्म किया जाए. ईरानी महिलाओं की मांग है कि उन्हें एक समान अधिकार चाहिए.
हालांकि, सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते कई वीडियो सोशल मीडिया में चल रहे हैं. सरकार ने वहां पर इंस्टाग्राम और टेलीग्राम जैसी लोकप्रिय सोशल मीडिया साइटों पर रोक लगा दिया है.
रूस ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ईरान में जारी प्रदर्शन उनका अंदरुनी मामला है, और बाहरी हस्तक्षेप सही नहीं है. अमेरिका में एक पक्ष इसे बड़े मौके के रूप में ले रहा है और अपने सरकार पर दबाव बनाने लगा है कि वह इसे मौके के रूप में ले.