
ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामेनेई ने हाल ही में अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील पर किसी भी तरह की बातचतीत के प्रस्ताव को खारिज कर दी है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भेजी गई चिट्ठी के जवाब में उन्होंने उनसे बातचीत करने से इनकार कर दिया है. ट्रंप ने पिछले सप्ताह ऐलान किया था कि उन्होंने खामेनेई को एक चिट्ठी भेजकर न्यूक्लियर डील का प्रस्ताव दिया है.
डोनाल्ड ट्रंप ने साथ ही चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि ईरान को या तो सैन्य बल से या फिर एक समझौते के माध्यम से ही संभाला जा सकता है. यह चिट्ठी बुधवार को ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची को संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के सलाहकार अनवर गर्गाश ने सौंपा था. खामेनेई ने कुछ विश्वविद्यालय के छात्रों से बातचीत करते हुए ट्रंप की वार्ता की पेशकश को "धोखाधड़ी" करार दिया.
ट्रंप प्रशासन से वार्ता मतलब देश पर और दबाव!
ईरान की सरकारी मीडिया के मुताबिक खामेनेई ने कहा, "जब हमें पता है कि वे इसका सम्मान नहीं करेंगे, तो वार्ता करने का क्या मतलब है?" खामेनेई ने कहा कि ट्रंप प्रशासन से वार्ता करने का मतलब होगा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों को और सख्त करना और देश पर दबाव बढ़ाना.
ट्रंप ने 2018 में ईरान पर की थी कार्रवाई
2018 में, ट्रंप ने विश्व शक्तियों के साथ तेहरान के 2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका को वापस ले लिया था और प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया था, जिससे ईरान की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा. खामेनेई ने स्पष्ट किया कि ईरान किसी भी तरह के धमकी के तहत वार्ता में शामिल नहीं होगा.
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ईरान के लिए बातचीत का दरवाजा खुला है- ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि उन्होंने तेहरान के साथ एक परमाणु समझौते के लिए दरवाजा खुला रखा है, उन्होंने अपने राष्ट्रपति पद के पहले कार्यकाल में अपनाए गए "प्रेशर" कैंपेन को फिर से शुरू कर दिया है, जिसका उद्देश्य ईरान को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग करना और इसके तेल निर्यात पर लगाम लगाए रखना है, ताकि तेल मार्केट में उसके मीडिल ईस्ट पार्टर और खुद का दबदबा कायम रहे.