
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने शनिवार (8 मार्च) को अमेरिका पर 'धमकाने' की नीति अपनाने का आरोप लगाया. यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के एक दिन बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता को पत्र भेजकर परमाणु समझौते पर बातचीत की पेशकश की है.
तेहरान में एक भाषण के दौरान खामेनेई ने कहा कि वॉशिंगटन का वार्ता प्रस्ताव समस्या का समाधान करने के लिए नहीं, बल्कि 'हक' जमाने के लिए है. हालांकि ट्रंप ने ईरान के साथ समझौते की इच्छा जताई है, लेकिन उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान लागू की गई 'अधिकतम दबाव' नीति को फिर से बहाल कर दिया है.
ट्रंप ने तोड़ दी थी ईरान के साथ न्यूक्लियर डील
ट्रंप की इस नीति का उद्देश्य ईरान को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग-थलग करना और उसके तेल निर्यात को शून्य तक पहुंचाना है. 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति रहते हुए ट्रंप ने ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था.
इस समझौते के तहत ईरान की परमाणु गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए थे और इसके बदले में उसे प्रतिबंधों से राहत दी गई थी. 2018 में इस समझौते से अमेरिका के बाहर निकलने और दोबारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, ईरान ने समझौते की सीमाओं को तोड़ते हुए अपनी परमाणु गतिविधियों को काफी बढ़ा दिया.
UN ने दी चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी के प्रमुख राफेल ग्रोसी ने चेतावनी दी है कि ईरान की परमाणु गतिविधियों पर नए प्रतिबंध लगाने के लिए कूटनीति के पास समय कम बचा है, क्योंकि तेहरान हथियार-ग्रेड स्तर तक यूरेनियम संवर्धन की गति को तेज कर रहा है. हालांकि, ईरान का दावा है कि उसकी परमाणु गतिविधियां पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हैं.