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परमाणु बम को लेकर सुप्रीम लीडर खामेनेई का फतवा रद्द क्यों कराना चाहते हैं ईरानी कमांडर?

ईरान के सुप्रीम लीडर ने 2003 में एक फतवा जारी किया था. उन्होंने कहा था कि परमाणु हथियार बनाना और उसका इस्तेमाल इस्लामिक सिद्धांतों के विपरित है. हालांकि, अब ईरान के वरिष्ठ कमांडरों ने उनसे आग्रह किया है कि वो अपना ये फतवा वापस ले लें.

ईरान के सुप्रीम लीडर ने दशकों पहले परमाणु हथियार बनाने के खिलाफ फतवा जारी किया था (Photo- Reuters) ईरान के सुप्रीम लीडर ने दशकों पहले परमाणु हथियार बनाने के खिलाफ फतवा जारी किया था (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST

ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के वरिष्ठ कमांडरों ने सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई से आग्रह किया है कि वो अपना फतवा वापस ले लें जिसमें परमाणु हथियारों के विकास और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है. कमांडरों ने कहा कि अमेरिका और पश्चिमी विरोधियों की तरफ से दबाव बढ़ता जा रहा है, ऐसे में ईरान के लिए परमाणु बम रखना जरूरी है.

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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद से ही ईरान की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है. ट्रंप ने आते ही ईरान को और अधिक प्रतिबंधों की धमकी दी. शनिवार को उन्होंने धमकी के अंदाज में कहा कि वो ईरान पर बम बरसाने के बजाए उसके साथ फिर से परमाणु समझौता करना पसंद करेंगे. हालांकि, ईरान से साफ कर दिया है कि वो परमाणु समझौता कुछ शर्तों पर ही करेगा.

ईरान के सुप्रीम लीडर ने कब जारी किया था परमाणु हथियार के खिलाफ फतवा?

अयातुल्ला अली खामेनेई ने परमाणु हथियारों के खिलाफ 1990 के दशक में फतवा जारी किया था और 2003 में सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा की गई थी. फतवे में साफ कहा गया कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बनाएगा, उनका भंडारण और इस्तेमाल नहीं करेगा. इसे इस्लामी सिद्धांतों के विपरित बताया गया था. खामेनेई का यह फरमान परमाणु हथियारों पर ईरान के आधिकारिक रुख की आधारशिला रहा है.

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हालांकि, समाचार एजेंसी एपी के अनुसार, राजधानी तेहरान के पास ईरान के सैन्य ठिकानों पर इजरायल के हवाई हमलों और अमेरिका की धमकियों को देखते हुए देश की सुरक्षा को लेकर घरेलू बहस तेज हो गई है. ईरान के मिसाइल उत्पादन और परमाणु अनुसंधान से जुड़े पुराने स्थलों को निशाना बनाकर किए गए हमलों ने देश के रक्षा बुनियादी ढांचे में कमजोरियों को उजागर किया है.

इसे देखते हुए आईआरजीसी के कमांडर चिंता जता रहे हैं कि अगर ईरान फतवा का पालन करता रहा तो उसके अस्तित्व पर खतरा पैदा हो जाएगा और युद्ध के वक्त वो खुद को बचा नहीं पाएगा. उनका कहना है कि अगर ईरान के पास परमाणु हथियार रहा तो यह दुश्मनों के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार की तरह काम करेगा.

अमेरिका-ईरान परमाणु समझौता टूटने के बढ़ा तनाव

अमेरिका और ईरान के बीच 2015 में परमाणु समझौता हुआ था लेकिन 2018 में अमेरिका ने इस समझौते से अपना हाथ खींच लिया था. इस वजह से ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध फिर से लागू हो गए और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की पूरी कोशिश की गई. इन सबके बीच भी खामेनेई अमेरिका के साथ बातचीत को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि अमेरिका से बातचीत ईरान की नासमझी होगी और यह देश का अपमान होगा.

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ईरान के सर्वोच्च नेता इसलिए भी परमाणु हथियारों के खिलाफ रहे हैं क्योंकि वो नहीं चाहते कि ईरान पर और अधिक प्रतिबंध लगे और ईरान को अलग-थलग किया जाए.

अगर खामेनेई अपने फतवे पर पुनर्विचार करते हैं तो यह ईरान की रक्षा नीति में बड़े बदलाव का संकेत हो सकता है. अगर ईरान परमाणु हथियार बनाने की तरफ बढ़ता है तो इजरायल, अमेरिका जैसे देशों से उसका तनाव और बढ़ सकता है.

यूरेनियम संवर्धन में बहुत आगे जा चुका है ईरान

इसी साल जनवरी में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन को हथियार ग्रेड तक समृद्ध करने के लिए बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. नवंबर 2024 की IAEA रिपोर्ट के अनुसार, ईरान का कुल समृद्ध यूरेनियम भंडार 6,604 किलोग्राम था, जिसमें से ईरान के पास अनुमानतः 182.3 किलोग्राम यूरेनियम 60 प्रतिशत शुद्धता तक संवर्धित था.

IAEA की परिभाषा के अनुसार, 60 प्रतिशत तक संवर्धित लगभग 42 किलोग्राम यूरेनियम एक परमाणु बम के लिए पर्याप्त है. परमाणु बम बनाने के लिए यूरेनियम का 90 प्रतिशत से अधिक संवर्धित होना जरूरी है और ईरान इस दिशा में काफी आगे बढ़ रहा है. ईरान के पास पहले से ही चार परमाणु बम बनाने के लिए जरूरी संवर्धित यूरेनियम है.

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दिसंबर 2024 की IAEA की एक अन्य रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि ईरान 60 प्रतिशत अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम बनाने की आड़ में हथियार-ग्रेड यूरेनियम बनाने की क्षमता स्थापित कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया कि ईरान संभवतः अपने मौजूदा स्टॉक का उपयोग किए बिना भी हथियार-ग्रेड यूरेनियम का उत्पादन कर सकता है.

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