
दो दिन पहले अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए आतंकी हमले में बड़ी जानकारी सामने आई है. हमले के पीछे पैगंबर मोहम्मद के अपमान का जवाब देने का दावा किया गया है. इस्लामिक स्टेट आतंकवादी ग्रुप से संबद्ध इस्लामिक स्टेट - खुरासान प्रांत (ISKP) ने एक बयान में कहा है कि इस हमले का नेतृत्व इंघिमासी अबू मोहम्मद अल-ताजिकी आतंकी ग्रुप ने किया था. हमलावर 4 IED और एक कार बम लेकर आए थे.
ISKP का दावा है कि गुरुद्वारे में हमलावर तालिबान सैनिकों के साथ 3 घंटे तक लड़े. जिसमें मरने वाले और घायलों की संख्या 50 है. ISKP का दावा है कि ये आतंकी हमला भारत में नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिए विवादित बयान की वजह से किया गया है. ISKP ने टेलीग्राम चैनल पर यह दावा किया है.
पैगंबर के अपमान पर प्रतिक्रिया था हमला
आतंकी संगठन ने टेलीग्राम चैनल पर लिखा है कि ये हमला पैगंबर मोहम्मद के अपमान पर प्रतिक्रिया थी. आतंकी समूह ने कहा कि उसके एक लड़ाके ने गार्ड की हत्या करने के बाद काबुल में "हिंदू और सिख के पवित्र मंदिर में प्रवेश किया और मशीन गन और हथगोले से गोलियां चलाईं. इससे पहले ISKP ने एक वीडियो संदेश में कहा कि दो पूर्व बीजेपी पदाधिकारियों ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी की थी. इसके लिए हिंदुओं के खिलाफ हमले की चेतावनी दी थी. इस बीच, काबुल में गुरुद्वारे पर हुए हमले की अफगान नेताओं और संयुक्त राष्ट्र ने कड़ी आलोचना की. अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने हमले की निंदा की और इसे 'आतंकवादी घटना' कहा. अफगान उच्च परिषद राष्ट्रीय सुलह के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी हमले की निंदा की.
इससे पहले ISKP ने एक वीडियो जारी कर हिंदुओं और सिखों पर हमले की चेतावनी दी थी. बताते चलें कि ये संगठन पहले अफगानिस्तान की कई मस्जिद और अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है. पिछले साल अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद से ये आतंकी संगठन देश में कई हमले कर चुका है.
तीन हमलावर मार गिराने का दावा
बता दें कि शनिवार को काबुल के पार्ते परवान के एक गुरुद्वारे में कई ब्लास्ट किए गए. हमले में एक सिख नागरिक और मुस्लिम सुरक्षा गार्ड की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए थे. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अफगान सुरक्षाकर्मियों ने विस्फोटक लदे एक वाहन को गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोक दिया था, जिससे एक बड़ी घटना टल गई थी. मीडिया रिपोटर्स के मुताबिक, तालिबान सुरक्षाबलों ने गुरुद्वारे के तीन हमलावरों को मौके पर ढेर कर दिया था. यहां आतंकवादियों और तालिबान के सैनिकों के बीच कई घंटे तक मुठभेड़ चली थी.
गुरुद्वारा पर आतंकियों पहले फेंका हैंड ग्रेनेड
अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के मुताबिक गुरुद्वारा पर आतंकियों ने सबसे पहले हैंड ग्रेनेड फेंका. इससे गुरुद्वारा के गेट के पास आग लग गई. काबुल पुलिस प्रमुख के प्रवक्ता खालिद जादरान ने सभी आतंकियों के मारे जाने और ऑपरेशन समाप्त हो जाने की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि कई घंटे तक चला ऑपरेशन अंतिम आतंकी के मारे जाने के साथ ही समाप्त हो गया है. उन्होंने दावा किया कि सुरक्षा बलों ने हमलावरों को कम समय में मार गिराया जिससे आम नागरिकों की जान जाने से रोका जा सके.
अफगानिस्तान में 700 से कम सिख और हिंदू परिवार
साल 2020 में अफगानिस्तान में हुए हमले के समय 700 से भी कम सिख और हिंदू परिवार थे. तब से अब तक, बड़ी संख्या में हिंदू और सिख धर्म के परिवारों ने देश छोड़ा है. हालांकि, काबुल, जलालाबाद और गजनी में अब भी कई सिख और हिंदू परिवार हैं जो आर्थिक मजबूरियों के कारण ये जोखिम नहीं लेना चाहते. गौरतलब है कि मार्च 2020 में भी आतंकियों ने काबुल के गुरुद्वारा हर राय साहिब पर हमला किया था जिसमें 25 लोग मारे गए थे और आठ घायल हो गए थे. शोर बाजार इलाके में हुए हमले की जिम्मेदारी भी तब इस्लामिक स्टेट ने ही ली थी. 2018 में एक आत्मघाती हमलावर ने पूर्वी शहर जलालाबाद में एक सभा पर हमला किया था.