
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने मंगलवार को तत्काल प्रभाव से महिलाओं के लिए निजी और सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में प्रवेश पर रोक लगा दी है. इस्लामिक देशों ने तालिबान के इस कदम की कड़ी आलोचना की है. सऊदी अरब, कतर और तुर्की ने तालिबान के इस कदम की निंदा करते हुए अफगान प्रशासन से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है.
अफगानिस्तान के उच्च शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जियाउल्लाह हाशमी ने सभी निजी और सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को एक पत्र जारी कर इस प्रतिबंध को जल्द से जल्द लागू करने और प्रतिबंध लगाने के बाद मंत्रालय को सूचित करने के लिए कहा था. जिसके बाद बुधवार को महिलाओं को विश्वविद्यालय से लौटा दिया गया.
इस्लामि क देशों ने क्या कहा
अफगानिस्तान के इस कदम पर तुर्की ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. तुर्की के राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने ट्वीट करते हुए लिखा, "तालिबान का यह कदम 'इस्लाम की भावना के खिलाफ' है और इसका धर्म में कोई स्थान नहीं है."
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को तालिबान के इस कदम पर आश्चर्य और खेद व्यक्त करते हुए इस कदम को वापस लेने के लिए कहा है. सऊदी अरब ने कहा है कि तालिबान का यह कदम सभी इस्लामिक देशों के लिए आश्चर्यजनक है.
इस्लामिक देश सऊदी अरब ने बयान जारी करते हुए कहा है कि यह प्रतिबंध अफगानिस्तान की महिलाओं के अधिकारों का हनन करता है. अफगानिस्तान की महिलाओं को भी शिक्षा का अधिकार है जो देश की सुरक्षा, स्थिरता, विकास और समृद्धि में अहम योगदान देती हैं.
संयुक्त राष्ट्र में संयुक्त अरब अमीरात के उप राजदूत अमीरा अल-हेफती ने मंगलवार को अफगानिस्तान पर एक सत्र के दौरान इस फैसले की कड़ी निंदा की.
अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के बाद से संयुक्त अरब आमीरात अफगानिस्तान के एक प्रमुख सहयोगी के रूप में उभरा है. यूएई का हक्कानी ग्रुप के साथ गहरा संबंध रहा है. हक्कानी ग्रुप को अफगानिस्तान में किंगमेकर के रूप में जाना जाता है.
कतर ने भी की आलोचना
तालिबान और अमेरिका के बीच समझौता बातचीत कराने में अहम भूमिका निभाने वाले देश कतर ने भी इस पर चिंता जताई है. कतर ने बयान जारी कर तालिबान के इस कदम पर "गहरी चिंता और निराशा" व्यक्त की है.
कतर के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि इस तरह के गलत कदम का अफगानिस्तान में मानवाधिकारों, विकास और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा.
कतर ने कहा है कि अन्य मुस्लिम देशों में महिलाएं को सभी अधिकार मिले हुए हैं, खास कर शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. इसलिए कतर अफगान सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आह्वान करता है. कतर ने तालिबान से कहा है कि महिलाओं को इस्लामिक शिक्षा के अनुरूप विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने पर लगे प्रतिबंध को हटा देना चाहिए.
सितंबर 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा करने के कुछ सप्ताह बाद ही तालिबान ने लड़कियों को हाई स्कूल की पढ़ाई फिर से शुरू करने पर रोक लगा दी थी. कतर ने पिछले साल भी इसे लेकर तालिबान की निंदा की थी.
अपने बच्चों को भेज रहे विदेश
रिपोर्ट्स के अनुसार, तालिबान ने अगस्त महीने में बड़ी संख्या में छात्राओं को कतर जाने वाली फ्लाइट में सवार होने से रोक दिया था. ये सभी छात्राएं अपनी पढ़ाई जारी रखने की मांग कर रही थीं.
वहीं, दूसरी तरफ तालिबान के कई नेताओं ने अपनी बेटियों को पढ़ने के लिए विदेशों में खासकर कतर के स्कूलों और विश्वविद्यालय में भेजा है. इसी कारण तालिबान पर अक्सर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगता रहा है.
गल्फ कोऑपरेशन ने भी निंदा की
गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के सहायक महासचिव अब्देल अजीज हमद अलुवैशेग ने गुरुवार को ट्वीट करते हुए लिखा है, "16 साल से अधिक उम्र की लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाना मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है." अजीज हमद ने कहा है कि तालिबान के इस कदम से देश की आधी आबादी गरीबी और ज्ञान के अभाव में जिंदगी काटने के लिए मजबूर हो सकती है. उन्होंने कहा कि तालिबान का यह निर्णय अफगानिस्तान के आर्थिक भविष्य को भी बर्बाद कर सकता है.