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तालिबान का दावा- UN की रिपोर्ट गलत, अफगानिस्तान में नहीं हैं अलकायदा आतंकी

अफगान तालिबान ने अपने एक दावे में कहा कि दाएश लड़ाकों के उत्तरी अफगानिस्तान में अपना ऑपरेशन चलाने की बात बिल्कुल बेबुनियाद है. जो भी दाएश लड़ाके बचे थे, उनके खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई हुई है और उन्हें भगा दिया गया है. वे सारे इलाके अब उनके नियंत्रण में हैं.

काबुल में सेना की पैट्रोलिंग (फाइल फोटो) काबुल में सेना की पैट्रोलिंग (फाइल फोटो)
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 3:11 PM IST

  • यूएन की एक रिपोर्ट में आतंकियों की मौजूदगी की बात
  • इस्लामिक स्टेट ऑफ अमीरात ने खारिज की रिपोर्ट

अफगान तालिबान (इस्लामिक स्टेट ऑफ अमीरात) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (यूएनएससी) की उस रिपोर्ट को खारिज किया है जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में सैकड़ों आतंकी अब भी मौजूद हैं. यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें अल कायदा और इस्लामिक स्टेट (ISIS) के आतंकवादी शामिल हैं. हालांकि तालिबान ने यूएन की इस रिपोर्ट को गलत बताया है और दावा किया है कि यह संख्या तथ्यों के आधार पर नहीं बताई गई है.

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तालिबान के प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद ने एक बयान में कहा कि 400-600 विदेशी अलकायदा आतंकियों की मौजूदगी की बात तथ्यों से परे है क्योंकि अमेरिकी घुसपैठ और यहां जंग छिड़ने के बाद विदेशी आतंकियों के टिके होने की संभावना काफी कम है. अरब की दुनिया में जब से बड़े बदलाव हुए हैं, तब से अल कायदा के मेंबर अपने ही देशों में सुरक्षित ठिकाना पाए हुए हैं. ऐसे आतंकियों ने अफगानिस्तान छोड़कर अपने-अपने देशों में शरण ले ली है.

अफगान तालिबान ने अपने एक दावे में कहा कि दाएश लड़ाकों के उत्तरी अफगानिस्तान में अपना ऑपरेशन चलाने की बात बिल्कुल बेबुनियाद है. जो भी दाएश लड़ाके बचे थे, उनके खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई हुई है और उन्हें भगा दिया गया है. वे सारे इलाके अब उनके नियंत्रण में हैं. तालिबान प्रवक्ता ने कहा, काबुल प्रशासन के इलाकों में दाएश लड़ाकों की मौजूदगी हो सकती है क्योंकि उन्होंने तालिबान के खिलाफ लड़ाई में काबुल प्रशासन का साथ दिया था. बाद में प्रशासन ने उन्हें गेस्ट हाउस में रहने की जगह दे दी.

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तालिबान ने इस दावे को भी गलत बताया कि उसके कुछ मेंबर नाराजगी में संगठन छोड़ चुके हैं और दाएश के साथ मिल गए हैं. तालिबान ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है और इस्लामिक अमीरात के नेतृत्व में कायदे-कानून के उल्लंघन की कोई शिकायत नहीं है. संगठन ने कहा कि यूएन को इस प्रकार की दुष्प्रचार वाली बात काबुल प्रशासन की इंटेलिजेंस यूनिट की ओर से दी जा रही है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि अमेरिका-तालिबान के बीच जारी शांति प्रयासों को खत्म किया जा सके. तालिबान ने कहा, अमेरिका के साथ शांति समझौते के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और अफगानिस्तान की धरती पर अमेरिका की सुरक्षा पर खतरा पैदा नहीं होने देंगे. किसी भी अन्य संगठनों को अफगानिस्तान की धरती पर न तो ट्रेनिंग कैंप चलाने की इजाजत होगी और न ही फंड उगाही की.

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