
लगभग दो महीने की चुप्पी के बाद गाजा में इजरायली तोपें फिर से गरज पड़ी हैं. रमजान के बीच इजरायल ने गाजा में तोपों का मुंह फिर से खोल दिया है. इजरायल के हमले में गाजा में भयंकर नुकसान हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार मरने वालों की संख्या 300 पार कर गई है. अलजजीरा के अनुसार इजरायली हमले में 342 फिलीस्तीनी मारे गए हैं.
मंगलवार को इजरायल ने पूरे गाजा में हमले किए. इनमें दक्षिणी गाजा में खान यूनुस और राफा, उत्तर में गाजा सिटी और सेंट्रल डाएर-अल-बालाह शामिल हैं.
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हमलों में मारे गए लोगों में से कई बच्चे थे.
59 दिन बाद सीजफायर खत्म
गाजा का प्रशासन संभाल रहे आतंकी संगठन हमास ने कहा है कि वह इजरायल के हमलों को 19 जनवरी को शुरू हुए युद्धविराम को एकतरफा रद्द करने के रूप में देखता है. इस तरह से 19 जनवरी से लेकर 17-18 मार्च यानी कि 59 दिनों बाद ये संघर्षविराम खत्म हो गया है.
हमास ने एक बयान में कहा, "नेतन्याहू और उनकी चरमपंथी सरकार युद्धविराम समझौते को खत्म करने का फैसला कर रही है, जिससे गाजा में बंधंकों का भविष्य अनिश्चित हो जाएगा."
हमास ने युद्ध विराम का उल्लंघन करने के लिए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को दोषी ठहराया, और उन पर सैन्य अभियान फिर से शुरू करके जानबूझकर बंधकों को खतरे में डालने का आरोप लगाया.
हमास के एक अधिकारी ने एक बयान में कहा, "युद्ध को फिर से शुरू करने का नेतन्याहू का फैसला कब्जे वाले कैदियों की बलि चढ़ाने के समान है,
और उन पर प्रभावी रूप से मौत की सजा थोपने का विकल्प है." उन्होंने आरोप लगाया कि इजरायली नेता घरेलू चुनौतियों से ध्यान हटाने के लिए संघर्ष को राजनीतिक "लाइफ लाइन" के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.
फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (PIJ) सशस्त्र समूह ने इजरायल पर "युद्धविराम तक पहुंचने के सभी प्रयासों को जानबूझकर विफल करने" का आरोप लगाया.
59 बंधकों की रिहाई बाकी
हमास ने कहा कि इजरायल ने युद्ध विराम समझौते को पलट दिया है, जिससे गाजा में अभी भी बंधक बनाए गए 59 लोगों का भविष्य अनिश्चित है.
इस बीच इजरायली सेना ने फिलिस्तिनियों को पूर्वी गाजा पट्टी खाली करने का आदेश दे दिया है.
इजरायली सेना ने दावा किया कि उसने दर्जनों लक्ष्यों को निशाना बनाया है. इजरायली आर्मी ने कहा कि हमले तब तक जारी रहेंगे जब तक आवश्यक होगा और हवाई हमलों से आगे भी जारी रहेंगे, जिससे यह संभावना बढ़ गई है कि इज़रायली जमीनी सैनिक लड़ाई फिर से शुरू कर सकते हैं.
बता दें कि इजरायल के 59 बंधक अभी भी हमास के कब्जे में हैं. इस सीजफायर के दौरान हमास ने 33 इजरायली बंधकों को रिहा किया. इसके एवज में इजरायल ने 2000 फिलीस्तीनी बंधकों को रिहा किया था. इसके बाद दोनों पक्ष आगे की बातचीत शुरू कर रहे थे.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने हमास पर "हमारे बंधकों को रिहा करने से बार-बार इनकार करने" और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यपूर्व दूत स्टीव विटकॉफ के प्रस्तावों को अस्वीकार करने का आरोप लगाया. बयान में कहा गया, "इजरायल अब से हमास के खिलाफ सैन्य ताकत बढ़ाकर कार्रवाई करेगा."
दोहा में कोशिशें जारी
बता दें कि इजरायल और हमास की वार्ता टीमें दोहा में थीं, जबकि मिस्र और कतर के मध्यस्थ संघर्ष विराम के प्रारंभिक चरण की समाप्ति के बाद दोनों पक्षों के बीच की खाई को पाटने का प्रयास कर रहे थे. इजरायल संघर्षविराम को आगे बढ़ाने के लिए बाकी 59 बंधकों की रिहाई की मांग कर रहा है. अगर ऐसा होता तो रमजान तक लड़ाई बंद रहती.
लेकिन हमास कथित तौर पर इस संघर्ष का स्थायी रूप से समाधान चाहता था. हमास की मंशा थी कि इजरायली सेना पूर्ण रूप से गाजा से बाहर निकले. इस मांग को लेकर हमास बंधकों को लौटाने में आना-कानी कर रहा था.
वाशिंगटन में, व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि इजरायल ने हमले करने से पहले अमेरिकी प्रशासन से परामर्श किया था, सेना ने कहा कि हमले में मध्यम स्तर के हमास कमांडरों और नेतृत्व अधिकारियों के साथ-साथ हमास के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ब्रायन ह्यूजेस ने कहा, "हमास युद्ध विराम को बढ़ाने के लिए बंधकों को रिहा कर सकता था, लेकिन इसके बजाय उसने इनकार और युद्ध का विकल्प चुना."