
ये जंग तो इजरायल-हमास के बीच तो शुरू हुई थी. लेकिन अब जब जंग के एक साल पूरे होने को हैं तो सबसे घातक प्रहार लेबनान का लड़ाका संगठन हिज्बुल्लाह झेल रहा है. इजरायल ने पिछले 10 दिनों में युद्ध का तापमान बढ़ा दिया है और इजरायल के तेवर हिज्बुल्लाह लड़ाकों पर भारी पड़ रहा है. हिज्बुल्लाह के साथ संघर्ष की गंभीरता की ओर इशारा करते हुए इजरायल के रक्षा मंत्री यॉव गैलेंट ने पिछले सप्ताह कहा था कि अब ग्रेविटी का केंद्र उत्तर की ओर बढ़ रहा है और इजरायल इसी तरफ अपने फोर्सेज, रिसोर्सेज और ऊर्जा को ले जा रहा है. लेबनान में हिज्बुल्लाह के लड़ाकों के खिलाफ शुरू किए गए इजरायल के ऑपरेशन नॉदर्न एरोज में अब तक 585 लेबनानियों की मौत हो चुकी है.
सवाल है कि ये लड़ाई तो लड़ाई इजरायल-हमास की थी. फिर इसमें हिज्बुल्लाह ने कैसे एंट्री ले ली? दरअसल इजरायल और हिज्बुल्लाह पुराने दुश्मन रहे हैं.
इतिहास में छिपे दुश्मनी के बीज
1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति ने शिया बहुल लेबनान में उथल-पुथल मचा दी. इस क्रांति से यहां का युवा वर्ग प्रभावित हुआ. कट्टरपंथियों के एक समूह ने इस क्रांति के बाद अमेरिका और इजरायल को दुश्मन समझना शुरू कर दिया. इस समूह को ईरान ने आर्थिक और सैन्य रूप से समर्थन दिया; दोनों एक समान विचारधारा और पश्चिम एशिया में शक्ति हासिल करने के लक्ष्य से जुड़े हुए थे.
ईरान और हिज्बुल्लाह दोनों के लिए ही यहूदी इजरायल साझा शत्रु था. इसके अलावा ईरान और हिज्बुल्लाह दोनों ही इजरायल के मददगार अमेरिका से दुश्मनी करते थे.
पश्चिम एशिया में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे इजरायल की सेना ने 1982 में लेबनान पर आक्रमण किया था. इजरायल का आरोप था कि लेबनान में फिलीस्तीन लिब्रेशन ऑर्गनाइजेशन के कार्यक्रम सक्रिय थे. इसी इजरायली आक्रमण का विरोध करने के लिए हिज्बुल्लाह का अस्तित्व में आया.
1985 में जारी एक "खुले पत्र" में, हिज्बुल्लाह ने अमेरिका को "बुराई की पहली जड़" कहा, और ईरान के पूर्व सुप्रीम लीडर खुमैनी के विचारों का समर्थन किया. खुमैनी ने बार-बार कहा है कि अमेरिका हमारी सभी मुश्किलों का कारण है और सभी दुर्भावनाओं का स्रोत है. इसे लड़कर हम केवल इस्लाम और हमारे राष्ट्र की गरिमा की रक्षा करने के अपने वैध अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं.
इस तरह से पश्चिम एशिया में अमेरिका की मौजूदगी और इजरायल को अमेरिका का समर्थन एक ऐसी वजह रही जिससे हिज्बुल्लाह इस यहूदी देश के खिलाफ हो गया.
इसके बाद हिज्बु्ल्लाह अमेरिका और इजरायल के ठिकानों पर हमला करता रहा, तो इजरायल भी हिज्बुल्लाह के खिलाफ कवर्ट और ओवर्ट ऑपरेशन जारी रखा.
1990 तक लेबनान की सीमाई इलाकों के बड़े भाग पर इजरायल का कब्जा था. 2006 में हिज्बुल्लाह ने सीमा पर मौजूद इजरायली सैनिकों पर चौकाने वाला आक्रमण किया और कई सैनिकों को मार डाला और कुछ किडनैप कर लिया. इजरायल ने इसका प्रतिकार करते हुए युद्ध की ही घोषणा कर दी. इस जंग के बाद हिज्बुल्लाह के चीफ नसरल्लाह को कहना पड़ा था कि अगर उसे पता होता कि इजरायल का बदला इतना बड़ा होगा तो शायद वो जंग छेड़ते ही नहीं.
1994 में, लंदन में इजरायल के दूतावास पर हुए कार बम हमले में एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में एक यहूदी समुदाय केंद्र पर हुए हमले में 85 लोग मारे गए. इन दोनों हमलों के लिए हिजबुल्लाह को जिम्मेदार ठहराया गया, हालांकि समूह ने इसमें शामिल होने से इनकार किया.
मौजूदा जंग में कैसे कूदा हिज्बुल्लाह
7 अक्टूबर 2023 को जब हमास ने इजरायल पर अपने अब तक के सबसे घातक हमले से दुनिया को चौका दिया तो हिज्बुल्लाह को यहां एक मौका नजर आया. हिजबुल्लाह के नेता नसरल्लाह ने नवंबर में हमास के नेताओं के साथ मुलाकात की ताकि इजरायल को निर्णायक तरीके से मात देने के लिए रणनीति बनाई जा सके. इसके बाद हिज्बुल्लाह इजरायल के बॉर्डर पर लगातार फायरिंग करती आ रही है.
इस फायरिंग की वजह से इजरायल और लेबनानी दोनों ओर से हजारों लोग विस्थापित हुए है. रिपोर्ट के अनुसार उत्तरी इज़रायल में लड़ाई के कारण 70,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं, जबकि लेबनान की ओर 110,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
12 बच्चों की मौत के बाद तिलमिलाया इजरायल
27 जुलाई को गोलान हाइट्स में रॉकेट हमले में 12 बच्चों और युवाओं की हत्या के बाद तनाव बढ़ गया. इजरायल ने कहा कि यह हमला हिज़्बुल्लाह ने किया था.
अब इजरायल के बदले की बारी थी. 30 जुलाई को, आईडीएफ ने घोषणा की कि उसने बेरूत के दक्षिणी इलाके में एक हवाई हमले में सीनियर हिज्बुल्लाह सैन्य कमांडर फुआद शुकर को मार गिराया है.
अगले दिन, ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हानियेह की हत्या कर दी गई.
25 अगस्त को इजरायली आर्मी ने जेट विमानों से हिज्बुल्लाह पर फिर से हमला किया. इजरायल का दावा था कि हिज्बुल्लाह फुआद शुकर की हत्या के प्रतिशोध में हमले की तैयारी कर रहा था.
इसके बाद दोनों पक्षों से रॉकेट लॉन्चर से हमले होते रहे. फिर 17 और 18 सितंबर को जब हिज्बुल्लाह के सदस्यों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पेजर और वॉकी-टॉकी में विस्फोट हुआ तो दुनिया हैरान रह गई.
हसन नसरल्लाह ने इन हमलों के लिए इजरायल को दोषी ठहराया और कहा कि उन्होंने सभी लाल रेखाएं पार कर दी हैं.
हिज्बुल्लाह को 20 सितंबर को तब तगड़ा झटका लगा जब इसकी मिलिट्री के 16 टॉप कमांडर इजरायली एयर स्ट्राइक में मारे गए. इनमें इब्राहिम अकील अहमद वहाबी जैसे बड़े नाम शामिल थे.
इसका बदला लेने के लिए हिज्बुल्लाह ने इजरायल पर लंबी दूरी की मिसाइलें फायर की.
हिज्बुल्लाह के खिलाफ कार्रवाई जारी रखते हुए इजरायली सेना ने मंगलवार दोपहर को बड़ा हमला किया और बेरूत में हिजबुल्लाह के रॉकेट विंग के चीफ इब्राहिम मुहम्मद कबीसी को मार गिराया.