Advertisement

अल अक्सा मस्जिद, बेंजामिन और चीन... इजरायल-हमास जंग का A टू Z, पढ़ें 26 किरदारों की पूरी कहानी

7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर महज 20 मिनट में 5 हजार रॉकेट दागे. जवाब में इजरायल ने भी हमास पर हमला बोल दिया. इस युद्ध में दोनों तरफ से हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. इस जंग में कुल 26 अहम कैरेक्टर हैं. जिनके इर्द-गिर्द युद्ध का पूरा तानाबाना बुना गया है.

इजरायल और हमास जंग में 26 अहम किरदार हैं इजरायल और हमास जंग में 26 अहम किरदार हैं
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 6:38 AM IST

इजरायल-हमास के बीच जंग 7 अक्टूबर से जारी है. पिछले 16 दिन से दोनों छोर से हमले किए जा रहे हैं. इस युद्ध में हजारों लोगों की जान जा चुकी हैं, सिर्फ गाजा में इजरायली हमलों में 14 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं. इस भीषण युद्ध का अंजाम क्या होगा, ये कहना फिलहाल मुश्किल है, क्योंकि इस जंग ने पूरी दुनिया को दो धड़ों में बांट दिया है. अमेरिका और रूस जैसी 2 महाशक्तियां भी अब आमने-सामने आ गई हैं, उधर, ईरान भी एक्टिव है. लेकिन इस जंग में 26 अहम किरदार हैं. 

Advertisement

Al-Aqsa की युद्ध में भूमिका

सबसे पहले समझिए A यानी अल अक्सा, जो कि दोनों के बीच टकराव का सेंटर बना हुआ है. इजरायल-हमास जंग के सेंटर में अल अक्सा का इलाका है, इस जंग की जड़ें सदियों पुरानी हैं. ईसाई, मुसलमान और यहूदी तीनों के लिए ये धर्म के लिहाज से बेहद अहम स्थान है. ईसाई मानते हैं कि इस जगह के पास ही ईसा मसीह का जन्म हुआ और येरूशलम में उन्हें सूली पर चढ़ाया गया.

मुसलमान के लिए मक्का-मदीना के बाद ये सबसे पवित्र स्थान है, जबकि यहूदियों का मानना है कि उनका धर्म यहीं से शुरू हुआ था. यहीं उनके टेंपल की दीवार है, जहां वह पूजा करते हैं. हमास ने इजरायल पर अपने ताजा अभियान को नाम दिया है- ऑपरेशन अल अक्सा स्टॉर्म. इसके साथ ही A यानी अरब देश जो कि इजरायल के दुश्मन हैं. अरब देशों ने फिलिस्तीन के हक में कई बार इजरायल से युद्ध किए हैं. मौजूदा जंग में कुल 22 में से अधिकतर अरब देश इजरायल के खिलाफ हैं. एक सवाल ये भी है कि मिस्र समेत कई अऱब देश फिलिस्तीन के समर्थन में खड़े हैं, लेकिन फिलिस्तीन के लोगों को अपने यहां शरण नहीं दे रहे हैं. 

Advertisement

Benjamin ने लिया हमास को खत्म करने का संकल्प

इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू कह चुके हैं कि हमास के अंत तक ये जंग नहीं रुकेगी. वह अपने जवानों के बीच जाकर उनकी हौसला अफजाई कर रहे हैं. नेतन्याहू इजरायल के सबसे लंबे कार्यकाल वाले पीएम हैं. 1996 से 1999 तक 2009 से 2021 तक और 2022 से वर्तमान में नेतन्याहू प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने कहा हमास के खात्मे तक लड़ेंगे, लेकिन इस लड़ाई की शुरुआत बाल्फोर घोषणा से हुई.  बाल्फोर घोषणा के तहत 1917 में ब्रिटेन के विदेश सचिव आर्थर बाल्फोर की ओर से ब्रिटिश यहूदी समुदाय के नेता लॉर्ड रोध्सचाइल्ड से वादा किया था. इसमें पहली बार फिलिस्तीन में यहूदियों के लिए नेशनल होम बनाने का वादा किया गया था. ये एक तरह का आदेश था. ये वादा 30 साल बाद यानी 1947-48 में इजरायल के गठन का आधार बना.

China ढूंढ रहा फायदे का मौका

7 अक्टूबर को जब हमास औऱ इजरायल के बीच जंग शुरू हुई तो C यानी चीन ने दोनों से इस मामले को शांति से निपटाने की बात कही, लेकिन अपनी आदत के मुताबिक चीन धीरे-धीरे अरब देशों से अपनी नजदीकी के मौके तलाशकर अपने फायदे के मौके ढूंढने लगा.

इजरायल को है Daef की तलाश

Advertisement

माना जा रहा है कि इजरायल पर अटैक का मास्टरमाइंड हमास की मिलिट्री विंग का चीफ कमांडर दाएफ है. दाएफ ने ही इस अभियान को ऑपरेशन अल अक्सा स्टॉर्म नाम दिया. दाएफ 2002 से मिलिट्री विंग का चीफ कमांडर है. इजरायल में कई बार यह आतंकी हमलों को अंजाम दे चुका है. इजरायल की हिट लिस्ट में मोहम्मद दाएफ का नाम सबसे ऊपर है.

Egypt पर चीन की नजर क्यों?

चीन हमास को लेकर बिल्कुल खामोश है, लेकिन इजिप्ट यानी मिस्र पर चीन की खास नजर है, इस वजह से इजिप्ट इस लड़ाई में चीन और अमेरिका दोनों के लिए अहम होता जा रहा है. इजिप्ट से ही गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए रास्ता खोला गया है. यूएन की रिपोर्ट के अनुसार मिस्र पहले ही शरणार्थी संकटों से जूझ रहा है. ऐसे में वह और शरणार्थी लेना नहीं चाहता. हाल ही में चीन ने मिस्र के साथ अपने संबंध भी मजबूत किए हैं.

Fatah से छीना हमास ने गाजा

F यानी फतह. हमास के अलावा फिलिस्तीन के राजनीतिक पार्टी फतह की भूमिका में धीरे-धीरे इजाफा हो रहा है. 1959 में फतह एक फिलिस्तीनी मुक्ति आंदोलन था. इसकी राजनीतिक शाखा का फिलिस्तीन पर शासन था. फतह का गठन फिलिस्तीन के तत्कालीन राष्ट्रपति यासीर अराफात ने किया था. 2006 में फतह की पार्टी को हराकर ही हमास ने गाजा पट्टी पर कब्जा किया. मौजूदा समय में फतह के अध्यक्ष फिलिस्तीन अथॉरिटी के अध्यक्ष महमूद अब्बास हैं. वह इजरायल के खिलाफ हैं. बता दें कि रामाल्लाह से वेस्ट बैंक के 40 फीसदी हिस्से पर फिलिस्तीन अथॉरिटी काबिज है.

Advertisement

Gaza है हमास का गढ़

ये इलाका कुल 365 वर्ग किलोमीटर का है. ये पश्चिम में भूमध्य सागर और उत्तर और पूर्व में इजरायल और दक्षिण में मिस्र के बीच फैला हुआ है. यहां 20 लाख के करीब फिलिस्तीन लोग रहते हैं. सात अक्टूबर को इजरायल पर गाजा से ही हजारों मिसाइलें दागी गई थीं. गाजा में हमास ने सुरंगों का जाल बिछाया हुआ है. इजरायल यहां अपने सैनिकों की एंट्री करवा सकता है.

Hamas और Hezbollah दे रहे इजरायल को चुनौती


हरकत अल मुकवामा अल इस्लामियत (हमास) एक उग्रवादी सुन्नी इस्लामी समूह है. ये फिलिस्तीन के दो प्रमुख राजनीतिक दलों में से भी एक है. फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन के खिलाफ हमास 1987 कट्टरपंथी विकल्प के तौर पर सामने आया. 2006 से गाजा पट्टी पर इसका ही शासन है. इसका प्रमुख इस्माइल कतर में रहता है. जंग में अबतक हमास के कई कमांडर ढेर हुए हैं.

वहीं हिजबुल्लाह लेबनान का एक शिया इस्लामी आतंकी संगठन और राजनीतिक दल भी है. ये लेबनानी  गृहयुद्ध 1976 से 1990 के दौरान उभरा था. हिज्बुल्लाह का इजरायल के साथ लंबा टकराव रहा है. हमास के हमले की बीच हिज्बुल्लाह ने उत्तरी मोर्चे से इजरायल पर रॉकेट दागे. इसके चलते ही लेबनान बॉर्डर पर तनाव के हालात बने हुए हैं. 

Advertisement

Iran: हमास और हिज्बुल्लाह का गॉडफादर

इजरायल के सबसे बड़े और ताकतवर दुश्मनों में ईरान सबसे आगे हैं. गाजा पर इजरायल की कार्रवाई के बाद ईरान ने दुनियाभर के मुस्लिम देशों से इजरायल के खिलाफ एकत्र होने का आह्वान किया. साथ ही इजरायल को धमकी भी दी कि अगर गाजा पर जमीनी हमला किया, तो वह भी जवाब देगा. अब इजरायल और ईरान के बीच भी तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं. नेतन्याहू ने कहा कि मेरा ईरान और हिज्बुल्लाह को संदेश है कि उत्तरी सीमा पर हमारा इम्तिहान न लें, जो गलती आपने कर दी, उसे दोबार मत दोहराना, क्योंकि इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. 

Jerusalem: 3 धर्मों की कहानी इजरायल की राजधानी

दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक जेरूशलम ईसाई, मुसलमानों और यहूदियों के लिए बेहद अहम हैं. इन तीनों धर्मों के लोग इस शहर को पवित्र शहर मानते हैं. फिलिस्तीन और इजरायल दोनों ही इसे अपनी राजधानी बताते हैं. 1947 में जब संयुक्त राष्ट्र की ओर से इजरायल और फिलिस्तीन के बी देशों का विभाजन हुआ, तब जेरूशलम पर दोनों का बराबर का अधिकार तय किया गया. लेकिन अब जेरूशलम पूरी तरह से इजरायल के प्रभाव में है.

Khan Younis: शरणार्थियों की पनाहगाह

गाजा पट्टी के दक्षिणी छोर पर बसा ये शहर इजरायल के गुस्से का प्रकोप झेल रहा है. क्योंकि इजरायली हमलों में खान यूनिस शहर तबाह हो चुका है. ये शहर बेहर घना माना जाता है. यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या है. इजरायल की नाकाबंदी के बाद खान यूनिस की हालत बदतर हो चुकी है. 

Advertisement

Lebanon: इजरायल के खिलाफ जंग का दूसरा मोर्चा

इजरायल के उत्तर में स्थित लेबनान एक पूर्व फ्रांसीसी क्षेत्र है. और अरब देशों का हिस्सा है. इजरायल के वजूद में आते ही अरब देशों ने हमला बोला था. इसमें लेबनान भी शामिल था. लेबनान से फिलिस्तीनी हमलों के जवाब में इजरायल ने 1985 से 2000 तक दक्षिणी लेबनान पर कब्जा किया. बाद में यूएन की तरफ से ट्रू बॉर्डर घोषित होने से कब्जा छोड़ दिया. अब मौजूदा दौर में यही लेबनान हिज्बुल्लाह का गढ़ बना हुआ है. लेबनानी संसद में हिज्बुल्लाह के 15 प्रतिनिधि है. 

Mossad: सबसे खतरनाक एजेंसी चूक गई

मोसाद इजरायल की खुफिया एजेंसी है, इसे दुनिया की सबसे शक्तिशाली एजेंसी माना जाता है. मोसाद की दम पर ही इजरायल ने दुनियाभर में अपने कई बड़े दुश्मनों को ठिकाने लगाया है. इस बार जब हमास ने बड़े पैमाने पर हमला किया तो ये भी सवाल उठा कि मोसाद को इस हमले की पहले से भनक कैसे नहीं लगी. 

Nakba है तबाही का दूसरा नाम

नकबा का अरबी में अर्थ होता है तबाही. इजरायल जब अस्तित्व में आय़ा तो फिलिस्तीनियों को अपने घर छोड़कर विस्थापित होना पड़ा. इसे फिलिस्तीनी बोलचाल में नकबा कहा गया. फिलिस्तीनी हर 15 मई को नकबा दिवस मनाते हैं. 14 मई 1948 को इजरायल का गठन हुआ था. 15 मई को हजारों फिलिस्तीनियों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा था. इस तारीख को मातम के रूप में मनाते हैं, जिसे नकबा कहा जाता है.

Advertisement

Occupied Territory: कब्जे वाले विवाद के पॉइंट्स

संयुक्त राष्ट्र ने वेस्ट बैंक और पूर्वी येरूशलम को ऑक्यूपाइड टेरिट्री यानी कब्जे वाले क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया है. 1967 के 6 दिन के युद्ध के बाद से ये इजरायल के सैन्य नियंत्रण में है. 

इजरायल की Palestine से पारंपरिक दुश्मनी

पहले विश्व युद्ध में ऑटोमन साम्राज्य के पतन होने के बाद ब्रिटिश शासनादेश के तहत फिलिस्तीन को 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने दो भागों में बांट दिया. इसके बाद इजरायल देश के तौर पर अस्तित्व में आया. आज फिलिस्तीन वेस्ट बैंग और गाजा पट्टी पर अपना दावा करता है, हालांकि फिलिस्तीनी सरकार का वेस्ट बैंक में केवल 40 फीसदी क्षेत्र पर कंट्रोल है, गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा है. 

Qatar की अहम भूमिका

जंग में हमास ने इजरायल के साथ-साथ वहां रहने वाले दूसरे देशों के लोगों को भी बंधक बना लिया था. हमास का कहना था कि बंधकों को तब ही छोड़ा जाएगा जब इजरायल उसपर हमले रोकेगा. लेकिन हाल ही में अमेरिका के दो नागरिकों को रिहा कर दिया. बताया गया कि इस रिहाई में कतर ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई. वहीं रूस ने भी मांग उठाई थी कि बंधकों की रिहाई तत्काल प्रभाव से होनी चाहिए. रूस इस युद्ध में इजरायल के खिलाफ खड़ा दिख रहा है. पुतिन ने साफ कहा है कि गाजा में इजरायल क्रूरता कर रहा है.

Russia किसके साथ है?

शीत युद्ध के दौरान इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष ने सोवियत संघ ने फिलिस्तीन औऱ अरब राज्यों के साथ गठबंधन किया था. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद नया देश रूस बना. लेकिन रूस का रुख आज भी वही है. रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने सीधे तौर पर इजरायल की निंदा की है. पुतिन ने कहा कि गाजा पट्टी में इजरायल हिंसा कर रहा है. 

युद्ध बढ़ा तो Settlers का क्या होगा?

इस युद्ध में Settlers (गाजा में रहने वाले यहूदी) भी परेशान हैं. ये वे लोग हैं जिनको इजरायल बनने के बाद गाजा और यरुशलम में बसाया गया. इनको बाहर के देशों से लाकर बसाया गया इसलिए इनको सेटलर्स कहते हैं. फिलिस्तीन में रहने वाले सेटलर्स के पास भी इजरायल का पासपोर्ट होता है. इस युद्ध में Saudi Arab की तरफ से भी बयानबाजी हो रही है. सऊदी अरब लगातार हमास और इजरायल को नसीहत देते हुए इस जंग को खत्म करने की बात बोल रहा है.

Tel Aviv: इजरायल की राजधानी क्या है?

इस जंग में Tel Aviv का नाम भी बार-बार आ रहा है. बाइडेन समेत दुनिया के कई राष्ट्रअध्यक्ष इजरायल की आर्थिक राजधानी तेल अवीव में जुट रहे हैं. कई आने वाले दिनों में वहां का दौरा करेंगे. ये दुनिया के सबसे महंगे शहरों में एक है. अमेरिका को छोड़कर ज्यादातर देशों का दूतावास भी यहीं स्थित है.

क्या U फैक्टर तक करेगा युद्ध की दिशा?

इस युद्ध में ट्रिपल U यानी यूएसए, यूएई और यूनिटी गवर्नमेंट के भी अहम किरदार हैं. यूएई के साथ इजरायल का समझौता है. वह पल-पल युद्ध पर अपना स्टैंड बदल रहा है. वहीं अमेरिका यानी यूएस मजबूती के साथ इजरायल को समर्थन कर रहा है. अमेरिका ने हमास के खिलाफ जंग में इजरायल को बहुत से हथियार भेजे हैं. हमास के खिलाफ इजरायल जिस मजबूती से लड़ पा रहा है, उसमें यूनिटी गवर्नमेंट का भी हाथ है. जंग में मजबूत रहने के लिए नेतन्याहू ने इसका गठन किया है, जिसमें दोनों विपक्षी दलों के नेताओं को भी शामिल किया गया है.

युद्ध में किसकी होगी Victory?


जंग को 16 दिन बीत चुके हैं, हजारों की मौत हो चुकी है लेकिन अबतक स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. दोनों तरफ से हमले जारी हैं. इजरायल इसमें हावी दिख रहा है लेकिन इस युद्ध का परिणाम निकालना आसान नहीं है. हमास औऱ इजरायली सेना दोनों एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं. भले ही नेतन्याहू की सेना के आगे हमास कमजोर हो, लेकिन वह भी लगातार रॉकेटों से हमले कर रहा है. उधर नेतन्याहू बोले चुके हैं कि जब तक हमास का खात्मा नहीं कर लेते, छोड़ेंगे नहीं. हम अपने दुश्मनों के अत्याचार कभी नहीं भूलेंगे. इजरायल का रक्षा बजट करीब 2.02 लाख करोड़ है, जबकि हमास को ईरान और कुछ मुस्लिम देशों के जरिए हथियार मिलते हैं. इजरायल के सैनिक 6.46 लाख है तो वहीं हमास के लड़ाके 30 हजार हैं. इजरायल के पास 601 सैन्य विमान है, लेकिन हमास के पास एक भी नहीं. इजरायल के पास मल्टीपल रॉकेट सिस्टम 300 हैं, वहीं हमास के पास इनकी संख्या 80 है. इजरायल की ताकत को देखकर कह जा सकता है कि जीत इजरायल की होगी.

किसके कब्जे और अधिकार में है West Bank?

संयुक्त राष्ट्र के 1947 में किए गए इजरायल-फिलिस्तीन बंटवारे के अनुसार अब वेस्ट बैंक ही फिलिस्तीन है. जो जॉर्डन नदी के पश्चिम में स्थित है. इस क्षेत्र का लगभग 40 फीसदी हिस्सा ही फिलिस्तीनी अथॉरिटी के नियंत्रण में हैं, जबकि बाकी हिस्सा इजरायल के पास है. इसकी सीमा उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में इजरायल और पूर्व में ज़ॉर्डन से लगती है. वेस्ट बैंक में लगातार इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं. 

क्या है युद्ध का X फैक्टर?

इजरायल ये जानता है कि उसकी मौजूदगी अरब देशों को खटकती है, वो ये भी जानता है कि अगर हमास के साथ ये युद्ध ज्यादा लंबा चलता है तो कई फ्रंट खुल सकते हैं. इजरायल के तेवर साफ हैं कि वो ऐसे किसी भी देश को बख्शने के मूड में नहीं है जो उस पर हमला करेगा या हमास का साथ देगा. फिर चाहे वो सीरिया हो, ईरान हो या तुर्की. हिज्बुल्लाह के खिलाफ भी इजरायली सेना मोर्चा खोलकर बैठी है. जानकारों का मानना है कि इजरायल ऐसा कतई नहीं चाहेगा कि कोई देश इस युद्ध में एक्स फैक्टर बनकर उभरे.

Yom Kippur का युद्ध से कनेक्शन

हमास ने इजरायल पर 7 अक्टूबर को अचानक हमला शुरू किया. इसके बाद इजरायल ने युद्ध का ऐलान कर दिया. इसके साथ ही योम किप्पुर की यादें ताजा हो गईं. 1973 में भी इजरायल पर हमला हुआ था. अरब देशों के साथ मिस्र और सीरियाई सेनाओं ने अटैक किया था. इस युद्ध की शुरुआत 6 अक्टूबर को यहूदी धर्म के सबसे पवित्र दिन हुई. इस बार भी हमास ने उसी तारीख को चुना. 
 

Zionism: राजनीतिक-वैचारिक आंदोलन

यहूदीवाद को आसान शब्दों में समझें तो ये यहूदी औऱ यहूदी संस्कृति का राष्ट्रवादी-राजनीतिक आंदोलन है. जो इजरायल के भू-भाग में यहूदी देश की पुनर्स्थापना का समर्थन करता है. जायनिज्म और राजनीतिक और वैचारिक आंदोलन माना जाता है, जो 19वीं सदी के अंत में गुप्त रूप से यहूदी समुदाय के बीच उभरा था. आंदोलन का मकसद यहूदियों को फिलिस्तीन में उनकी मातृभूमि में लौटाना था. जो पहले ऑटोमन साम्राज्य के कंट्रोल में था. दूसरे विश्वयुद्ध से पहले यूरोप में जब यहूदियों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़ने लगे तब इस आंदोलन से लाखों लोग जुड़ने लगे. आंदोलन का मकसद था यहूदियों के लिए अपना देश. इजरायल के गठन के बाद से आज भी यहूदियों के लिए जायनिज्म एक वैचारिक ताकत की तरह है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement