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जंग के बीच 'धर्मसंकट' में ईरान, जानें इजरायल के खिलाफ क्यों ढीले पड़े तेवर

एक वरिष्ठ ईरानी राजनयिक ने कहा कि ईरान के शीर्ष नेताओं विशेषकर सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता इस्लामी गणराज्य का अस्तित्व है. यही कारण है कि हमले शुरू होने के बाद से भले ही ईरानी अधिकारियों ने इजरायल के खिलाफ कड़ी बयानबाजी की है, लेकिन प्रत्यक्ष सैन्य भागीदारी से परहेज किया है.

इजरायल के PM नेतन्याहू और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई (फाइल फोटो) इजरायल के PM नेतन्याहू और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • दुबई ,
  • 22 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 5:09 PM IST

तारीख 7 अक्टूबर 2023... जगह गाजा पट्टी... दिन शनिवार... ये वही दिन था जब आतंकी गुट हमास ने इजरायल पर महज 20 मिनट में 5 हजार रॉकेट दागे. जवाब में इजरायल ने भी हमास पर हमला बोल दिया. दोनों तरफ से गोलाबारी और रॉकेट अटैक का सिलसिला शुरू हुआ. समय के साथ बढ़ी तल्खियां, मरने वालों का आंकड़ा और अपने-अपने पक्ष का समर्थन करने वाले देशों का दायरा. जहां अमेरिका- ब्रिटेन ने इजरायल का खुलकर समर्थन किया तो रूस-चीन फिलिस्तनी के समर्थन में खड़े दिखे. उधर, 57 मुस्लिम देशों ने इजरायल के खिलाफ एकस्वर में कई पाबंदियां लगाए जाने की वकालत की. इसमें ईरान भी शामिल है. ईरान ने खुलकर कहा था कि अगर गाजा में इजरायल के अपराध जारी रहे तो दुनिया भर के मुसलमानों और ईरान के रेजिस्टेंस फोर्स को कोई नहीं रोक पाएगा. ईरान के विदेश मंत्री ने अपने कट्टर दुश्मन इजरायल को एक सख्त अल्टीमेटम जारी कर कहा था कि गाजा पर अपना हमला रोकें या नहीं तो कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे, लेकिन अब ईरान के तेवर भी ढीले पड़ते जा रहे हैं. ईरान ने दुनिया को आश्वासन दिया कि वह इस जंग में तब तक हस्तक्षेप नहीं करेगा, जब तक इजरायल ईरानी हितों या नागरिकों पर हमला नहीं करता.

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एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका समर्थित इजराइल के खिलाफ कोई भी बड़ा हमला ईरान पर भारी मुश्किल में डाल सकता है. ऐसे में पहले से ही आर्थिक संकट में फंसे देश में मुस्लिम शासकों के खिलाफ जनता का गुस्सा भड़क सकता है. अधिकारियों ने कहा कि विभिन्न सैन्य, राजनयिक और घरेलू प्राथमिकताओं को नोटिस किया जा रहा है. इसके साथ ही गाजा पर इजरायल के हमले के बाद अगर ईरान खुलकर सामने आता है तो चार दशकों से अधिक समय से अपनाई जा रही क्षेत्रीय प्रभुत्व की ईरानी रणनीति को काफी झटका लगेगा.

ईरान के शीर्ष लीडर में बनी ये सहमति

ईरानी मीडिया के अनुसार संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के प्रमुख वाहिद जलालज़ादेह ने कहा कि हम अपने दोस्तों हमास, इस्लामिक जिहाद और हिज्बुल्लाह के संपर्क में हैं. उनका रुख यह है कि वे हमसे सैन्य अभियान चलाने की उम्मीद नहीं करते हैं. वहीं तीन इजरायली सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल ईरान के शीर्ष लीडर के बीच आम सहमति बन गई है कि किसी भी बड़े तनाव को रोकें, जो ईरान को भी संघर्ष में खींचने वाले हैं. ईरान के विदेश मंत्रालय ने उभरते संकट पर देश की प्रतिक्रिया के बारे में टिप्पणी नहीं की. जबकि इजरायली सैन्य अधिकारियों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

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ईरान इजरायल को नहीं मानता देश

तीन अधिकारियों के अनुसार जमीन पर ईरानी निष्क्रियता को उन ताकतों द्वारा कमजोरी का संकेत माना जा सकता है, जो दशकों से क्षेत्र में तेहरान के प्रभाव का प्रमुख हथियार रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह ईरान की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा सकता है, जिसने लंबे समय से इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन का समर्थन किया है. ईरान इजरायल को एक देश के रूप में पहचानने से इनकार करता है और उसे एक कब्जाधारी के रूप में देखता है.

इजरायल भी ईरान के खिलाफ जंग के लिए तैयार

एक पूर्व इजरायली खुफिया अधिकारी एवी मेलमेड ने कहा कि ईरानियों को इस दुविधा का सामना करना पड़ रहा है कि क्या वे गाजा पट्टी में अपना हाथ बचाने की कोशिश के लिए हिज्बुल्लाह को लड़ाई में भेजेंगे या शायद वे इस मौके को जाने देंगे और इसे छोड़ देंगे. उन्होंने कहा कि यह वह पॉइंट जहां ईरान अपने नुकसान को लेकर भी सोच रहा है. क्योंकि वह जानता है कि अगर वह खुलकर सामने आता है तो लड़ाई दो तरफा होगी, ऐसे में लोगों की जान बचाना भी उसके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है.

ईरान के हफ्तेभर में बदल गए तेवर

इस हफ्ते की शुरुआत में ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराबदोल्लाहियान ने कहा था कि इजरायल को गाजा में जमीनी कार्रवाई की अनुमति नहीं दी जा सकती और अगर वो ऐसा करता है तो उसे नतीजे भुगतने होंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले घंटों में व्यापक स्तर पर कार्रवाई भी हो सकती है. वहीं, मंगलवार को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातु्ल्ला अली खामेनेई ने कहा था  कि अगर गाजा में इजरायल के अपराध जारी रहे तो दुनिया भर के मुसलमानों और ईरान के रेजिस्टेंस फोर्स को कोई नहीं रोक पाएगा. लेकिन कुछ दिनों में ही ईरान के तेवर पूरी तरह से बदल गए हैं.

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क्या इस वजह से खामेनेई जंग से बच रहे?

एक वरिष्ठ ईरानी राजनयिक ने कहा कि ईरान के शीर्ष नेताओं विशेषकर सर्वोच्च नेता (अयातुल्ला अली खामेनेई) के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता इस्लामी गणराज्य का अस्तित्व है. यही कारण है कि हमले शुरू होने के बाद से ईरानी अधिकारियों ने इजरायल के खिलाफ कड़ी बयानबाजी की है, लेकिन उन्होंने अभी तक प्रत्यक्ष सैन्य भागीदारी से परहेज किया है.

हिज्बुल्लाह के इजरायल पर हमले की ये थी वजह

वहीं, 7 अक्टूबर से, हिज़्बुल्लाह ने लेबनानी-इज़राइली सीमा पर इजरायली बलों के साथ झड़पों में गोलीबारी की है, जिसमें इस्लामी समूह के 14 लड़ाके मारे गए हैं. हिज़्बुल्लाह के समर्थक सूत्रों ने कहा कि ये छोटी सी हिंसा इज़रायली बलों को बिजी रखने और डायवर्ट करने के लिए प्लान की गई थी, लेकिन ऐसा हमला बड़ा नया मोर्चा खोलने के लिए नहीं किया गया था. हिज्बुल्लाह नेता सैय्यद हसन नसरल्लाह अपने भाषणों में इजरायल के खिलाफ धमकियां देने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने जंग शुरू होने के बाद से कोई सार्वजनिक संबोधन नहीं दिया है.

इजरायल तेहरान के साथ सीधा टकराव नहीं चाहता

रॉयटर्स के मुताबिक तीन वरिष्ठ इजरायली सुरक्षा सूत्रों और एक पश्चिमी सुरक्षा सूत्र ने बताया कि इजरायल तेहरान के साथ सीधा टकराव नहीं चाहता और जबकि ईरानियों ने हमास को प्रशिक्षित और सशस्त्र किया था, लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं था कि उन्हें 7 अक्टूबर के हमले के बारे में पहले से जानकारी थी. उधर, ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने हमले में ईरान के शामिल होने से इनकार किया है, हालांकि उन्होंने इज़राइल को हुए नुकसान की प्रशंसा की. इजरायली और पश्चिमी सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि इजरायल ईरान पर तभी हमला करेगा, जब उस पर ईरान से सीधे ईरानी बलों द्वारा हमला किया जाएगा.  साथ ही कहा कि ऐसे हमले का अनुमान लगाने में ईरान या उसके सहयोगी समूहों का एक भी गलत कदम इजरायल के दृष्टिकोण को बदल सकती है.

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अमेरिका ने साफ किया अपना इरादा

अमेरिकी अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका उद्देश्य संघर्ष को फैलने से रोकना और अमेरिका के विकल्पों को खुला रखते हुए दूसरों को अमेरिकी हितों पर हमला करने से रोकना है. बुधवार को इज़राइल की यात्रा से लौटते समय राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायली मीडिया रिपोर्ट का स्पष्ट रूप से खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि उनके सहयोगियों ने इजरायल को संकेत दिया था कि यदि हिज्बुल्लाह ने युद्ध शुरू किया, तो अमेरिकी सेना समूह से लड़ने में इजरायली सेना में शामिल हो जाएगी. जर्मनी के रामस्टीन एयर बेस पर बाइडेन ने संवाददाताओं से कहा कि यह सच नहीं है. ऐसा कभी नहीं कहा गया. व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने दोहराया कि वाशिंगटन संघर्ष को नियंत्रित करना चाहता है. उन्होंने कहा कि युद्ध में अमेरिकी सैनिकों को तैनात करने का कोई इरादा नहीं है. अमेरिका के विदेश विभाग के एक पूर्व अधिकारी और सीएसआईएस थिंक-टैंक में मिडिल ईस्ट प्रोग्राम के चीफ जॉन अल्टरमैन ने कहा कि ईरानी नेताओं को हमास के लिए ठोस समर्थन दिखाने का दबाव महसूस होगा. उन्होंने कहा कि एक बार जब आप इस माहौल में आ जाते हैं, तो चीजें घटित होती हैं और ऐसे परिणाम होते हैं जो कोई नहीं चाहता. 

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ईरान ने कहा- न गाजा, न लेबनान

ईरान में शीर्ष निर्णय निर्माताओं के करीबी एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों ईरान और सऊदी अरब के बीच चीन की मध्यस्थता से तेहरान के नेताओं के लिए मामलों को और अधिक जटिल बना दिया है. उन्होंने कहा कि न तो गाजा और न ही लेबनान, मैं ईरान के लिए अपना जीवन बलिदान करता हूं. ईरान में वर्षों से सरकार विरोधी प्रदर्शनों में एक ट्रेडमार्क मंत्र बन गया है, जो संसाधनों के बंटवारे के प्रति लोगों की निराशा को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट ने कई ईरानियों को मिडिल ईस्ट में इस्लामिक गणराज्य के प्रभाव का विस्तार करने के लिए अपने प्रतिनिधियों को धन देने की दशकों पुरानी नीति की आलोचना करने के लिए प्रेरित किया है.

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