
इजरायल की सेना ने बताया है कि शुक्रवार रात बेरूत में हिज्बुल्लाह के मुख्यालय पर किए गए हमले में हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह मारा गया. नसरल्लाह की मौत की खबर हिज्बुल्लाह के लिए एक बड़ा झटका है. एक सब्जी बेचने वाले का बेटा हसन नसरल्लाह एक ऐसा नाम है जिसे हिज्बुल्लाह को एक ताकतवर सैन्य और राजनीतिक संगठन में बदले का श्रेय जाता है. आइए जानते हैं कौन है हसन नसरल्लाह और आखिर वो कैसे हिज्बुल्लाह का चीफ बनने में कामयाब हुआ.
आम जीवन से हिज्बुल्लाह चीफ बनने तक
1960 में बेरूत के एक गरीब मोहल्ले में जन्मे नसरल्लाह नौ भाई-बहनों के बीच बड़े हुए. उसके पिता की एक छोटी सी सब्जी की दुकान थी. बचपन में ही नसरल्लाह ने धार्मिक अध्ययन के प्रति अपनी रुचि दिखाई. 16 साल की उम्र में वे अब्बास अल-मुसावी की नजर में आए, जो बाद में हिज्बुल्लाह के नेता बने. 1992 में जब इजरायल ने मुसावी की हत्या की, तो नसरल्लाह को हिज्बुल्लाह का नेतृत्व सौंपा गया.
उस समय नसरल्लाह सिर्फ 32 साल के थे, लेकिन उन्होंने हिज्बुल्लाह को एक और भी ज़्यादा शक्तिशाली संगठन में बदल दिया. उनके नेतृत्व में हिज्बुल्लाह सिर्फ एक सैन्य संगठन नहीं, बल्कि लेबनान की राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा.
जीता था छिपा हुआ जीवन
2006 में इजरायल के साथ युद्ध के बाद नसरल्लाह ने अपना जीवन गुमनामी में बिताना शुरू कर दिया. वे ज्यादातर सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखते थे. सिर्फ बड़े-बड़े स्क्रीन पर भाषण देते थे. सितंबर 19 को उसने अपने आखिरी भाषण में कहा था कि लेबनान में हुए धमाके इजरायल की ओर से युद्ध की घोषणा हैं.
हालांकि, नसरल्लाह का यह छिपा हुआ जीवन इजरायल का सबसे बड़ा दुश्मन होने के डर से जीता था. दशकों से हिज्बुल्लाह के कई बड़े नेता मारे गए, लेकिन नसरल्लाह अब तक मौत को चकमा देता रहा.
बेटे को भी युद्द में खोया
हिज्बुल्लाह का नेता होने के अलावा नसरल्लाह एक पिता भी थे. उनका बेटा हादी की 1997 में इजरायली सैनिकों से लड़ते हुए मारा गया था. उस समय हादी की उम्र महज 18 साल थी.
हिज्बुल्लाह को बनाने से लेकर उसके नेतृत्व तक
1992 से हिज्बुल्लाह की बागडोर संभालते हुए नसरल्लाह ने संगठन को और मजबूत किया. लेबनान के भीतर, जहां हिज्बुल्लाह ने राजनीतिक ताकत हासिल की, वहीं बाहर के देशों में यह एक मिलिशिया के रूप में काम करता रहा. नसरल्लाह ने ईरान की मदद से सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता बचाने में भी अहम भूमिका निभाई. 1997 में हिज्बुल्लाह के पूर्व नेता शेख सुबही तुफैली ने नसरल्लाह के खिलाफ बगावत की थी, लेकिन नसरल्लाह ने उसे सफल नहीं होने दिया.
इजरायल के खिलाफ युद्ध से बना हीरो
साल 2000 में इजरायल के खिलाफ जंग ने नसरल्लाह को अरब दुनिया में हीरो बना दिया. 34 दिनों के युद्ध के बाद नसरल्लाह ने "दिव्य विजय" (divine victory) की घोषणा की, जिसने उन्हें आम अरब नागरिकों का चहेता बना दिया.
नसरल्लाह का अंत
हालांकि नसरल्लाह ने अपनी पहचान एक रहस्यमयी नेता के रूप में बनाई थी, लेकिन शुक्रवार को इजरायल ने उसे और उसके मंसूबों को खत्म कर दिया. हिज्बुल्लाह के मुख्यालय पर बमबारी के बाद इजरायल ने घोषणा की कि नसरल्लाह अब नह रहा. इस हमले में नसरल्लाह के मारे जाने के बाद हिज्बुल्लाह के अस्तित्व पर अब तक का सबसे बड़ा संकट खड़ा हो गया है.