
हमास के प्रमुख इस्माइल हनीयेह की हत्या के बाद, ईरान के कोम में प्रमुख जामकरन मस्जिद के गुंबद पर लाल झंडा लगाया गया है. यह लाल झंडा बदला लेने का एक प्रतीक माना जाता है, जो बढ़ते तनाव और इजरायल के खिलाफ संभावित जवाबी हमले का संकेत हो सकता है. इस्माइल हानियेह नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के शपथग्रहण समारोह के लिए ईरान में थे.
हत्या से कुछ समय पहले सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई के साथ उनकी मुलाकात की तस्वीरें भी सामने आई. खामेनेई मीडिया की तरफ से एक वीडियो भी शेयर किया गया, जिसमें हानियेह सुप्रीम लीडर से मिल रहे हैं. उनसे गले लग रहे हैं. इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की तरफ से एक और बयान जारी किया गया है, जिसमें हानियेह की हत्या की निंदा की गई है. ईरानी सेना ने हमास चीफ की हत्या को "आपराधिक और कायरतापूर्ण" करार दिया.
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गाजा में नाकामी छुपाने के लिए इजरायल का हमला!
रिवॉल्यूशनरी गार्ड का कहना है कि हानियेह की हत्या इजरायल ने गाजा में अपनी नाकामी छुपाने और दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए की है, जहां अत्याधुनिक हथियारों से लैस इजरायली सेना 9 महीने से जंग जीतने में नाकाम रही है. बयान में कहा गया है कि इजरायल इस तरह की हरकत करके गाजा में बच्चों, महिलाओं और बूढ़ें की हताहतों से ध्यान भटकाना चाहता है.
इजरायल, जहां अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हथियारों का इस्तेमाल करता है, तो वहीं हमास छिटपुट हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है, और बावजूद इसके वे हमास को 'मिटा' पाने में नाकाम रहा है.
तेहरान में होगा हानियेह का जनाजा
हानियेह उत्तरी तेहरान स्थित अपने घर में थे, जब कहा जा रहा है कि इजरायली सेना ने हमला किया, जिसमें वह और उनके कुछ करीबी मारे गए. अपने बयान में इजरायल ने कड़ा विरोध जताया है. बताया जा रहा है कि ईरान के तेहरान में हानियेह का जनाजा पढ़ा जाएगा. इसके बाद उनके शव को कतर के दोहा भेजा जाएगा, जहां उन्हें दफ्न किया जाएगा.
लाल झंडे का क्या मतलब है?
कोम स्थित मस्जिद पर लगाया गया लाल झंडा ईरान में अक्सर लगाया जाता है - जो कि शहीदों के खून का प्रतीक है. मुहर्रम के दौरान खासतौर पर इस झंडे को लगाया जाता है. झंडे पर अरबी में लिखा है “या ला-थारत अल-हुसैन,” जिसका मतलब होता है, "ऐ हुसैन के बदला लेने वालों."
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पैगंबर मोहम्मद के नाती होने के नाते हुसैन शिया इस्लाम के प्रमुख माने जाते हैं, जहां वह न्याय के योद्धा हैं. 680 ईस्वी में मौजूदा इराक के कर्बला की लड़ाई में खलीफा यजीद ने धोखे से उनकी हत्या कर दी थी.
लाल झंडे का क्या मतलब है?
जामकरन मस्जिद ईरान की रजधानी तेहरान से 120 किलोमीटर दूर स्थित कोम शहर में स्थित है. यह ईरान का एक पवित्र शहर माना जाता है, और यह ईरान का एक एजुकेशन सेंटर भी है. मसलन, 1989 में सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई के सत्ता में आने के बाद ईरान में इस मस्जिद को महत्व दिया जाता है.
पिछले 30-35 सालों में जामकरन मस्जिद का काफी विस्तार किया गया है और अब इसमें पांच गुंबद हैं, जो शिया इस्लाम में व्यावहारिक रूप से मौजूद नहीं होते हैं, जहां आमतौर पर मस्जिदों में सिर्फ एक ही गुंबद होता है.