
गाजा पट्टी में जारी जंग बहुत जल्द थम सकती है. हमास और इजरायल के बीच सीजफायर की कोशिशें तेज हो गई हैं. 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से पहले दोनों के बीच संघर्ष विराम हो सकता है. इसके लिए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने खास दूत कतर भेजे हैं. समझौते की शर्तों पर बातचीत के लिए खुफिया एजेंसी मोसाद के चीफ डेविड बार्निया और शिन बेट प्रमुख रोनेन बार वहां पहुंच चुके हैं.
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले हमास को इजरायली बंधकों को रिहा करने की चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि उनके शपथ ग्रहण समारोह से पहले हमास हर हाल में बंधकों को छोड़ दे, वरना उसको बुरा अंजाम भुगतना पड़ेगा. इसके बाद से ही कतर की मध्यस्थता में दोनों पक्षों के बीच बातचीत शुरू हो गई थी. बताया जा रहा है कि समझौते की शर्तों पर आखिरी बातचीत चल रही है. बहुत जल्द गाजा में सीजफायर का ऐलान हो जाएगा.
उधर, हमास की कैद से इजरायली नागरिकों की रिहाई के लिए भारी विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. शनिवार को एक बार फिर हजारों प्रदर्शनकारी तेल अवीव की सड़कों पर उतर आए. इजरायल की सरकार से बंधकों की रिहाई के लिए गाजा में तुरंत युद्धविराम और हमास से समझौते की मांग की है. ये प्रदर्शन ऐसे समय हुआ जब इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में युद्धविराम पर बातचीत के लिए मोसाद के निदेशक को कतर भेजने की मंजूरी दे दी है.
प्रधानमंत्री ऑफिस की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसदा के निदेशक डेविड बार्निया दोहा गए हैं. वहां वो सीजफायर के लिए हमास के प्रतिनिधियों से बात करेंगे. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ''इस हफ्ते अकेले गाजा में छह सैनिक मारे गए. लगभग हर दिन और भी ज़्यादा संख्या में मारे गए लोगों के नाम जारी किए जा रहे हैं. नेतन्याहू के निजी हितों के लिए और कितना खून बहाया जाएगा? हमारे बंधकों को आखिर कब छोड़ा जाएगा.''
तेल अवीव की सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से इस्तीफा भी मांगा है. देश में आम चुनाव कराए जाने की भी मांग की है. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि पीएम नेतन्याहू बंधकों को छुड़ाने में अबतक असमर्थन रहे हैं. ऐसे में उन्हे पद छोड़ देना चाहिए. पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला कर 250 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया था. करीब आधे बंधकों को हमास अब तक छोड़ चुका है, जबकि कुछ की मौत हो चुकी है.
इस बीच संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इजरायली हमलों ने कई अस्पतालों और चिकित्सा सुविधाओं को नष्ट कर दिया है. ये युद्ध अपराध की श्रेणी में आ सकता है. मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने सुरक्षा परिषद को बताया कि उनके ऑफिस की एक नई रिपोर्ट में गाजा के अस्पतालों पर हमलों के पैटर्न का दस्तावेजीकरण किया गया है, जिससे पता चला है कि हमले जानबूझकर किए गए हैं.
इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने बताया कि गाजा में कम से कम 27 अस्पतालों और 12 अन्य चिकित्सा सुविधाओं पर 136 हमले हुए. इनकी वजह से मरीजों और अस्पताल में शरण लिए लोगों के साथ डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी भी मारे गए. पिछले साल अक्टूबर से ही इजरायल गाजा में भारी बमबारी कर रहा है. इसमें करीब 47 हजार लोगों की मौत हो चुकी है.