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पुरानी दुश्मनी भुलाकर फिलिस्तीन की मदद को आगे आया इजराइल, भेजेगा कोरोना वैक्सीन

पिछले महीने भी दोनों देशों के बीच बेहद तनाव देखने को मिला था, लेकिन इस विपदा की घड़ी में इजराइल ने फिलिस्तीन का साथ देने का वादा किया है. इजराइल पहले ही अपनी आबादी के 80 प्रतिशत से ज्यादा वयस्कों का टीकाकरण करवा चुका है.

नई सरकार बनने के बाद की गई घोषणा (फाइल फोटो) नई सरकार बनने के बाद की गई घोषणा (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • तेल अवीव,
  • 19 जून 2021,
  • अपडेटेड 8:59 AM IST
  • आपदा में फिलिस्तीन के साथ इजराइल
  • लाखों कोरोना वैक्सीन देगा इजराइल
  • नई सरकार बनने के बाद की गई घोषणा

कोरोना महामारी ने विश्व के देशों को सिखाया है कि एक दूसरे की सहायता कर बड़ी से बड़ी आपदा का सामना किया जा सकता है. इसी मंत्र पर आगे बढ़ते हुए इजराइल ने फिलिस्तीन को लाखों कोविड वैक्सीन मुहैया कराने की बात कही है. जाहिर है इजराइल और फिलिस्तीन के बीच जमीन कब्जे की लड़ाई बेहद पुरानी है. पिछले महीने भी दोनों देशों के बीच बेहद तनाव देखने को मिला था, लेकिन इस विपदा की घड़ी में इजराइल ने फिलिस्तीन का साथ देने का वादा किया है. इजराइल पहले ही अपनी आबादी के 80 प्रतिशत से ज्यादा वयस्कों का टीकाकरण करवा चुका है. खास बात यह है कि यह घोषणा इजराइल में नई सरकार के गठन के बाद की गई है. 

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दोनों देशों के बीच पुरानी है लड़ाई 

1948 से पहले फिलिस्तीन का भूगोल कुछ और ही था. तब भी वहां कुछ यहूदी शरणार्थी रहते थे. मगर तब फिलिस्तीन पर सौ फीसदी फिलिस्तीनियों का कब्जा था और इजराइल का तब नामोनिशान नहीं था. 1948 में अंग्रेजों ने फिलिस्तीन के दो टुकड़े कर दिए. जमीन का 55 फ़ीसदी टुकड़ा फिलिस्तीन के हिस्स में आया और 45 फ़ीसदी इज़राइल के हिस्से में. इसी के बाद 14 मई 1948 को इज़राइल ने खुद को एक आज़ाद देश घोषित कर दिया. और इस तरह दुनिया में पहली बार एक यहूदी देश का जन्म हुआ.

मगर यरूशलम को लेकर लड़ाई अब भी जारी थी. क्योंकि इजराइल और फ़िलिस्तीन दोनों यरूशलम को अपनी राजधानी बनाना चाहते थे. फिर धार्मिक लिहाज़ से भी यरूशलम ना सिर्फ मुस्लिम और यहूदी बल्कि ईसायों के लिए भी बेहद ख़ास था. तब ऐसे में संयुक्त राष्ट्र बीच में आया और उसने एक तरह से फ़िलिस्तीन के एक और टुकड़ा अलग कर दिया. अब यरूशलम का आठ फ़ीसदी हिस्सा संयुक्त राष्ट्र के कंट्रोल में आ गया. जबकि 48 फ़ीसदी ज़मीन का टुकड़ा फिलिस्तीन और 44 फ़ीसदी टुकड़ा इजराल के हिस्से में रह गया. मगर ज़मीन की लड़ाई इसके बाद भी जारी रही.

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1956, 1967, 1973, 1982 में इज़राइल फ़िलिस्तीन लड़ते रहे और इज़राइल लगातार फ़िलिस्तीन की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करता रहा और फिर नौबत ये आ गई कि पहले 55 फ़ीसदी और फिर 48 फ़ीसदी से सिमटते हुए 22 फ़ीसदी और अब 12 फ़ीसदी ज़मीन के टुकड़े पर ही फ़िलिस्तीन सिमट कर रह गया है. जबकि अधिकारिक रूप से यरूशलम को छोड़ कर इज़राइल लगभग बाक़ी के 80 फ़ीसदी इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर चुका है. ले-देकर फ़िलिस्तीन के नाम पर अब दो ही इलाक़ा बचे हैं. एक गाजा और दूसरा वेस्ट बैंक. 

वेस्ट बैंक अमूमन शांत रहता है. जबकि गाजा गरम. क्योंकि गाजा पर एक तरह से हमास का कंट्रोल है और मई महीने में हुआ तनाव इसी गाजा और इज़राइल के बीच था. सारे रैकेट और बम इसी गाजा से इजराइल पर गिराए गए थे और इजराइल इसी गाजा पर बम बरसा रहा था.

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