
मिडल ईस्ट में एक बड़ा समझौता हुआ है. इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के बीच ये समझौता हुआ है, जिसका नाम अब्राहम अकॉर्ड है. इजरायल से दो मुस्लिम देशों की ये डील पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है. कोई इसे नया सवेरा बता रहा है तो किसी के लिए ये फलीस्तीन की लड़ाई को कमजोर करने वाला समझौता है.
अब्राहम अकॉर्ड पर 15 सितंबर को वाशिंगटन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में हस्ताक्षर हुए. इस दौरान इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, यूएई के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन जायद और बहरीन के विदेश मंत्री अब्दुल लतीफ अल जयानी मौजूद रहे. पिछले 26 साल में ये पहला अरब-इजरायल समझौता है. इजरायल से किसी अरब देश में सबसे पहले मिस्त्र ने 1979 में समझौता किया था, जिसके बाद जॉर्डन ने 1994 में इजरायल से डील की थी. जॉर्डन के बाद अब पहली बार इतना बड़ा समझौता अरब मुल्कों का इजरायल के साथ हुआ है. काफी लोग इस बात से भी हैरान हैं कि इतने बड़े समझौते में फिलीस्तीन और इजरायल विवाद का कहीं जिक्र नहीं है.
ट्रंप ने बताया मस्जिद के लिए खुले रास्ते
हालांकि, मस्जिद अल-अक्सा के बारे में जरूर अहम बातें कही गई हैं. कहा गया है कि इस समझौते से मुस्लिम देशों के लिए मस्जिद अल अक्सा का रास्ता खुल जाएगा, इजरायल के अधिकार क्षेत्र वाले इलाके में है.
समझौते पर साइन के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ''समझौते के मुताबिक, यूएई और बहरीन इजरायल में अपने दूतावास खोलेंगे, उच्चायुक्तों की नियुक्तियां की जाएंगी, साथ मिलकर काम किया जाएगा, टूरिज्म, हेल्थकेयर, ट्रेड और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग किया जाएगा. अब्राहम समझौता दुनियाभर के मुसलमानों के लिए इजरायल में ऐतिहासिक जगहों पर जा सकेंगे और येरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद में शांति के साथ नमाज अदा कर सकेंगे.''
व्हाइट हाउस की तरफ से ये भी कहा गया कि अल-अक्सा मस्जिद में अब मुस्लिमों की संख्या बढ़ेगी और चरमपंथियों के उस दुष्प्रचार को भी चोट लगेगी जिसमें कहा जाता है कि अल-अक्सा मस्जिद अंडर अटैक है और मुस्लिम वहां नमाज नहीं पढ़ सकते हैं.
अब्राहम अकॉर्ड पर साइन होने से पहले 13 सितंबर को तीनों देशों का जो साझा बयान आया उसमें इजरायल ने भी इसका जिक्र किया. इजरायल की तरफ से कहा गया था, ''शांति की दिशा में आगे बढ़ते हुए इजरायल इस बात की पुष्टि करता है कि सभी मुस्लिम जो शांति से अल-अक्सा मस्जिद आना चाहते हैं आ सकते हैं और नमाज अदा कर सकते हैं. येरुशलम के दूसरे धार्मिक स्थल भी बाकी सभी धर्मों के शांतिप्रिय लोगों के लिए खुले रहेंगे.''
गौरतलब है कि इस्लाम में मक्का मदीना के साथ ही अल अक्सा मस्जिद भी बड़ स्थान है. मुस्लिमों के लिए ये तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक स्थल माना जाता है. ये मस्जिद इजरायल की राजधानी येरुशलम में है. फिलीस्तीन और इजरायल विवाद का एक बड़ा केंद्र ये मस्जिद भी है. 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने ब्रिटिश काल के दौरान प्राचीन फिलीस्तीन को दो हिस्सों में बांट दिया था. जिसके बाद से अब तक वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी समेत पूर्वी येरुशलम पर कब्जे को लेकर दोनों देशों में विवाद हो गया. जो आज भी जारी है. मस्जिद अल अक्सा को लेकर भी विवाद है. इजरायल ने मस्जिद में गैर-मुस्लिमों को जाने की इजाजत दी है, हालांकि उन्हें यहां पूजा करने का अधिकार नहीं है, लेकिन ऐसा कई बार देखा गया है जब यहूदी समुदाय के लोगों ने मस्जिद अल अक्सा में पूजा करने की कोशिश है और इस पर विवाद हुआ है.
अब जबकि अब्राहम समझौते से मस्जिद अल अक्सा में दुनियाभर के मुसलमानों को आने और नमाज अदा करने की बात कही जा रही है तो ऐसी स्थिति में वहां के हालात किस तरफ जाते हैं ये अभी भविष्य के गर्भ में है.