
इजरायल ने उत्तरी गाजा से हमास के खदेड़ दिया है और अब सेंट्रल-साउथ गाजा पर अपना फोकस बढ़ा दिया है. इसी बीच इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और यूएई की राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच बहस हो गई.
एक्सियोस ने अनाम सूत्रों के हवाले से बताया कि इस बैठक के दौरान इजरायली पीएम ने यूएई के राष्ट्रपति जायद ने फिलिस्तीनी मजदूरों को आर्थिक मदद देने की मांग की थी, जिन्हें 7 अक्टूबर को हमास हमले के बाद इजरायली सीमा से बाहर खदेड़ दिया.
'जेलेंस्की से मांगो मदद'
नेतन्याहू की इस मांग पर अल नाहयान ने व्यंग्यात्मक ढंग से जवाब देते हुए कहा कि पैसे यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मांगो. उन्होंने सुझाव दिया कि जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध के कारण यूक्रेन को मिलने वाली विदेशी सहायता से मजदूरों की मदद के लिए पैसे दे सकते हैं. एक इजरायली अधिकारी ने कहा कि नेतन्याहू ने कुछ हफ्ते पहले अल नाहयान से अनुरोध किया था.
अरब देश करें गाजा का पुनर्विकास: इजरायल
यूएई के एक अधिकारी ने एक्सियोस को बताया, इजरायल की सोच है कि गाजा पट्टी के पुनर्विकास के लिए अरब देश आगे आएंगे और वर्तमान में जो हो रहा है. उसकी भरपाई करें. हालांकि यूएई के राष्ट्रपति ने इजरायल की मदद का आश्वासन दिया है, लेकिन वो इजरायल की इस मांग से वह चौंक गए हैं.
अमीरात शासक के अनुसार, इजरायली पीएम की ये मांग असमान्य थी, क्योंकि इजरायल फिलिस्तीनी इलाके में युद्ध से पैदा हुई स्थिति से उभरने के लिए अरब देश से
भुगतान मांग रहा है.
'खारिज की इजरायली पीएम की मांग'
बताया गया है कि इजरायल चाहता है कि संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और अन्य अरब देश युद्ध के बाद गाजा के पुनर्निर्माण में मदद करें. शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने इजरायली पीएम की मांग के खारिज कर दिया है.
इजरायल ने लगाई फिलिस्तीनी मजदूरों पर रोक
क्षेत्रों में सरकारी गतिविधियों के समन्वय (COGAT) के अनुसार, इजरायल-हमास युद्ध शुरू होने से पहले वेस्ट बैंक से एक लाख से अधिक फिलिस्तीनियों के पास काम के लिए इजरायल की यात्रा करने के परमिट थे. 7 अक्टूबर को हमास के हमले में 1,200 इजरायली नागरिकों की मौत के बाद इजरायल ने अपने क्षेत्र में फिलिस्तीनी श्रमिकों के प्रवेश को रोक दिया था.
दरअसल, इजरायली हमले ने 23,000 से अधिक फ़िलिस्तीनियों की जान ले ली है, जबकि छोटे तटीय क्षेत्र का ज्यादातर हिस्से को नष्ट कर दिया है और 2.3 मिलियन की अधिकांश आबादी को विस्थापित कर दिया है, जिससे एक बदतर मानवीय संकट पैदा हो गया है.