
इजरायल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है. शनिवार को हमास ने इजरायल के 6 बंधकों को मार दिया और इजरायली सैनिकों ने उनके शव गाजा की एक सुरंग से बरामद किए. 6 बंधकों की हत्या की खबर आते ही इजरायल में लाखों की संख्या में लोग नेतन्याहू के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं और बंधकों की रिहाई के लिए हमास से समझौते की मांग कर रहे हैं. घरेलू दबाव के साथ-साथ नेतन्याहू पर अमेरिका का प्रेशर भी बढ़ रहा है. बावजूद इसके नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ युद्ध से पीछे हटने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वो दबाव में हथियार नहीं डालेंगे.
इजरायली सेना ने शनिवार को एक बयान में कहा कि उन्होंने दक्षिणी गाजा में राफा क्षेत्र की एक जमीनी सुरंग से 6 बंधकों के शव बरामद किए हैं. ये सभी लोग 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमले के दौरान बंधक बनाए गए थे. इजरायली सेना के प्रवक्ता डेनियल हगारी ने कहा कि बंधकों तक हमारे पहुंचने से ठीक पहले हमास ने उन्हें मार दिया.
नेतन्याहू ने सोमवार को बंधकों को न बचा पाने के लिए माफी मांगी. उन्होंने कहा कि बंधकों का कत्ल करने वाले लोग कोई समझौता करना ही नहीं चाहते. हमास ने जो किया है, उसके लिए उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.
नेतन्याहू के आलोचकों का कहना है कि वो अपनी राजनीतिक साख बचाए रखने के लिए हमास के साथ कोई समझौता नहीं कर रहे जिससे बंधक मारे जा रहे हैं.
बंधकों के शव मिलने के बाद अमेरिका जहां युद्धविराम की बात कर रहा है, वहीं, ब्रिटेन ने इजरायल को दिए जाने वाले कुछ हथियारों का निर्यात लाइसेंस निलंबित कर दिया है जिसमें लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर्स और ड्रोन पार्ट्स शामिल हैं.
बुधवार को भी जारी हैं प्रदर्शन
इजरायल में बुधवार को भी प्रदर्शन जारी हैं. प्रधानमंत्री नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के हेडक्वार्टर के बाहर बंधकों के परिजनों का प्रदर्शन जारी है. इनकी मांग है कि सरकार हमास के लिए जल्द से जल्द समझौता करे और उनके अपनों को जिंदा वापस लाए.
प्रदर्शनकारी सरकार विरोधी नारे लगाते दिखे और उनके एक पोस्टर पर लिखा था, 'मौत की कैबिनेट (नेतन्याहू की कैबिनेट) बंधकों की हत्या कर रही है. हमारी मांग है, बंधकों को जिंदा वापस लाओ.'
अपने हठ से टस से मस नहीं हो रहे नेतन्याहू
हमास-इजरायल के बीच युद्धविराम को लेकर चल रही वार्ता में मिस्र और गाजा का बॉर्डर इलाका, जिसे फिलाडेल्फी कॉरिडोर कहा जाता है, अहम बना हुआ है. इस कॉरिडोर के जरिए हमास हथियार आदि की सप्लाई करता है और यह फिलिस्तीनी लड़ाकू संगठन के लिए बेहद अहम है.
इजरायल ने मई में इस इलाके को अपने कब्जे में ले लिया था और अब यहां बड़ी संख्या में इजरायली सैनिक तैनात हैं. इजरायल के साथ समझौते में हमास की एक मांग ये भी है कि इस इलाके से इजरायल अपने सैनिक हटा ले. लेकिन 6 बंधकों की मौत के बाद भी नेतन्याहू इस बात के लिए राजी नहीं हैं.
नेतन्याहू ने सोमवार रात को कहा कि इजरायली सैनिक फिलाडेल्फी कॉरिडोर से पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा कि अगर इजरायली सैनिकों ने इलाके से अपना कब्जा छोड़ दिया तो भविष्य में इजरायल पर फिर से हमला हो सकता है.
लेकिन इसी बीच इजरायल के अखबार 'द टाइम्स ऑफ इजरायल' ने एक बड़ी खबर दी है. अखबार के मुताबिक, इजरायल ने कतर को आश्वस्त किया है कि युद्धविराम के दूसरे चरण में इजरायली सेना आईडीएफ फिलाडेल्फी कॉरिडोर से पूरी तरह निकल जाएगी.
हमास-इजरायल के बीच युद्धविराम में एक और बात आड़े आ रही है. इजरायल का कहना है कि वो युद्धविराम समझौते में लड़ाई को फिर से शुरू करने का अधिकार चाहता है ताकि वो हमास का खात्मा कर सके. वहीं. हमास का कहना है कि वो तब तक किसी समझौते पर राजी नहीं होगा जब तक कि स्थायी संघर्षविराम नहीं हो जाता.
ब्रिटेन के कदम पर भड़के नेतन्याहू
ब्रिटेन ने इजरायल को दिए जाने वाले 350 हथियार निर्यात लाइसेंस में से 30 लाइसेंस रद्द कर दिए हैं. ब्रिटिश सरकार का कहना है कि उन्हें डर है कि इन हथियारों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के उल्लंघन के लिए किया जा सकता है. सोमवार को ब्रिटेन के विदेश मत्री डेविल लैमी ने संसद के समक्ष कहा कि इन हथियारों का इस्तेमाल गाजा में चल रहे संघर्ष में किया जा सकता है इसलिए इनके निर्यात लाइसेंस निलंबित किए जा रहे हैं.
ब्रिटेन के इस बैन पर इजरायली प्रधानमंत्री ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, 'ब्रिटेन चाहे हमें हथियार दे, न दे, इजरायल युद्ध में जीत हासिल करेगा और हमारे साझा भविष्य को सुरक्षित करेगा.'
उन्होंने ब्रिटेन के इस कदम को शर्मनाक बताते हुए कहा, 'इजरायल के साथ खड़े होने के बजाए एक साथी लोकतांत्रिक देश बर्बरता के खिलाफ खुद को बचा रहा है...ब्रिटेन का यह कदम केवल और केवल हमास को उत्साहित करेगा.'
हमास ने 7 अक्तूबर को इजरायल के हमले में 100 से अधिक लोगों को बंधक बनाया था. अभी भी हमास के पास 100 से अधिक बंधक हैं जिनमें 5 ब्रिटिश नागरिक हैं.
हमास की धमकी, '...नहीं तो ताबूतों में वापस जाएंगे बंधक'
हमास ने इजरायल को धमकी दी है कि अगर वो अपनी जिद नहीं छोड़ता तो बचे हुए बंधक भी ताबूतों में वापस अपने देश जाएंगे. हमास ने एक बयान में कहा, 'कैदियों की सुरक्षा कर रहे लड़ाकों को नए निर्देश दिए गए हैं. उन्हें बताया गया है कि बंधकों की जगह पर इजरायली सेना के पहुंचने से पहले उनके साथ क्या करना है.'
हमास ने बयान में कहा कि बंधकों की मौत के लिए केवल और केवल इजरायली सरकार और सेना जिम्मेदार होगी. हमास ने आगे कहा, ' नेतन्याहू समझौते के बजाए सैन्य दबाव का इस्तेमाल करेंगे तो बंधक ताबूतों में ही अपने देश लौटेंगे. अब उनके परिवारों को चुनना है कि वो बंधकों को जिंदा चाहते हैं या मुर्दा.'
नेतन्याहू पर बढ़ता अमेरिका दबाव
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि बंधकों की रिहाई के लिए नेतन्याहू समझौते अथवा संघर्षविराम के लिए पूरी कोशिश नहीं कर रहे हैं. अमेरिका कतर और मिस्र के साथ मिलकर बंधकों की रिहाई के लिए हमास से वार्ता कर रहा है. वार्ता में इजरायली जेलों में रखे गए फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले में बंधकों की रिहाई को लेकर बातचीत चल रही है.
बाइडेन ने अमेरिकी वार्ताकारों से मुलाकात की है और उन्होंने बताया कि हमास के साथ जल्द ही एक समझौता हो सकता है. इसी दौरान पत्रकारों ने बाइडेन से पूछा कि क्या पीएम नेतन्याहू बंधकों की रिहाई के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं जिसके जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'नहीं.'