
इटली सिर से पैर तक कर्जे में डूबा हुआ है. देश पर भारी भरकम कर्ज को देखते हुए प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) ने राष्ट्रीय धरोहरों में हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है.
मेलोनी इटली को कर्ज के इस जाल से बाहर निकालने के लिए देश की पोस्टल सर्विस में हिस्सेदारी बेचने जा रही हैं. निजीकरण कार्यक्रम के तहत पोस्टल सर्विस में हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया गया है.
मेलोनी सरकार का लक्ष्य पोस्टल सर्विस में हिस्सेदारी बेचकर 2026 तक 21.6 अरब डॉलर जुटाने का है. इसके अलावा सरकार रेलवे कंपनी Ferrovie dello Stato और ऊर्जा सेक्टर की कंपनी Eni में भी अपनी हिस्सेदारी बेचेगी.
विश्लेषकों का कहना है कि सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने से भी सरकार को अधिक फायदा नहीं होगा. इटली पर 3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का कर्ज है. ये कर्ज भारत की जीडीपी के बराबर है. भारत की जीडीपी अभी 3.18 ट्रिलियन डॉलर है.
मेलोनी का कहना है कि हम सरकारी कंपनियों में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेच सकते हैं. हालांकि, पोस्टल सर्विस में हिस्सेदारी बेचने का मेलोनी का यह फैसला 2018 के उनके बयान से अलग है. इटली की प्रधानमंत्री बनने से पहले 2018 में मेलोनी ने पोस्टल सर्विस को अपना कोहिनूर बताया था.
उस वक्त उन्होंने कहा था कि पोस्टल सर्विस के निजीकरण के सख्त खिलाफ हूं. यह हमारा कोहिनूर है, जो इटली के लोगों के हाथ में ही रहना चाहिए.
बता दें कि मेलोनी सरकार की पोस्टल सर्विस में 51 फीसदी की हिस्सेदारी रखने की योजना थी.लेकिन शुक्रवार को वित्त मंत्री जियोर्जेटी ने कहा था कि वह पोस्टल सर्विस में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 35 फीसदी करने का फैसला किया.