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जैकब जुमा ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति पद से दिया इस्तीफा

राष्ट्र के नाम दिए गए अपने 30 मिनट के संबोधन में 75 वर्षीय जुमा ने अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के रवैये से असहमति जताई और कहा कि दिसंबर में हुए चुनावों में सिरिल रमफोसा के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने के लिए एएनसी ने गलत रुख अपनाया.

जैकब जुमा ने राष्ट्रपति पद छोड़ा जैकब जुमा ने राष्ट्रपति पद छोड़ा
नंदलाल शर्मा
  • प्रिटोरिया, दक्षिण अफ्रीका ,
  • 15 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:17 AM IST

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. जुमा पर पिछले कुछ समय से अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) की ओर से पद छोड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा था. इसी के साथ भ्रष्टाचार और घोटालों को लेकर विवादों में रहे जुमा के 9 वर्षीय शासन का अंत हो गया.

राष्ट्र के नाम दिए गए अपने 30 मिनट के संबोधन में 75 वर्षीय जुमा ने अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के रवैये से असहमति जताई और कहा कि दिसंबर में हुए चुनावों में सिरिल रमफोसा के पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने के लिए एएनसी ने गलत रुख अपनाया.

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इसके बाद उन्होंने तत्काल प्रभाव से राष्ट्रपति का पद छोड़ने की घोषणा कर दी.

हालांकि सत्ताधारी पार्टी का कहना था कि गुरुवार को होने वाली बैठक में वोटिंग के जरिए जुमा को राष्ट्रपति पद से हटा दिया जाता. बता दें कि अफ्रीका की गुप्ता फैमिली के आलीशान घर पर पुलिस का छापा पड़ने के चंद घंटों के बाद ही जुमा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

भारतीय मूल के गुप्ता परिवार के साथ जैकब जुमा की साझेदारी हमेशा विवादों में रही है. जुमा के शासनकाल में गुप्ता परिवार के साथ उनके रिश्ते भ्रष्टाचार के आरोपों के केंद्र में रहे हैं. हालांकि जुमा और गुप्ता परिवार किसी भी तरह की अनियमितता से इंकार करता रहा है.

कौन हैं गुप्ता ब्रदर्स

यूपी के सहारनपुर से 1990 के दशक में तीन भाई अजय, अतुल और राजेश गुप्ता दक्ष‍िण अफ्रीका पहुंचे थे. कुछ सालों में ही यह परिवार दक्षिण अफ्रीका का बड़ा कारोबारी बन गया और जुमा के कार्यकाल में तो इस परिवार पर सरकार चलाने तक का आरोप है. आज जोहानिसबर्ग के सहारा एस्टेट में इस परिवार के चार मैन्सन हैं. गुप्ता परिवार की सफलता लोगों को चकित करती है.

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आरोप है कि जुमा से करीबी की वजह से ही गुप्ता परिवार इतनी तेजी से आगे बढ़ पाया. उसने अपने मन मुताबिक कानून और मंत्री बनवाए.

सबसे पहले अतुल गुप्ता ने 1993 में दक्ष‍िण अफ्रीका में सहारा कंप्यूटर्स की शुरुआत की थी. इसके बाद यह परिवार माइनिंग, एयर ट्रैवल, एनर्जी, टेक्नोलॉजी और मीडिया जैसे कई कारोबार में उतरा. अतुल गुप्ता और राजेश गुप्ता को दक्ष‍िण अफ्रीका की नागरिकता मिली हुई है.

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