Advertisement

जयशंकर ने लगाई फटकार तो कनाडा देने लगा लोकतंत्र की दुहाई, UN में कहा- विदेशी दखल से खतरा

हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के संबंधों में खटास आ गई है. विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में बिना किसी देश का नाम लिए कहा कि सियासी सहूलियत के लिए आतंकवाद पर एक्शन सही नहीं है. इसके बाद कनाडा ने भी पलटवार करते हुए लोकतंत्र का हवाला दिया.

भारत के विदेश मंत्री जयशंकर और संयुक्त राष्ट्र में कनाडा के राजदूत बॉब रे भारत के विदेश मंत्री जयशंकर और संयुक्त राष्ट्र में कनाडा के राजदूत बॉब रे
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:58 AM IST

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जब से खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत पर आरोप लगाया है. मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध खटाई में पड़ गए हैं. ऐसे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कहा है कि राजनीति के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देना गलत है. कनाडा ने भी संयुक्त राष्ट्र में जवाबी पलटवार में कहा है कि विदेशी ताकतों के दखल की वजह से लोकतंत्र खतरे में है. 

Advertisement

ट्रूडो के भारत पर आरोप के बाद से दोनों देशों के संबंध खराब होते जा रहे हैं. इस बीच विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कनाडा का नाम लिए बगैर कहा कि अब वो दिन बीत चुके हैं, जब कुछ देश एजेंडा सेट करते थे जबकि दूसरे देश उसी पर चलने की उम्मीद करते थे. आज भी कुछ देश ऐसे हैं, जो एजेंडा सेट करते हैं लेकिन अब यह नहीं चल सकता. सियासी सहूलियत के लिए आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन नहीं लेना चाहिए. अपनी सहूलियत के हिसाब से क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं हो सकता. अभी भी कुछ देश ऐसे हैं, जो एक तय एजेंडे पर काम करते हैं लेकिन ऐसा हमेशा नहीं चल सकता और इसके खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए. जब वास्तविकता, बयानबाजी से कोसों दूर हो जाती है तो हमारे भीतर इसके खिलाफ आवाज उठाने का साहस होना चाहिए. 

Advertisement

उन्होंने कहा कि भारत ने विभिन्न साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है. अब हम गुटनिरपेक्षता के युग से अब विश्व मित्र के रूप में विकसित हो गए है. यह क्वाड के विकास और ब्रिक्स समूह के विस्तार से झलकता है. हम परंपराओं और तकनीक दोनों को आत्मविश्वास के साथ एक साथ पेश करते हैं. यही तालमेल आज भारत को परिभाषित करता है. यही भारत है. कनाडा से लेकर चीन और पाकिस्तान तक पर निशाना साधा. उन्होंने क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की हिदायत से चीन को फटकार लगाई है. 

कनाडा ने UNGA में दी लोकतंत्र की दुहाई

संयुक्त राष्ट्र में कनाडा के राजदूत बॉब रे ने कहा कि विदेशी हस्तक्षेप की वजह से लोकतंत्र खतरे में हैं इसलिए राजनीतिक फायदे के लिए झुका नहीं जा सकता है.

उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब हम समानता के महत्व पर जोर देते हैं. हमें निष्पक्ष और लोकतांत्रिक समाजों के मूल्यों को बनाए रखना होगा. हम किसी के राजनीतिक फायदे के लिए झुक नहीं सकते. क्योंकि ऐसा देखा जा रहा है कि विदेशी दखल की वजह से लोकतंत्र खतरे में हैं. सच्चाई ये है कि अगर हम उन नियमों का पालन नहीं करते हैं, जिन पर हम सहमत हुए हैं तो हमारे उन्मुक्त समाजों का ताना-बाना टूटने लगेगा.

Advertisement

कनाडा में खालिस्तानी प्रदर्शनों पर सख्ती

निज्जर की हत्या के आरोप लगने के बाद से भारत ने कनाडा को लेकर सख्त रुख अख्तियार किया है. भारत की इस सख्ती का भी अब असर दिखने लगा है, जहां पहले कनाडा में भारत के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को खुली छूट मिलती थी. सैकड़ों लोग जुटते थे लेकिन अब यह तस्वीर बदलती दिख रही है. कनाडा में सोमवार को खालिस्तानी समर्थकों का प्रदर्शन फीका रहा. भारतीय कॉन्सुलेट के बाहर इन प्रदर्शनों में मुट्ठीभर लोग ही जुट पाए. 

कनाडा में विरोध प्रदर्शनों में भीड़ कहां से जुटती है? 

कनाडा में भारत विरोधी प्रदर्शनों से लेकर कथित जनमत संग्रह तक में अधिकततर भारतीय सिखों की भीड़ तरह-तरह के हथकड़ों से जुटती है. कनाडा में खालिस्तान के समर्थन में भीड़ जुटाने के लिए पंजाब से कनाडा तक अपराधियों, तस्करों, गैंगस्टर्स और आतंकवादियों का पूरा नेटवर्क मिलकर काम करता है.

खालिस्तान समर्थक गैंग दो स्तर पर समर्थन जुटाने की कोशिश करते हैं. एक तो भारत से कनाडा जाने की चाहत रखने वाले नौजवानों पर इनकी नजर होती है, जिनका ये वीजा बनवाते हैं, उन्हें कनाडा बुलाते हैं, नौकरी खोजने और दिलाने में उनकी मदद करते हैं और फिर खालिस्तान के नाम पर चल रहे तरह-तरह के अवैध धंधे में शामिल कर लेते हैं. गौर करने वाली बात ये है कि पंजाब के सिमरनजीत सिंह मान जैसे लोकसभा सांसद ऐसे लोगों को 35 हजार रुपये लेकर राजनीतिक शरण दिलवाते हैं.

Advertisement

कनाडा में रह रहे भारतीय मूल के लोग भी बताते हैं कि खालिस्तान समर्थक गुट के पास अवैध फंडिंग और पॉलिटिकल पावर इतनी बढ़ चुकी है कि ये कनाडा के गुरुद्वारों से शांतिप्रिय लोगों को बाहर कर चुके हैं. कहा जा रहा है कि कनाडा के सर्री, ब्रैम्पटन, एडमॉन्टन के करीब 30 से अधिक गुरुद्वारे इनके कब्जे में हैं. इन गुरुद्वारों में तमाम पदों पर ऐसे लोगों की भर्ती और तैनाती की जाती है जो खालिस्तान समर्थक होते हैं.

क्या ट्रूडो सरकार करती है खालिस्तानियों का समर्थन?

ऐसे भी आरोप हैं कि भारत की जमीन पर गुनाह करके भागने वाले इन गैंगस्टर्स को ट्रूडो अपनी जमीन पर सुरक्षित पनाह देते हैं जबकि भारत कई बार चिंता जता चुका है कि पंजाब में वसूली का सबसे बड़ा रैकेट कनाडा में बैठे आतंकवादी और अपराधी चला रहे हैं.

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में कनाडा पर निशाना?

भारत ने जहां एक तरफ संयुक्त राष्ट्र में कनाडा को बेनकाब किया है. वहीं, दूसरी तरफ अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट ने उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया है. अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीद की मौजूदगी के बावजूद तीन महीने तक कनाडा पुलिस ने एक संदिग्ध तक को गिरफ्तार नहीं किया है. चार्जशीट फाइल करना तो बहुत दूर की बात है. चश्मदीदों के बयान के हवाले से वॉशिंगटन पोस्ट ने हैरान करने वाली जानकारी दी है कि निज्जर की हत्या करने आए हमलावर सिख वेशभूषा में थे.

Advertisement

अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक 18 जून की शाम निज्जर गुरुद्वारे से अपनी ग्रे रंग की पिकअप कार लेकर बाहर की ओर निकल रहा था। इसी दौरान सफेद रंग की सेडान पहले उसके साथ-साथ चलती है और फिर पार्किंग के बाहर निकलने से पहले ही आगे आकर उसका रास्ता रोक लेती है. फिर हुड वाले दो नकाबपोश निज्जर के ट्रक के पास आते हैं. उस पर अंधाधुंध गोलियां चलाते हैं. करीब 50 गोलियां चलाई गई जिनमें से 34 निज्जर को लगी. चौंकाने वाला खुलासा ये है कि हमलावर सिख लिबास में थे.

क्या ट्रूडो इस पर कुछ कहना चाहेंगे?

कनाडा के पीएम ट्रूडो के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि निज्जर की हत्या के तीन महीने बाद भी अब तक चार्जशीट क्यों नहीं दायर की गई?  संदिग्धों के बारे में कोई जानकारी ना तो दी गई है और ना ही मांगी गई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस ने अब तक उनसे संपर्क तक नहीं किया है. तो क्या ट्रू़डो जानते हैं कि निज्जर की हत्या सिख समुदाय के बीच ही किसी विवाद को लेकर की गई है और इस वजह से वो जांच को प्रभावित कर सियासत कर रहे हैं? अगर ऐसा नहीं हो तो फिर निज्जर की हत्या में कनाडा पुलिस इतनी लापरवाही क्यों कर रही है?

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement