
अमेरिकी में जो बाइडेन प्रशासन ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी का बचाव किया और इस वापसी के लिए पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को दोषी ठहराया है. व्हाइट हाउस ने गुरुवार को अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के संबंध में 12 पन्नों को एक दस्तावेज जारी किया है. इस डॉक्यूमेंट में उन स्थितियों को दर्ज किया गया गया है, जिनकी वजह से व्हाइट हाउस ने ये फैसला लिया. इस रिपोर्ट में ट्रंप प्रशासन को ऐसी स्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है और कहा गया कि यह फैसला काफी विवशता में लिया गया है.
ट्रंप पर लगाए वापसी योजना में गड़बड़ी के आरोप
बता दें कि ट्रम्प प्रशासन ने तालिबान के साथ एक वापसी समझौते पर पहले बातचीत की थी, बाइडेन ने इसका मान रखने का दावा किया था, लेकिन गुरुवार को सामने आई रिपोर्ट में कहा गया है कि डील में योजना को लेकर भारी गड़बड़ी थी.रिपोर्ट के अनुसार, जब बाइडेन ने 20 जनवरी, 2021 को पदभार संभाला, उस समय तालिबान सबसे मजबूत सैन्य स्थिति में थे. ये 2001 से देश के लगभग आधे हिस्से को नियंत्रित कर रहे थे, या फिर यहां चुनाव लड़ रहे थे.
बाइडेन प्रशासन को अफगानिस्तान से वापसी पर गर्व
व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया कि, 2021 में हमारे सिर्फ 2500 सैनिक ही मैदान में थे, जो कि 2001 के बाद से सबसे कम थे. राष्ट्रपति बाइडेन पर मई 2021 तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी बलों की वापसी का दबाव था. यह समय भी ट्रंप प्रशासन ने तय किया था, नहीं तो तालिबान अमेरिका पर हमले शुरू कर देता. इसे लेकर रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने 28 सितंबर, 2021 को गवाही दी थी कि "खुफिया जानकारी से सामने आया था कि अगर हम (अमेरिका) उस समझौते के अनुसार नहीं हटे, तो तालिबान हमारी सेना पर हमले फिर से शुरू कर देगा." इस मामले पर व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा समन्वयक जॉन किर्बी ने कहा कि बाइडन प्रशासन को अफगानिस्तान से अपनी वापसी पर 'गर्व' है.
बाइडेन प्रशासन ने ऐसे बनाई योजना
किर्बी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के पास च्वाइस थी कि या तो अमेरिकी बलों को वापस ले लिया जाए या तालिबान के साथ लड़ाई फिर से शुरू कर दी जाए. उन्होंने वापसी को चुना और इसे अगस्त तक बढ़ाया. यह देखते हुए कि प्रशासन ने एक सही प्लानिंग की जरूरत को समझा और उचित योजना की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया, उन्होंने कहा कि बाइडेन ने अपने शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा नेताओं को अफगानिस्तान छोड़ने का अंतिम निर्णय लेने से पहले ही वापसी की योजना शुरू करने का निर्देश दिया. किर्बी ने कहा कि उन्होंने सैनिकों की संख्या कम करने, राजनयिक मौजूदगी को कम करने और ठिकानों और इक्विपमेंट्स को अफगान सरकार को सौंपने की योजना बनाई, जैसा कि पिछले प्रशासन ने बातचीत की थी. इसके साथ ही अमेरिकी नागरिकों और अफगान सहयोगियों दोनों को समान रूप से वहां से निकालने की भी योजना बनाई.
खुफिया विफलता भी रहा वापसी में एक कारण
व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि अफगान से निकलने की प्लाननिंग की शुरआत 2021 के वसंत में शुरू हुई और राष्ट्रपति ने अतिरिक्त सैन्य बलों को गर्मियों के मध्य तक क्षेत्र में पहले से तैनात करने का आदेश दिया ताकि जरूरत पड़ने पर उनका प्रयोग किया जा सके. किर्बी ने यह भी कहा कि जब 2021 की शुरुआत में वह वापसी का निर्णय ले रहे थे तो इंटेलिजेंस का आकलन था कि अमेरिकी सेना की वापसी के बाद ही तालिबान की प्रगति में तेजी आएगी.
व्हाइट हाउस से जारी हुई रिपोर्ट का इंतजार लंबे समय से था. रिपोर्ट तालिबान की तेजी से जीत की भविष्यवाणी नहीं कर सकने पर खुफिया विफलता का हवाला भी देती है. जब उनसे कहा गया कि यह इंटेलीजेंस पर गलत खुफिया आंकलन कैसे कहा जा रहा है तब किर्बी ने इस सवाल के जवाब में कहा कि 'किसी भी एजेंसी ने नौ दिनों में तालिबान के अधिग्रहण की भविष्यवाणी नहीं की थी. इसके साथ ही किसी भी एजेंसी ने राष्ट्रपति गनी के तेजी से भागने की भविष्यवाणी नहीं की थी, जिन्होंने 15 अगस्त को उनके जाने तक अफगानिस्तान में रहने के अपने इरादे का संकेत दिया था."
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थित अफगान सरकार का पतन हो गया और तब राष्ट्रपति रहे अशरफ गनी अगस्त 2021 में देश छोड़कर भाग गए थे. अमेरिकी सेना की वापसी के बीच तालिबान ने राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया था. अफगानिस्तान से निकलने के दौरान आईएसआईएस की अफगानिस्तान गुट द्वारा आत्मघाती बम विस्फोट में 13 अमेरिकी सेवा सदस्यों सहित कम से कम 175 लोग मारे गए.
पहले ही पूरा कर लिया था मिशन
किर्बी ने कहा, "किसी भी एजेंसी ने भविष्यवाणी नहीं की थी कि 300,000 से अधिक प्रशिक्षित और सुसज्जित अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा बल देश के लिए लड़ने में असफल होंगे, खासकर अमेरिकी समर्थन के 20 वर्षों के बाद." उन्होंने कहा कि जिस मिशन के लिए अमेरिकी सैनिक मूल रूप से अफगानिस्तान भेजे गए थे, उसे बहुत पहले ही पूरा कर लिया गया था. 9/11 के हमलों का बदला लेने और खास तौर पर ओसामा बिन लादेन और अल-कायदा के जाने के लिए राष्ट्रपति बुश के तहत आदेश दिया गया था. इस मिशन को बहुत पहले ही पूरा कर लिया गया था. असल में अफगानिस्तान से अपनी वापसी को लेकर बाइडेन प्रशासन को, विशेषकर रिपब्लिकनों से, बार-बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.