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विवेकपूर्ण निर्णय को कमजोरी न समझे ईरान: अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार

अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जॉन बोल्टन ने रविवार को ईरान को आगाह करते हुए कहा कि वह अमेरिका की समझदारी को उसकी कमजोरी समझने की गलती न करे. जवाब में ईरान ने कहा कि वह अपने खिलाफ किसी भी तरह के ऐक्शन का करारा जवाब देगा.

जॉन वोल्टन (फाइल फोटो) जॉन वोल्टन (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2019,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST

अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जॉन बोल्टन ने रविवार को ईरान को आगाह करते हुए कहा कि वह अमेरिका की समझदारी को उसकी कमजोरी समझने की गलती न करे. बता दें कि इससे पहले ईरान ने अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया था. जिसके जवाब में अमेरिका ने सैन्य हमलों की बात की थी, लेकिन हमले को आखिरी क्षण में रद्द करने के फैसले को लेकर जॉन बोल्टन ने कहा कि ईरान को राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले को कमजोरी समझने की भूल नहीं करनी चाहिए.

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इजराइल दौरे पर गए जॉन बोल्टन ने इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बैठक से पहले कहा, 'न ईरान को और न ही किसी अन्य शत्रु देश को अमेरिका के विवेक को कमजोरी समझने की भूल करनी चाहिए.' एफे न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, नेतन्याहू के साथ जेरुसलम में एक बैठक के दौरान व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने यह बात कही. बोल्टन ने साफ कहा, 'हमारी सेना में नई ऊर्जा है और वह हर परिस्थिति के लिए तैयार है.' उन्होंने आगे कहा कि ईरान पर हमला नहीं करने का निर्णय अस्थायी है और उसे चाहिए कि वह 'अमेरिका के इस समझदारी भरे निर्णय को कमजोरी समझने की भूल न करें.'

बोल्टन ने इस बात का भी हवाला दिया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के साथ नेतन्याहू के अच्छे संबंध बैठकों के लिए और बुनियादी सुरक्षा मुद्दों पर सुसंगत नीतियों के लिए मायने रखते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान मध्य पूर्व और दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है.

जॉन बोल्टन के इस सख्त संदेश को न सिर्फ ईरान को चेतावनी दिए जाने के तौर देखा जा रहा है, बल्कि यह अमेरिका के मुख्य सहयोगियों को भी इसको लेकर आश्वसत करता है कि व्हाइट हाउस ईरान पर दवाब बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. बता दें कि बोल्टन अपने इजराइली एवं रूसी समकक्ष मीर बेन शब्बत और निकोलाई पत्रुशेव के साथ पहले से तय त्रिपक्षीय मुलाकात के लिए इजराइल में मौजूद थे. इजराइली पीएम नेतन्याहू ने भी अमेरिका का पक्ष लिया. उन्होंने कहा कि क्षेत्र भर के संघर्षों में ईरान की संलिप्तता परमाणु समझौते के परिणामों की वजह से बढ़ गई है.

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इजराइल खाड़ी में अरब देशों के साथ ही ईरान को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है और ईरान पर हमले को अंतिम क्षणों में रद्द किए जाने का ट्रंप का फैसला इस्लामी राष्ट्र के खिलाफ बल प्रयोग की अमेरिका के इरादों पर सवाल खड़ा करता है. बता दें बीते गुरुवार (20 जून) को ईरान द्वारा अमेरिकी ड्रोन को मार गिराए जाने की घटना से अमेरिका एवं ईरान के बीच बढ़ते तनाव नये स्तर पर पहुंच गया है.

ईरान का पलटवार, कहा हर एक्शन का करारा जवाब देंगे

ईरान ने कहा कि वह अपने खिलाफ किसी भी तरह के ऐक्शन का करारा जवाब देगा. तेहरान ने रविवार को युद्ध के जोखिम को लेकर भी आगाह किया.वहीं, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने आरोप लगाया है कि अमेरिका मध्य पूर्व में तनाव को बढ़ा रहा है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी क्षेत्र की समस्याओं के लिए जिम्मेदार है.

गौरतलब है कि ट्रंप के 2015 परमाणु समझौते से बाहर होने के फैसले के बाद से ईरान और अमेरिका में तनाव एक बार फिर बढ़ने लगा है. ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगाए गए. अमेरिका ने बार-बार कहा है कि वह ईरान को परमाणु हथियार बनाने की अनुमति नहीं देगा. अमेरिका के सहयोगी देश इजरायल ने भी समर्थन देने का संकेत दिया है. सऊदी अरब ने भी ईरान का विरोध किया है. वहीं, ईरान के समर्थन में रूस आगे आया है.

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