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अफगानिस्तान की तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार आए दिन महिलाओं और लड़कियों के लिए कोई न कोई फरमान जारी कर देती है. ये दुनियाभर के लिए हैरान करन वाला होता है. इसी के एक फैसले में NGOs में महिला कर्मचारियों पर रोक लगा दी गई है. इसकी दुनियाभर में निंदा हो रही है. इस बीच संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन सहित 12 देशों और यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों ने बुधवार को अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से अपने इस फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है.
तालिबान से क्या बोले 12 देशों के विदेश मंत्री?
ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश मंत्री और यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधियों ने कहा कि वे तालिबान के फैसले से गंभीर रूप से चिंतित हैं. तालिबान का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की महिला कर्मचारियों को प्रतिबंधित करने का आदेश उन लाखों अफगानियों को जोखिम में डालता है जो अपने अस्तित्व के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. हम तालिबान से इस फैसले को तत्काल वापस लेने का आह्वान करते हैं.
'अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की सहायता भी होगी प्रभावित'
उन्होंने कहा कि महिलाएं मानवतावादी और बुनियादी जरूरतों के संचालन के लिए बिल्कुल सटीक हैं. जब तक वे अफगानिस्तान में सहायता प्रणाली में भाग नहीं लेती हैं, तब तक एनजीओ देश के सबसे कमजोर लोगों तक भोजन, दवा और अन्य सामग्री और सेवाएं प्रदान करने में असमर्थ होंगे. यह अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्रदान की जाने वाली मानवीय सहायता को भी प्रभावित करेगा, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय संगठन ऐसी सामग्री और सेवाएँ प्रदान करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों का उपयोग करते हैं.
'महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करे तालिबान'
विदेश मंत्रियों ने बयान में आगे कहा कि हम लड़कियों और महिलाओं के काम पर, स्कूल और विश्वविद्यालय में लौटने और NGO में फिर से काम करने के लिए जारी अफगान लोगों के आह्वान का समर्थन करते हैं, और हम तालिबान से महिलाओं के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकारों का सम्मान करने का आग्रह करते हैं. इसके लिए, हम संयुक्त राष्ट्र के साथ निकट संपर्क में हैं, जो सभी अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं की ओर से भी आग्रह कर रहे हैं कि तालिबान इस फैसले को तुरंत वापस ले. यह किसी भी व्यवधान से बचने और अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के सभी मानवीय कार्यों को जारी रखने के लिए जरूरी है.
गौरतलब है कि तालिबान अफगान लोगों, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों, स्वतंत्रता और कल्याण के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सामान्य संबंधों में हमेशा के अरुचि दिखाता रहा है.
तालिबान ने जारी किया था फरमान
बता दें कि इसी माह अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं के खिलाफ सख्त आदेश जारी किया है. जिसके मुताबिक NGOs में महिला कर्मचारियों पर रोक अफगान में महिलाओं के लिए यूनिवर्सिटी बंद करने की घोषणा की गई है. उच्च शिक्षा मंत्री के एक पत्र के अनुसार, तालिबान ने अफगानिस्तान में युवती और महिलाओं के लिए संचालित यूनिवर्सिटीज को बंद करने की घोषणा की है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अफगान के मंत्री का कहना है कि यह आदेश अगली सूचना तक लागू है और इसके तुरंत प्रभाव से लागू होने की उम्मीद है. तालिबान के नए आदेश के बाद देशभर में किसी भी युवती या महिला को यूनिवर्सिटी में एंट्री नहीं मिल सकेगी.
तीन महीने पहले ही पूरे अफगानिस्तान में हजारों लड़कियों और महिलाओं ने विश्वविद्यालयों में आयोजित एडमिशन टेस्ट दिया था. बता दें कि इससे पहले तालिबान ने अफगान पर कब्जा करने के बाद महिलाओं और युवतियों की शिक्षा को लेकर फरमान जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि पुरुषों के स्कूलों में महिला व युवती नहीं पढ़ सकेंगी. साथ ही इन्हें महिला टीचर ही पढ़ा सकेंगे.
तालिबान को सरकार का दर्जा नहीं देते कई देश
गौरतलब है कि राज्य में सरकार के गठन के बाद से ही तालिबान को दुनिया के कई देश सरकार का दर्जा नहीं देते हैं. उसे आतंकी संगठन मानते हैं. जिसके चलते कई देशों ने अफगान पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हुए हैं. तालिबान ने देश में इस्लामी कानून लागू कर रखा है और महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लागू किए हुए हैं. जिसमें पार्कों, जिमों में महिलाओं की एंट्री पर बैन, काम करने पर बैन आदि शामिल हैं.