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ट्रंप का टैरिफ टेरर! पार्टी की बगावत के बाद अब संसद में घिरे...क्या चुनाव तक सत्ता में टिक पाएंगे ट्रूडो?

अमेरिका में 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे हैं. ट्रंप और ट्रूडो के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं. ट्रंप उन्हें पसंद भी नहीं करते. और तो और, ट्रंप ने कनाडा पर टैरिफ लगाने का ऐलान भी कर दिया है.

जस्टिन ट्रूडो जस्टिन ट्रूडो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:06 PM IST

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की दिक्कतें अब बढ़ने लगी हैं. अब तक विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ा था. लेकिन अब ट्रूडो अपनी पार्टी में भी घिरने लगे हैं. उनकी ही लिबरल पार्टी के कई सांसद उनसे पद छोड़ने को कह रहे हैं. ट्रूडो से मतभेद के कारण कुछ दिन पहले ही डिप्टी पीएम और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने भी इस्तीफा दे दिया था.

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ट्रूडो का विरोध इसलिए भी बढ़ता जा रहा है, क्योंकि कनाडा में अगले साल संसदीय चुनाव हैं. ट्रूडो 2015 से ही सत्ता में बने हैं. लेकिन अब ट्रूडो की लोकप्रियता लगातार कम हो रही है. लिबरल पार्टी के बहुत से नेताओं का मानना है कि अगर ट्रूडो पद से नहीं हटते हैं तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

ट्रूडो की ये मुसीबत तब और ज्यादा बढ़ गई, जब क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने इस्तीफा दे दिया. क्रिस्टिया ने उसी दिन इस्तीफा दिया, जिस दिन उन्हें बजट पेश करना था. उनके इस्तीफे के बाद अब कैबिनेट भी ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव बना रही है. कभी ट्रूडो की सरकार में सहयोगी रहे एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने भी उनसे पद छोड़ देने को कहा है.

ट्रंप का टैरिफ अटैक

अमेरिका में 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे हैं. ट्रंप और ट्रूडो के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं. ट्रंप उन्हें पसंद भी नहीं करते. और तो और, ट्रंप ने कनाडा पर टैरिफ लगाने का ऐलान भी कर दिया है.

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ट्रंप ने साफ कर दिया है कि वो कनाडा और मेक्सिको से अमेरिका आने वाले सभी उत्पादों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे, क्योंकि इन देशों से बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी अमेरिकी सीमा में दाखिल हो रहे हैं. इन देशों से बड़े पैमाने पर ड्रग्स की सप्लाई भी अमेरिका में हो रही है.

माना जा रहा है कि ट्रंप के टैरिफ अटैक को लेकर ही क्रिस्टिया और ट्रूडो के बीच मतभेद थे. अब जब जनवरी में ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं तो ट्रूडो की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने पर ट्रूडो पर राजनीतिक दबाव और बढ़ सकता है.

पार्टी के अंदर भी बगावत

कई महीनों से लिबरल पार्टी के अंदर ट्रूडो का विरोध हो रहा था. अब क्रिस्टिया के इस्तीफे ने इसे और भड़का दिया है. बताया जा रहा है कि लिबरल पार्टी के 60 सांसद ट्रूडो का इस्तीफा मांग रहे हैं.

लिबरल पार्टी के सांसद सीन केसी और एंथनी हाउसफादर ने सार्वजनिक रूप से ट्रूडो को इस्तीफा देने को कहा है. अक्टूबर में ही पार्टी की एक अहम बैठक हुई थी, जिसमें कई सांसदों ने कहा था कि ट्रूडो को पद से हट जाना चाहिए.

ऐसे में जब पार्टी के अंदर ट्रूडो को लेकर बगावत हो गई है तो विपक्ष भी इसे भुना रहा है. विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे ने कहा कि जस्टिन ट्रूडो ने कंट्रोल खो दिया है लेकिन वो सत्ता में बने हुए हैं. एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने भी कहा कि ट्रूडो जनता की रोजमर्रा की समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ हैं.

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लोकप्रियता भी लगातार घट रही

ट्रूडो की लोकप्रियता भी लगातार घट रही है. हाल ही में हुए इप्सोस सर्वे में सिर्फ 33 फीसदी जनता ने ही माना है कि ट्रूडो को प्रधानमंत्री बने रहना चाहिए. यानी, 66 फीसदी ने उनकी लीडरशिप को खारिज कर दिया है.

दूसरी ओर, कंजर्वेटिव नेता पियरे पोइलिवरे की लोकप्रियता बढ़ रही है. सर्वे में शामिल 45 फीसदी लोगों ने प्रधानमंत्री के लिए पियरे को अपनी पहली पसंद बताया है. जबकि, एक चौथाई ने जगमीत सिंह को अपनी पसंद बताया है.

ट्रूडो का विरोध संसद तक ही नहीं

जस्टिन ट्रूडो का विरोध अब सिर्फ संसद या पार्टी तक ही सीमित नहीं रह गया है. अब जनता भी उनसे खासी नाराज है. कनाडा के लोग ट्रूडो के प्रति अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.

लाइव टीवी पर कुछ कनाडाई लोगों ने कहा, प्रधानमंत्री ट्रूडो आपने कनाडा को बर्बाद कर दिया. आपके अंदर आपके पिता की ईमानदारी का एक कण भी नहीं है. आपके आसपास के लोग आपका साथ छोड़कर जा रहे हैं. अब आपके जाने का समय आ गया है.

मीडिया भी ट्रूडो के इस्तीफे की मांग कर रही है. पत्रकार डैनियल बॉर्डमैन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ट्रूडो अब तक की सबसे कमजोर स्थिति में हैं. एक दूसरे पत्रकार कीन बेक्सटे ने कहा, ट्रूडो का इस्तीफा देना कनाडा के हित में है.

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अगले साल चुनाव भी

विपक्ष न सिर्फ ट्रूडो का इस्तीफा मांग रहा है, बल्कि जल्दी चुनाव करने की भी मांग कर रहा है. कनाडा में अगले साल अक्टूबर में चुनाव होने हैं. 2015 से सत्ता में बने ट्रूडो न तो 2019 में बहुमत हासिल कर सके और न ही 2021 में. मगर दूसरी पार्टियों के सहारे उनकी लिबरल पार्टी सत्ता में बनी रही. 

ट्रूडो की पार्टी लगातार कमजोर हो रही है. कनाडाई संसद में कुल 338 सीटें होती हैं और सरकार बनाने के लिए 169 सीटों की जरूरत पड़ती है. ट्रूडो की लिबरल पार्टी के पास अभी 154 सीटें हैं.

अब जब इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा है तो माना जा रहा है कि ट्रूडो अप्रैल तक प्रधानमंत्री पद छोड़ सकते हैं. ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पॉलीमार्केट ने अब 80 फीसदी संभावना जताई है कि ट्रूडो अप्रैल से पहले इस्तीफा दे देंगे. अब राजनीतिक पंडित मानने लगे हैं कि ट्रूडो की सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी.

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