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चीन ने फिर अलापा कश्मीर राग, कहा- भारत और पाकिस्तान बातचीत से सुलझाएं मुद्दा

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान के एक पत्रकार के कश्मीर से जुड़े सवाल पर यह जवाब दिया था.  उन्होंने कहा कि कश्मीर का मामला अतीत इतिहास से जुड़ा हुआ है. इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर और द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार ही शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की जरूरत है. 

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 8:08 AM IST

भारत के पड़ोसी देश चीन ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. चीन ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान को बातचीत के जरिए कश्मीर का मुद्दा सुलझाना चाहिए. इसके साथ ही चीन ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों को स्थिति को और पेचीदा बनाने वाली एकतरफा कार्रवाई से बचना चाहिए.

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान के एक पत्रकार के कश्मीर से जुड़े सवाल पर यह जवाब दिया था. 

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माओ ने कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर चीन का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है. उन्होंने कहा, कश्मीर का मामला अतीत इतिहास से जुड़ा हुआ है. इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, सुरक्षा परिद के संबंधित प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार ही शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की जरूरत है. 

दोनों पक्षों को उन एकपक्षीय कार्रवाई से बचने की जरूरत है, जिससे स्थिति और जटिल बन सकती है. उन्होंने कहा, कश्मीर विवाद को बाचतीच के जरिए सुलझाए जाने के प्रयास करने चाहिए ताकि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाई रखी जा सके.

भारत ने कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को खारिज किया

भारत हमेशा से कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को खारिज करता आया है. भारत का कहना है कि जम्मू कश्मीर से जुड़ा हुआ मामला पूरी तरह से उसका आंतरिक मामला है. 

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भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस साल मार्च में कहा था, चीन सहित अन्य देशों को कश्मीर मामले पर बयानबाजी करने का कोई अधिकार नहीं है. यह भारत का आंतरिक मामला है.

कश्मीर को लेकर भारत, पाकिस्तान के तनावपूर्ण संबंध

कश्मीर विवाद और सीमापार आतंकवाद को लेकर भारत और पाकिस्तान के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत सरकार के फैसले के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध और भी अधिक खराब हो गए थे.

भारत सरकार के इस फैसले के बाद पाकिस्तान ने नई दिल्ली के साथ अपने राजनयिक संबंधों को डाउनग्रेड कर दिया था और भारत के राजूदत को वापस भेज दिया था. दोनों देशों के बीच कारोबार भी ठप हो गया था. 

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