
पाकिस्तान सरकार के साथ हुए अनिश्चितकालीन संघर्षविराम को खत्म करने के बाद से आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) चर्चा में बना हुआ है. दरअसल, पाकिस्तान में इस आतंकी संगठन ने कोहराम मचाया हुआ है. सीमा पर पाकिस्तान के साथ लगातार उलझ रहा है, इसी कड़ी में टीटीपी ने कई हमलों को भी अंजाम दिया.
इन सबके बीच देखने वाली बात यही है कि अब से कई साल पहले पाकिस्तान ने जिस तालिबान की अफगानिस्तान में पैर जमाने में पुरजोर मदद की अब वो ही पाकिस्तान के खिलाफ चाल चल रहा है. पाकिस्तान को लगता था कि अफगानिस्तान में तालिबान राज आने बाद वो रणनीतिक रूप से मजबूत हो जाएगा और अपने कहे अनुसार तालिबान को चला सकेगा. लेकिन पाकिस्तान का यह दांव उल्टा पड़ गया.
टीटीपी आमतौर पर आत्मघाती हमलावरों का इस्तेमाल करता है, जिसके तहत वह पाकिस्तानी सेना के हजारों सैनिकों, आम लोगों को मार चुका है. लेकिन इसी बीच यह भी देखा जा रहा है कि आतंकी संगठन ने अपना नया पैंतरा चलना भी शुरू कर दिया है. तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान अब बंधक बना लेने की रणनीति अपना रहा है. जिसके जरिए वो अपनी मनमानी करा सके. TTP का 'बंधक' अटैक भी अब पाकिस्तान के लिए मुश्किलों का सबब बनता जा रहा है.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के चमन बॉर्डर पर युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. पाकिस्तान के खिलाफ टीटीपी अपनी कार्रवाई को लगातार अंजाम दे रहा है. बीच-बीच में पाक सरहद में घुसकर लोगों को निशाना बनाना और फिर बॉर्डर क्रॉस कर भाग जाना आम सा होता जा रहा है. इस तरह के हमलों में न सिर्फ पाकिस्तानी सेना निशाना बन रही है बल्कि कई आम लोग लोग भी बर्बरता का शिकार हो रहे हैं. रोजाना की हलचल के बीच हाल ही में पाकिस्तान की सेना ने बन्नू में मिलिट्री अफसरों को टीटीपी (तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान) के कब्जे से छुड़ाने के लिए सैन्य कार्रवाई की.
खैबर पख्तूनखवा में स्थित बन्नू काउंटर टेररिज्म सेंटर (CTD) में पाकिस्तानी सेना के हमले में 33 आतंकी मारे गए. इस सैन्य कार्रवाई में पाकिस्तान सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप के 2 कमांडो भी मारे गए. इन सब के बीच पाकिस्तान की सेना ने CTD में बंधक बनाए गए सभी अफसरों को रिहा करवा लिया. बन्नू में ये स्थिति तब पैदा हुई जब रविवार को पाकिस्तान के काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट के अधिकारी टीटीपी के एक वर्कर से पूछताछ कर रहे थे. ये पूछताछ बन्नू कैंटोनमेंट में हो रही थी. तभी टीटीपी के इस मेंबर ने पूछताछ करने वालों पर हमला कर दिया और एक AK-47 छीन ली और फायरिंग करने लगा.
छीनी गई AK-47 के दम पर रिहा कराए टीटीपी के लड़ाके
टीटीपी के इस मेंबर ने छीनी गई AK-47 के दम पर कई आतंकियों को रिहा करा दिया. जिसके बाद तो जैसे बवाल और भी बढ़ गया. रिहा हुए टीटीपी के इन वर्कर्स ने पूरे कम्पाउंड को कब्जे में लेकर सेना और पुलिस के कई अधिकारियों को बंधक बना लिया. दूसरी तरफ तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान सदस्यों की मांग थी कि पाकिस्तान टीटीपी कैदियों को अफगानिस्तान भेजने के लिए सुरक्षित मार्ग मुहैया कराए.
दोनों देशों के बीच सबसे ज्यादा गर्म डूरंड रेखा का मुद्दा है. यह वो लाइन है, जिसे पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ब्रिटिश काल में खींचा गया था. अफगानिस्तान ने इस रेखा को मानने से इनकार कर दिया था. अफगानिस्तान की पिछली सरकारों की तरह ही तालिबान भी इस रेखा को नहीं मानता है. इसी सीमा पर कुछ इलाकों में पाकिस्तान की तरफ से बाड़ लगाई गई है, जिसे तालिबान समय-समय पर उखाड़ फेंकता है.
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान
धीरे धीरे बड़े हुए इस आतंकी संगठन की बात करें तो कई छोटे-छोटे आतंकी संगठनों से मिलकर बना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को पाकिस्तान सेना से मुकाबला करने के लिए तैयार किया गया. साल 2007 में सभी आतंकी संगठनों ने मिलकर टीटीपी को खड़ा किया. जिसे आतंकी बैतुल्ला मसूद की अगुवाई में दिशा मिली. हालांकि कई खुफिया एजेंसियों का मानना है कि इस संगठन का असली मकसद अमेरिका के कई बड़े शहरों को अपना निशाना बनाना है.
आतंकी संगठन अल-कायदा से टीटीपी के गहरे रिश्ते माने जाते हैं. मई 2010 को न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वॉयर पर हुए हमले में टीटीपी का नाम सामने आया था. इस संगठन ने ही ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अमेरिका पर हमले की धमकी दी थी. एक अनुमान के मुताबिक टीटीपी में 30,000 से 35,000 के आसपास लड़ाके हैं.