
इजरायल पर हमास द्वारा जल, थल और नभ से किए गए हमले से ना केवल इजरायल बल्कि पूरा विश्व हैरान हो गया. हमले के बाद से सवाल यह उठ रहे हैं कि कैसे आयरन डोम और मोसाद जैसी खुफिया एजेंसी वाले देश को इस आतंकी हमले की भनक तक नहीं लगी. तमाम वैश्विक सुरक्षा विशेषज्ञ इसे खुफिया एजेंसियों की विफलता करार दे रहे हैं. इजरायली सेना के अनुसार, गाजा पट्टी पर शासन करने वाले हमास के आतंकवादियों ने शनिवार की सुबह गाजा पट्टी से इजरायल में 3,000 से अधिक रॉकेट दागे. इतना ही नहीं हमास के लड़ाके पैराग्लाइडर का उपयोग करके आकाश के जरिए जमीन पर उतरे और फिर समुद्र और जमीन से दक्षिणी इजरायल में प्रवेश कर गए और यहां तक कि कई पर कब्जा भी कर लिया.
पिछले 50 वर्षों के दौरान यह इजरायल पर किया गया सबसे भीषण हमला है जिसमें इजरायल के 700 से अधिक लोगों की अभी तक मौत हो चुकी है जबकि 2 हजार के करीब घायल बताए जा रहे हैं. इजरायल को हमेशा अपनी खुफिया एजेंसियों, घरेलू इकाई शिन बेट (Shin Bet) और विशेष रूप से अपनी जासूसी एजेंसी मोसाद पर गर्व रहा है. लेकिन जब हमास ने यह हमला किया तो किसी को भनक तक नहीं लगी. हमास ने इस हमले के लिए महीनों तक तैयारी की और नभ, थल और जल से किए हमले में किलेबंदी वाली सीमा की सुरक्षा धराशायी कर दी है. तो आइए जानते हैं कि इजरायल से आखिर कैसे और कहां चूक हुई.
Gaza Strip- गाजा पट्टी: 41 KM लंबी जमीन का वो टुकड़ा, जिसके लिए लड़ रहे इजरायल-फिलीस्तीन!
खुफिया एजेंसियों की चूक
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर मानी जाती है जिसके जासूस कई देशों में हैं. इजरायल के पास शिन बेट, इजरायली घरेलू खुफिया सर्विस, मोसाद और इजरायली सेना के होते हुए यह हमला हुआ और किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लगी, यह वाकई में चौंकाने वाला है. इन एजेंसियों के खुफिया एजेंस और मुखबिर ना केवल फिलिस्तीनी आतंकवादी समूहों में हैं बल्कि लेबनान,ईरान, सीरिया और अन्य जगहों पर भी उनकी मौजूदगी है. ये एजेंसियां कई बार इजरायल को खतरे से बचा चुकी हैं. सटीक जानकारी ही नहीं बल्कि अपने दुश्मनों की घर में घुसकर हत्या तक कर चुकी हैं.
अत्याधुनिक तकनीक भी विफल
इजरायल के पास युद्ध और खुफिया जानकारी संबंधित अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी भी है. मजबूत सीमा पर सुरक्षा कैमरे, क्षेत्र में शिन बेट और मोसाद दोनों के कर्मी, अत्याधुनिक थर्मल इमेजिंग/मोशन सेंसर और यहां तक कि बॉर्डर पर आधुनिक फेंसिंग लगी हुई है, लेकिन उसके बावजूद इजरायल पर हमला हुआ. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इज़रायल ईरान का मुकाबला करने और इस्लामिक गणराज्य के परमाणु कार्यक्रम को विफल करने के प्रयासों में इतना तल्लीन हो गया कि उसने फिलीस्तीन की तरफ ध्यान देना ही बंद कर दिया.
टाइम्स ऑफ इज़राइल की एक रिपोर्ट में कहा गया है, 'हाल के वर्षों में इजरायल के डिफेंस फोर्स (IDF) ने यह मान लिया था कि हमास इजरायल पर बड़े हमले नहीं कर सकता है क्योंकि उसे इजरायल की ताकत का अंदाजा है और प्रतिक्रिया डर से वह ऐसा नहीं करेगा. लेकिन हुआ इसके उलट, जिससे आईडीएफ का अनुमान एकदम गलत निकला.
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आयरन डोम भी चूक गया
आयरन डोम को इजरायल का ब्रह्मास्त्र कहा जाता है. हमास के कई रॉकेट्स को आयरन डोम ने ढेर भी किया लेकिन इसके बावजूद कुछ रॉकेट्स इजरायल में कहर बनकर टूटे. दरअसल आयरन डोम प्रणाली एक जमीन से हवा में मार करने वाली कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है जिसे कम दूरी पर रॉकेट हमलों, मोर्टार, तोपखाने के गोले और मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) का मुकाबला करने के लिए देश के कई हिस्सों में तैनात किया गया है.
जब दुश्मन कोई मिसाइल इजरायल की तरफ दागता है तो आयरन डोम सिस्टम एक्टिव हो जाता है और हवा में ही उन मिसाइलों कई किलोमीटर दूर तबाह कर देता है. हालांकि जब एक साथ हजारों मिसाइलें इजरायल की तरफ फायर होती हैं तो इनमें से कुछ बचकर जमीन पर गिर जाती हैं. हालांकि इस बार हमास इजरायल के इस सुरक्षा कवच में कहीं न कहीं सेंध लगाने में कामयाब रहा है.
आयरन डोम के बारे में कहा जाता है कि कि यह किसी भी टारगेट को तबाह करने में इसकी एक्यूरेसी 90 फीसदी तक होती है. आयरन डोम की प्रत्येक बैटरी में एक रडार डिटेक्शन और ट्रैकिंग सिस्टम, एक फायरिंग कंट्रोल सिस्टम और 20 इंटरसेप्टर मिसाइलों के लिए 3 लॉन्चर होते हैं.इजरायल 2011 से इसका प्रयोग कर रहा है. 2006 के लेबनान संघर्ष के दौरान, हिजबुल्लाह द्वारा हजारों रॉकेट दागे गए और हाइफ़ा सहित कई उत्तरी क्षेत्रों पर हमला किया गया, जिसमें कई लोग मारे गए जिसके बाद इसे विकसित किया गया. रडार सिस्टम पर आधारित यह आयरन डोम मिसाइल के रूट और उसकी स्पीड तक पता लगा लेता है. हमास को इस बारे में अच्छी तरह पता था इसलिए उसने एक ही समय में 5 हजार से अधिक मिसाइलें दाग दी ताकि आयरन डोम अगर कुछ मिसाइल को हवा में ही मार गिराता है तो कुछ तो सीमा के अंदर पहुंच जाएंगी.
हमास की अत्याधुनिक ट्रेनिंग की भनक तक नहीं
हमास लगातार अपनी क्रूड रॉकेट तकनीक विकसित कर रहा है और पिछले कुछ वर्षों में इसने तेल अवीव और यहां तक कि यरूशलेम सहित इज़राइल के प्रमुख शहरों को कवर करने वाली मिसाइलों पर काम करना शुरू कर दिया. हमास द्वारा लॉन्च किया गया रॉकेट उसे रोकने के लिए दागी गई तामीर मिसाइल की तुलना में काफी सस्ता है. हमास करीब 2 साल से इजरायल पर हमले की तैयारी में जुटा हुआ था लेकिन आश्चर्य की बात है कि इजरायल को भनक तक नहीं लगी.
अपनी तैयारियों के सबसे पहले हमास ने गाजा में एक डमी इजरायली बस्ती का निर्माण किया, जहां उन्होंने सैन्य लैंडिंग का अभ्यास किया और उस पर हमला करने का प्रशिक्षण लिया, साथ ही उन्होंने युद्धाभ्यास के वीडियो भी बनाए. इन वीडियो को उसने खुद रिलीज भी किया है. इस खास मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान उसके लड़ाकों को जल, थल और नभ से कैसे हमला करना है इसकी ट्रेनिंग दी गई. दूसरी तरफ हमास इजरायल को यह अहसास दिलाता रहा कि वह उससे अब सीधी लड़ाई मोल नहीं लेना चाहता.
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हैंग ग्लाइडर की ट्रेनिंग
इस ट्रेनिंग का असर था कि हमास के लड़ाके इजरायल की धरती पर हैंग ग्लाइडर के जरिए उतरे और भी मौत का ऐसा खूनी खेल खेला कि कोहराम मच गया. रॉयटर्स के मुताबिक, एक कमांडो इकाई ने इजरायली सेना के दक्षिणी गाजा मुख्यालय पर हमला किया और उसके संचार सिस्टिम को अवरुद्ध कर दिया. असर ये हुआ कि सुरक्षा कर्मी और कमांडर एक दूसरे को फोन नहीं कर सके. को कमांडरों या एक-दूसरे को फोन करने से रोक दिया गया. हमास जानता था कि दक्षिण हिस्से में तैनात इजरायली सैनिकों की संख्या कम हैं तो उसने वहां से भी बड़ा हमला किया.
सूत्र ने बताया कि हमास के कई लीडर तक इस बात से अनभिज्ञ थे कि जिन एक हजार लड़ाकों को हमले का प्रशिक्षण दिया जा रहा है उनका मकसद क्या है. इसकी भनक तब लगी जब इजरायल पर हमले के लिए ऑपरेशन बनाया गया और उसे चार हिस्सों में बांटा गया. पहला हिस्से के तहत गाजा से 3,000 रॉकेट दागे गए थे, दूसरे हिस्से में सीमा पर हैंग ग्लाइडर उड़ाने वाले लड़ाकों ने घुसपैठ की जिन्होंने उन इलाकों को सुरक्षित कर लिया जहां सबसे ज्यादा खतरा था.एक विशिष्ट कमांडो इकाई ने उस मजबूत इलेक्ट्रॉनिक और सीमेंट की दीवार पर धावा बोला जो गाजा को बस्तियों से विभाजित करती है और जिसे घुसपैठ को रोकने के लिए इज़राइल द्वारा बनाया गया था.
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हैंग ग्लाइडर के जरिए उतरे
हमास के आतंकियों ने जिस तरह इजरायल में प्रवेश किया उससे साफ होता है कि इसके लिए वह लंबे समय से प्रशिक्षण ले रहे थे. हैंग ग्लाइडर के जरिए उतरने के बाद उन्होंने अंधाधुंध फायरिंग की और कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया जबकि बड़ी संख्या में लोगों को बंधक बनाकर अपने साथ भी ले गए. सोशल मीडिया में जो वीडियो वायरल हो रहे हैं उसमें दिख रहा है कि हथियारों से लैस हमास के आतंकियों ने सेना की वर्दी पहन रखी है. हैंग ग्लाइडर के जरिए वह इजरायल की फेंसिग वॉल को पार किए दाखिल हुए.
ईरान ने की मदद?
हालांकि इस बात के अभी तक कोई सबूत नहीं मिले हैं कि ईरान ने सीधे तौर पर हमास को मदद की थी. लेकिन इजरायल ने आरोप लगाया है कि ईरान इस हमले में शामिल था और उसने ही हमास को प्रशिक्षण, अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराए. एक प्रमुख अमेरिका अखबार ने भी यह दावा किया है कि ईरान ने हमास को मदद की थी. अगर यह बात सही साबित होती है तो फिर एक बार इजरायल की खुफिया एजेंसी की विफलता पर सवाल उठना स्वाभाविक है.