
रूस-यूक्रेन युद्ध के 50 दिन होने को आए हैं, लेकिन पुतिन के तेवर हैं कि ढीले पड़ने के बजाय और ज्यादा सख्त होते जा रहे हैं. और अब वो दुनिया को अपने न्यूक्लियर तेवर दिखा रहे हैं. पुतिन ने एक हफ्ते में दूसरी बार अपने न्यूक्लियर ब्रीफकेस का सार्वजनिक प्रदर्शन किया है.
पहली बार तब जब पुतिन मॉस्को में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने कैथेड्रल पहुंचे थे, तब उनका सीक्रेट न्यूक्लियर ब्रीफकेस उनके साथ था. अब पुतिन का एक और वीडियो सामने आया है जिसमें वे बेलारूस के तानाशाह अलेक्जेंडर लुकाशेंके के साथ हैं और पुतिन के एक बॉडीगार्ड के हाथ में न्यूक्लियर ब्रीफकेस दिख रहा है.
देखने में पुतिन का ये न्यूक्लियर ब्रीफकेस किसी साधारण ब्रीफकेस की तरह ही है, लेकिन इस ब्रीफकेस में न्यूक्लियर हमले से जुड़े दस्तावेज और अलर्ट अलार्म होता है. पुतिन कई बार न्यूक्लियर हमले की धमकियां दे चुके हैं. अब उनके साथ न्यूक्लियर ब्रीफकेस की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो पुतिन की मंशा पर सवाल उठाती हैं.
न्यूक्लियर ब्रीफकेस कैसे काम करता है
इस ब्रीफकेस के जरिए पुतिन न्यूक्लियर अटैक का आदेश दे सकते हैं. रूसी भाषा में पुतिन के इस न्यूक्लियर ब्रीफकेस को चेगेट कहा जाता है, जो रूस के एक पहाड़ के नाम पर रखा गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1983 से ही इस न्यूक्लियर ब्रीफकेस का इस्तेमाल हो रहा है. ये ब्रीफकेस एक स्पेशल कोड के जरिए खुलता है और ये कोड क्या है, ये सिर्फ पुतिन को पता रहता है. इस ब्रीफकेस में लाल और सफेद दोनों ही बटन होते हैं लेकिन हमले का आदेश देने के लिए लाल नहीं बल्कि सफेद बटन दबाना होता है.
इन बटनों का इस्तेमाल करके पुतिन कहीं से भी, किसी भी वक्त, न्यूक्लियर हमले का आदेश दे सकते हैं. रूस के पास इस तरह के तीन ब्रीफकेस हैं, एक राष्ट्रपति के पास, दूसरा रक्षामंत्री के पास और तीसरा आर्मी चीफ के पास. लेकिन न्यूक्लियर हमले का ऑर्डर देने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति पुतिन के पास होता है. इस ब्रीफकेस के जरिए रूस के 6 हजार से ज्यादा परमाणु बमों को कंट्रोल किया जाता है, इसलिए इसे कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है.
पुतिन दुनिया में जहां भी जाते हैं, न्यूक्लियर ब्रीफकेस उनके साथ रहता है, लेकिन इतना लाइमलाइट में नहीं रहता, जितना इन दिनों है. 7 दिन के अंदर पुतिन दूसरी बार एटमी ब्रीफकेस के साथ खुले तौर पर देखे गए हैं. अपने न्यूक्लियर ब्रीफकेस की नुमाइश लगाकर पुतिन अमेरिका और पश्चिमी देशों को खुली चुनौती दे रहे हैं और 49 दिन बाद भी यूक्रेन पर हमले को रूस का Right और अपनी राइट च्वाइस बता रहे हैं.
बाइडेन ने लगाया बड़ा आरोप
माना कि युद्ध में सबकुछ जायज होता है, लेकिन निहत्थे आम नागरिकों को गोलियों से भून देना कायरता ही होती है. माना कि युद्ध में जीतने के लिए किसी भी हद से गुजर जाना गुनाह नहीं माना जाता, लेकिन रिहायशी इलाकों पर मिसाइलें गिराना वॉर क्राइम माना जाता है. माना कि युद्ध के मैदान में दुश्मन देश के सैनिकों को मारना बहादुरी कहलाता है, लेकिन सैकड़ों निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतारना नरसंहार कहलाता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहली बार पुतिन पर यूक्रेन में Genocide यानी जातिसंहार का डायरेक्ट आरोप लगाया है. पुतिन पर बाइडेन के इन आरोपों की गवाही यूक्रेन के शहर दे रहे हैं, जहां रूसी फौज ने तबाही के साथ-साथ आम नागरिकों का खूब खून बहाया है. ताजा केस 8 अप्रैल को क्रामातोर्स्क रेलवे स्टेशन का है, जहां रूसी हमले में 50 से ज्यादा लोग मारे गए. इनमें कई बच्चे भी शामिल थे. इससे पहले 4 अप्रैल को मिकोलेव में एक बाजार पर रूसी फौज ने क्लस्टर बम फेंके, इसमें 30 से ज्यादा लोग मारे गए और ये तो सिर्फ चंद उदाहरण हैं, यूक्रेन का हर शहर रूसी फौज के रक्त चरित्र का पीड़ित भी है और गवाह भी. लेकिन पुतिन के तेवर बता रहे हैं कि उनका दिल अभी भरा नहीं.