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जहाजों पर हमले, हाईजैकिंग और लूट... इजरायल-हमास जंग के बीच क्यों रणक्षेत्र बना समंदर? चिंता भारत के लिए भी है

हूती विद्रोही बीते कई दिनों से लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों को निशाना बना रहे हैं. इस वजह से वैश्विक कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. एक महीने के भीतर हूती विद्रोही दर्जन भर से अधिक बार कमर्शियल जहाजों को निशाना बना चुके हैं.

लाल सागर से गुजरता हुआ शिपिंग कंटेनर (फोटो- AFP) लाल सागर से गुजरता हुआ शिपिंग कंटेनर (फोटो- AFP)
किशोर जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST

इजरायल और हमास में जारी जंग लगातार बढ़ती जा रही है और असर ये है इसकी आंच अब समंदर तक फैल गई है. समुद्र अब कई देशों के लिए एक नया रणक्षेत्र बन गया है. दरअसल ईरान समर्थक यमन के हूती विद्रोहियों (Houthi Rebels) ने हमास का समर्थन खुला समर्थन किया है और वो समुद्र में उन जहाजों को निशाना बना रहे हैं जो या तो इजरायल जा रहे हैं या फिर इजरायल से किसी तरह का संबंध रखते हैं. जहाजों पर बढ़ते हमलों की वजह से वैश्विक समुदाय की टेंशन बढ़ गई है.

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निशाने पर लाल सागर के जहाज

इजरायल और हमास के बीच जंग 7 अक्टूबर को उस समय शुरू हुई थी जब हमास ने इजरायल के अंदर घुसकर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था और 200 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया. इसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया जो अभी तक जारी है. इजरायल लगातार गाजा पट्टी और फिलिस्तीन में हमले कर रहा है और हूती विद्रोही इन्हीं इजरायली हमलों का लगातार विरोध कर रहे हैं.

हूती विद्रोहियों ने बीते दिनों लाल सागर से गुजरने वाले कई जहाजों को अपना निशाना बनाया है और उन पर या तो ड्रोन से हमले किए हैं या लूटपाट की है. इन विद्रोहियों ने धमकी दी है कि जो भी जहाज  इजरायल से किसी भी तरह का संबंध रखेगा वह उस पर वह हमला करेंगे. बीते एक महीने के भीतर हूती विद्रोही दर्जन भर से अधिक बार कमर्शियल जहाजों को निशाना बना चुके हैं.

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कब-कब किया हमला

19 नवंबर: हूती विद्रोहियों ने  लाल सागर में यूके के कार्गो शिप ' गैलेक्सी लीडर' पर हमला कर उसे अपने कब्जे में ले लिया.  इस हाईजैक को अंजाम देने के लिए हूती विद्रोही फिल्मी स्टाइल में बीच समंदर में तैर रहे मालवाहक जहाज 'गैलेक्सी लीडर' पर हेलिकॉप्टर से उतरे और फिर चालक दल को बंधक बना लिया.

3 दिसंबर:  हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले यमन वाले इलाके से इन्होंने बाब अल मंदेब स्ट्रेट में दो इजरायली जहाज को निशाना बनाया था.

12 दिसंबर:  हूती विद्रोहियों ने नॉर्वे के टैंकर स्ट्रिंडा पर एंटी शिप मिसाइल से हमला किया. इस हमले में स्ट्रिंडा टैंकर पर आग लग गई, लेकिन कोई भी हताहत नहीं हुआ.

13 दिसंबर: बाब अल मंदेब स्ट्रेट में भारतीय मालवाहक जहाज को निशाना बनाकर दो मिसाइलें दागी थी, लेकिन गनीमत ये रही कि जहाज निशाना बनने से बाल-बाल बच गया.

22 दिसंबर:  अरब सागर में एक जहाज पर ड्रोन से हमला किया गया है. यह हमला गुजरात के वेरावल से 200 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में किया गया है. हमले के बाद जहाज में आग लग गई. लेकिन समय रहते आग को बुझा दिया गया. यह जहाज सऊदी अरब के एक बंदरगाह से भारत के मंगलौर आ रहा था.  

23 दिसंबर:  23 दिसंबर को दक्षिणी लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन में हूती विद्रोहियों ने एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइलें दागी. किसी भी जहाज के बैलिस्टिक मिसाइलों से प्रभावित होने की सूचना नहीं है.

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भारत के लिए क्यों है चिंता

हूती विद्रोही जिस समुद्री मार्ग पर हमले कर रहे हैं वहां से सबसे ज्यादा कच्चे तेल और अन्य ज़रूरी उत्पादों की आपूर्ति होती है. अगर हूती विद्रोहियों की यह हरकत जारी रहती है तो आने वाले दिनों में ना केवल तेल के दामों में बढ़ोतरी होगी बल्कि जरूरी सामानों के दाम भी बढ़ेंगे. इन हमलों को लेकर भारत भी चिंतित है, क्योंकि इसका असर कारोबार पर पड़ रहा है.

19 दिसंबर को ही पीएम मोदी ने इसे लेकर इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बात की और इस दौरान दोनों नेताओं ने समुद्री यातायात की सुरक्षा को लेकर चिंताएं साझा कीं. कहा जा रहा है कि बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने स्वीकार किया है कि हमले रोकना वैश्विक अर्थव्यवस्था और कारोबार दोनों के हित में है.

वैश्विक कारोबार कैसे हो रहा है प्रभावित

हूती विद्रोहियों की इस हरकत की वजह से समुंद्री मार्ग से होने वाला अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. लाल सागर विश्व का प्रमुख व्यापारिक मार्ग है जहां से ना केवल पश्चिम एशिया बल्कि, अरब, यूरोप, अफ्रीका और भारत भी कारोबार करते हैं. इस मार्ग पर उस पर हूतियों के हमले से वैश्विक सप्लाई बाधित होने का खतरा पैदा हो रहा है और इसका असर भी दिख रहा है. 

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दुनिया की बड़ी मालवाहक कंपनियां अब अपने मालवाहक जहाजों को लाल सागर से नहीं भेज रहे हैं बल्कि उन्हें लंबे मार्ग से भेजा जा रहा है जिससे लागत में बढ़ोतरी हुई है. चूकि अर्थशास्त्र का नियम है कि अगर लागत बढ़ेगी तो उसका असर आज नहीं तो कल अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा. मतबल सीधा असर आम लोगों की जेब तक पहुंच जाएगा.

हूती विद्रोहियों ने लाल सागर को ही क्यों चुना

सवाल ये भी उठ रहा है कि हूती विद्रोहियों ने लाल सागर को ही क्यों चुना? तो इसका जवाब जान लीजिए- लाल सागर से दुनिया का 12 फीसदी कारोबार होता है और प्रतिवर्ष करीब 10 अरब डॉलर से अधिक की कीमत के सामान का एक्सपोर्ट-इंपोर्ट इसी रास्ते से होता है. ऐसा में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में लाल सागर कितनी अहमियत रखता है.

वहीं हूती विद्रोही भी इस बात से भली-भांति वाकिफ हैं और यही वजह है कि उन्होंने हमले के लिए समंदर को चुना है ताकि वैश्विक दुनिया के जरिए इजरायल पर हमास के खिलाफ किए गए युद्ध को खत्म करने का दवाब बनाया जा सके.

अमेरिका ने 20 देशों के साथ किया गंठबंधन

लाल सागर दुनिया के लिए बहुत मायने रखता है और इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अमेरिका ने लाल सागर में जहाजों को हमलों से बचाने में मदद करने के उद्देश्य से 20 देशों को शामिल करते हुए एक नौसैनिक गठबंधन की घोषणा की है. इस गठबंधन में शामिल देश जहाजों की सुरक्षा के लिए सहयोग करेंगे. कोई भीऑपरेशन मौजूदा नौसैनिक समझौतों के हिस्से तहत होंगे.

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