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कोहिनूर को 'जीत की निशानी' के तौर पर डिस्प्ले करेगा ब्रिटिश राजघराना... जानें भारत से लंदन कैसे पहुंचा ये हीरा?

तीन जुलाई 1850 को कोहिनूर को ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के सामने पेश किया गया. इस हीरे को फिर काटा गया और तब उसका वजन घटकर 108.93 कैरेट हो गया. तब ये महारानी के ताज का हिस्सा बना. अभी इसका वजन 105.6 कैरेट है. 

कोहिनूर दुनिया का सबसे बेशकीमती और मशहूर हीरा है. (फाइल फोटो) कोहिनूर दुनिया का सबसे बेशकीमती और मशहूर हीरा है. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

दुनिया का सबसे मशहूर और बेशकीमती 'कोहिनूर' हीरा को ब्रिटेन 'जीत की निशानी' के तौर पर दिखाने जा रहा है. इसे टावर ऑफ लंदन में डिस्प्ले किया जाएगा, जिसे इस साल मई में पब्लिक के लिए खोला जाएगा.

दरअसल, इस साल मई में ब्रिटेन में किंग चार्ल्स III की ताजपोशी होनी है. इस दौरान उनकी पत्नी क्वीन कंसॉर्ट कैमिला कोहिनूर हीरे से जड़ा ताज नहीं पहनेंगी.

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ब्रिटेन के महलों का रखरखाव करने वाली चैरिटी हिस्टोरिक रॉयल पैलेसेज (एचआरपी) का कहना है कि न्यू ज्वेल हाउस एग्जिबिशन कोहिनूर के इतिहास के बारे में बताएगी. कोहिनूर हीरा ब्रिटेन की दिवंगत क्वीन एलिजाबेथ II की मां के ताज में लगा है और इस ताज को टावर ऑफ लंदन में ही रखा जाएगा.

एचआरपी का कहना है कि दिवंगत क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय की मां क्वीन मदर के ताज में जड़े इस कोहिनूर के इतिहास की जानकारी को साझा किया जाएगा. विजुअल प्रोजेक्शन और ऑब्जेक्ट्स के जरिए इस कोहिनूर के इतिहास की जानकारी दी जाएगी. कोहिनूर मुगल साम्राज्य, ईरान के शाह, अफगानिस्तान के अमीर और सिख महाराजों के आधिपत्य से निकलकर किस तरह ब्रिटेन पहुंचा इस इतिहास को साझा किया जाएगा. 

कोहिनूर का फारसी भाषा में अर्थ है माउंटेन ऑफ लाइट. महाराजा रणजीत सिंह के आधिपत्य से यह कोहिनूर क्वीन विक्टोरिया तक पहुंचा और इस हीरे ने ब्रिटेन शासन के वर्चस्व में एक अहम भूमिका निभाई. टॉवर ऑफ लंदन के रेजिडेंट गवर्नर और ज्वेल हाउस के कीपर एंड्रयू जैक्सन ने बताया कि हम 26 मई से नया ज्वेल हाउस खोलने जा रहे हैं, जिसे लेकर हम उत्साहित हैं. इससे लोगों को शाही आभूषणों के बारे में पता चल सकेगा.

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ऐसे में ये जानते हैं कि कोहिनूर हीरे का इतिहास क्या है? ये हीरा भारत से लंदन तक कैसे पहुंच गया? और क्या ये हीरा कभी भारत आ सकता है या नहीं?

क्या है कोहिनूर का इतिहास?

- कोहिनूर दुनिया का सबसे मशहूर और बेशकीमती हीरा है. माना जाता है कि 14वीं सदी में आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा की एक खदान में ये हीरा मिला था. तब इसका वजन 793 कैरेट था. कई सदियों तक इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था.

- हालांकि, समय के साथ-साथ इस हीरे को काटा जाता भी रहा, जिस कारण ये छोटा होता चला गया. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1526 में पानीपत युद्ध के दौरान ग्वालियर के महाराजा बिक्रमजीत सिंह ने अपनी सारी संपत्ति आगरा के किले में रखवा दी थी. बाबर ने युद्ध जीतने के बाद किले पर कब्जा कर लिया और कोहिनूर हीरा भी उसके पास आ गया. तब वो 186 कैरेट का था.

- ऐसा कहा जाता है कि 1738 में ईरानी शासक नादिर शाह ने मुगल सल्तनत पर हमला बोल दिया और इस तरह ये हीरा उसके पास आ गया. इस हीरे को 'कोहिनूर' नाम नादिर शाह ने ही दिया था. इसका मतलब होता है- 'रोशनी का पहाड़.'

- नादिर शाह इस हीरे को अपने साथ ईरान ले गया. 1747 में नादिर शाह की हत्या हो गई. इस तरह ये हीरा उसके पोते शाहरूख मिर्जा के पास आ गया. शाहरूख ने ये हीरा अपने सेनापति अहमद शाह अब्दाली को दे दिया. 

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- अब्दाली इसे लेकर अफगानिस्तान चला गया. अब्दाली का वंशज शुजा शाह जब लाहौर पहुंचा तो उसके साथ कोहिनूर हीरा भी था. इस बारे में जब पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह को पता चला तो उन्होंने 1813 में शुजा शाह से ये हीरा ले लिया. 

क्वीन एलिजाबेथ II. (फाइल फोटो- Getty Images)

अंग्रेजों के पास कैसे पहुंचा ये हीरा?

- महाराजा रणजीत सिंह कोहिनूर हीरे को अपने ताज में पहनते थे. 1839 में उनका निधन हो गया. उनके बाद ये हीरा उनके बेटे दलीप सिंह के पास चला गया. 

- 1849 में ब्रिटेन ने महाराजा को हरा दिया. 29 मार्च 1849 को लाहौर के किले में एक संधि हुई. उस समय दलीप सिंह की उम्र महज 10 साल थी. 

- इस संधि पर महाराजा दलीप सिंह से हस्ताक्षर करवाए गए. समझौते के तहत, कोहिनूर हीरा भी इंग्लैंड की महारानी को सौंपना था. 

- 1850 में उस समय के गवर्नर लॉर्ड डलहौजी कोहिनूर को पहले लाहौर से मुंबई लेकर आए और फिर यहां से ये लंदन पहुंचा. 

- तीन जुलाई 1850 को कोहिनूर को ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के सामने पेश किया गया. इस हीरे को फिर काटा गया और तब उसका वजन घटकर 108.93 कैरेट हो गया. तब ये महारानी के ताज का हिस्सा बना. अभी इसका वजन 105.6 कैरेट है. 

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क्या भारत आ सकता है कभी?

- आजादी मिलते ही भारत ने ब्रिटेन से कोहिनूर वापस देने की मांग की, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद 1953 में एक बार फिर भारत ने ब्रिटेन से कोहिनूर मांगा और इस बार भी मांग खारिज हो गई.

- साल 2000 में लोकसभा और राज्यसभा के कई सांसदों ने पत्र पर हस्ताक्षर कर ये कहते हुए कोहिनूर को वापस मांगा कि इसे अवैध रूप से कब्जाया गया था. इस पर ब्रिटेन का कहना था कि ये 150 सालों से उसकी विरासत है.

- जुलाई 2010 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरून भारत दौरे पर आए थे. इस दौरान हीरा वापस लौटाने की बात पर उन्होंने कहा था, 'अगर आप किसी को हां कहते हैं तो ऐसे तो ब्रिटिश म्यूजियम खाली हो जाएगा.'

- अप्रैल 2016 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि कोहिनूर हीरे को न तो चुराया गया था और न ही जबरदस्ती ले जाया गया था. इसे महाराजा दलीप सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपा था. हालांकि, सरकार के इस जवाब पर सवाल खड़े हुए तो संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि सरकार हीरे को वापस लाने की कोशिश कर रही है.

-  उस वक्त केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि एंटीक्वीटीज एंड आर्ट ट्रेजर एक्ट 1972 के मुताबिक, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया केवल उन्हीं प्राचीन और बेशकीमती चीजों को वापस लाने का मुद्दा उठा सकता है, जिन्हें अवैध तरीके से भारत से बाहर ले जाया गया हो.

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- पिछले साल सितंबर में क्वीन एलिजाबेथ II के निधन के बाद कोहिनूर को वापस लाने की मांग फिर उठी तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, सरकार इस सवाल का जवाब संसद में दे चुकी है. हम इस मसले को समय-समय पर यूके सरकार के सामने उठाते रहे हैं और हम इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.

पाकिस्तान और अफगानिस्तान का भी दावा?

- कोहिनूर हीरे पर पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी दावा करता रहा है. 1976 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने कोहिनूर पर दावा किया था. 

- इसी तरह साल 2000 में अफगानिस्तान में जब तालिबान का शासन था, तो उसने भी कोहिनूर पर दावा कर दिया था. तालिबान का कहना था कि ये हीरा अफगानिस्तान का है और यहां से भारत गया है और भारत से ब्रिटेन.

 

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