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नेपालः विपक्षी दल नहीं हासिल कर पाया बहुमत, केपी शर्मा ओली फिर से बने प्रधानमंत्री

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने विपक्षी दलों को गुरुवार रात 9 बजे तक नई सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत के साथ आने के लिए कहा था, लेकिन विपक्षी धड़ों के बीच गुटबाजी की वजह से आपसी सहमति नहीं बन सकी.

केपी शर्मा ओली फिर से बने नेपाल के प्रधानमंत्री (फाइल-पीटीआई) केपी शर्मा ओली फिर से बने नेपाल के प्रधानमंत्री (फाइल-पीटीआई)
aajtak.in
  • काठमांडु,
  • 14 मई 2021,
  • अपडेटेड 12:37 AM IST
  • राष्ट्रपति भंडारी ने गुरुवार रात 9 बजे तक का समय दिया था
  • ओली 10 को संसद में विश्वास मत नहीं हासिल कर सके
  • सरकार गठन पर विपक्षी गठबंधन में सहमति नहीं बन सकी

केपी शर्मा ओली को फिर से नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है. तमाम कोशिशों के बाद भी नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) का विपक्षी गठबंधन गुरुवार को नई सरकार बनाने के लिए सदन में आवश्यक बहुमत जुटाने में नाकाम रहा. 

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने विपक्षी दलों को गुरुवार रात 9 बजे तक नई सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत के साथ आने के लिए कहा था, लेकिन विपक्षी धड़ों के बीच गुटबाजी की वजह से आपसी सहमति नहीं बन सकी. इससे पहले केपी शर्मा ओली सोमवार को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत नहीं हासिल कर सके थे. विपक्षी गठबंधन में एकमत नहीं होने की वजह से ओली फिर से प्रधानमंत्री बन गए.

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इससे पहले सोमवार को नेपाल की संसद प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत के लिए हुए मतदान में ओली के पक्ष में महज 93 वोट ही पड़े. जबकि विपक्ष में 124 सांसदों ने मतदान किया. ओली की अपनी पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी यूएमएल के 28 सांसद व्हीप का उल्लंघन करते हुए सदन में उपस्थित ही नहीं हुए थे. विश्वास प्रस्ताव के दौरान कुल 232 सदस्यों ने मतदान किया था.

विश्वास मत हासिल नहीं कर सके थे ओली

केपी शर्मा ओली के पक्ष में मतदान के नाम पर जनता समाजवादी पार्टी में भी विभाजन हो गया. उनके आधे सांसदों ने तटस्थ रह कर ओली को अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग दिया जबकि 15 सांसदों ने विरोध में मतदान किया.

पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की अगुवाई वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) ने पार्टी के विभाजन के 3 महीने बाद ओली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था जिसके बाद ओली सरकार को फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ा. राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बीच नेपाल में सोमवार को संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था जिसमें ओली विश्वास मत हासिल नहीं कर सके थे.
 
हालांकि राष्ट्रपति की ओर से नई सरकार के गठन को लेकर दी गई समयसीमा गुरुवार रात 9 बजे हो रही थी, लेकिन इस बीच विपक्षी गठबंधन में कोई सहमति नहीं बन सकी. 

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नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल ने नई सरकार के गठन पर चर्चा करने के लिए काठमांडु में बुधनीलकांठा स्थित निवास पर आज गुरुवार को एक बैठक की थी.

पिछले साल शुरू हुई थी अस्थिरता

दूसरी ओर, प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली और पार्टी के असंतुष्ट नेता माधव कुमार नेपाल ने अपने मतभेदों को दूर करने के अंतिम प्रयास के तहत एक बैठक की.

वहीं शेर बहादुर देउबा की अगुवाई वाली नेपाली कांग्रेस ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री पद के लिए दावा पेश करने का निर्णय लिया था, लेकिन गठबंधन सरकार बनाने की उसकी कोशिशों को ठोस समर्थन नहीं मिला और जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल (जेएसपी-एन) के गुट ने इससे किनारा कर लिया.

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता पिछले साल 20 दिसंबर को शुरू हो गई थी जब राष्ट्रपति भंडारी की ओर से सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट पार्टी (एनसीपी) के भीतर जारी सत्ता संघर्ष के बीच नेपाली पीएम ओली की ओर से संसद भंग करने और 30 अप्रैल तथा 10 मई को नए आम चुनाव कराए जाने के सुझाव के बाद ऐलान कर दिया गया. संसद भंग किए जाने के फैसले से राजनीतिक संकट बढ़ गया और एनसीपी के प्रमुख प्रचंड की अगुवाई में बड़ी संख्या में लोग विरोध में उतर आए. 

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फरवरी में, देश शीर्ष अदालत ने ओली को झटका देते हुए भंग सदन को बहाल करने का आदेश दिया, जो मध्यावधि चुनाव की तैयारी कर रहे थे. चीनी समर्थक रुख के लिए पहजाने जाने वाले ओली ने इससे पहले 11 अक्टूबर, 2015 से 3 अगस्त, 2016 तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में काम किया था, जिस दौरान काठमांडु की नई दिल्ली के साथ संबंध तनावपूर्ण हो गए थे.

 

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