
हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत के करीब 5 दिन बाद लेबनान के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बौ हबीब ने अमेरिका से मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हमें मदद चाहिए. अमेरिका सीजफायर में बड़ी भूमिका निभा सकता है. इस दौरान हबीब ने ये भी बताया कि हसन नसरल्लाह ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक 21 दिन की सीजफायर पर सहमति जताई थी, लेकिन उसके बाद हवाई हमले में उनकी हत्या कर दी गई. उन्होंने कहा कि इस अस्थायी सीजफायर की मांग अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अन्य सहयोगियों द्वारा UN जनरल असेंबली की बैठक के दौरान मांगी गई थी. दरअसल, सीजफायर की मांग उस समय उठी थी जब हिजबुल्लाह ने इजरायल पर पेजर और वॉकी-टॉकी के कई विस्फोटों का आरोप लगाया था.
हबीब ने कहा, 'हमने पूरी तरह से सीजफायर पर सहमति दी थी. लेबनान ने सीजफायर पर सहमति जताई. हमने इस फैसले के बारे में अमेरिका और फ्रांस को भी बताया था.' हबीब के अनुसार, व्हाइट हाउस के सीनियर सलाहकार अमोस होकस्टीन सीजफायर सौदे की बातचीत के लिए लेबनान जाने वाले थे. लेकिन इसी बीच नसरल्लाह की मौत हो गई.
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बता दें कि नसरल्लाह की हत्या 27 सितंबर को कर दी गई थी. इजरायली हमले ने इसकी पुष्टि की थी, जिसके बाद हिजबुल्लाह ने भी नसरल्लाह की मौत की पुष्टि कर दी थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, नसरल्लाह की मौत से एक दिन पहले, अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ, जर्मनी, इटली, जापान, सऊदी अरब, यूएई, यूके और कतर द्वारा एक संयुक्त बयान जारी किया गया था, जिसमें 21 दिन की सीजफायर की मांग की गई थी. हालांकि, नेतन्याहू ने इस सौदे को अस्वीकार कर दिया और कहा कि इजरायल कार्रवाई जारी रखेगा.
'हमें अमेरिका के मदद की जरूरत'
वहीं, जब हबीब से पूछा गया कि क्या क्षेत्र में अमेरिका का प्रभाव घट रहा है, तो उन्होंने कहा, 'वाशिंगटन हमेशा इस मामले में महत्वपूर्ण है.' उन्होंने कहा, 'हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हमें अमेरिका की मदद की आवश्यकता है. चाहे हमें मदद मिले या नहीं, हम अभी निश्चित नहीं हैं, लेकिन अमेरिका इस सीजफायर को लागू करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.' लेबनानी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले लगभग एक साल में सीमा पार संघर्ष में 1,900 से अधिक लोग मारे गए हैं और 9,000 से अधिक घायल हुए हैं, जिनमें से अधिकांश मौतें पिछले दो हफ्तों में हुई हैं.