
1990 के दशक में लोकप्रिय पेजर एक बार फिर दुनियाभर में चर्चा में बना हुआ है. लेबनान और उससे सटे सीरिया के आसपास के इलाकों में मंगलवार को जब एक के बाद एक पेजर में धमाके होने लगे. तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि बहुत बड़ी साजिश के तहत इसे अंजाम दिया जा रहा है. दावे किए जा रहे हैं कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इन पेजर्स में छेड़छाड़ कर उनमें विस्फोटक फिट कर दिया था. कहा जा रहा था कि इन पेजर्स को ताइवान की कंपनी ने मंजूरी दी थी. लेकिन ताइवान की कंपनी ने इस मामले में नया खुलासा किया है.
लेबनान में पेजर्स में हुए धमाकों के बाद इन पेजर्स को बनाने वाली ताइवान की कंपनी गोल्ड अपोलो को कटघरे में खड़ा किया जा रहा था. लेकिन गोल्ड अपोलो को चेयरपर्सन ने कहा कि इन डिवाइसों को उनकी कंपनी ने तैयार नहीं था बल्कि हंगरी की उनकी एक साझेदार कंपनी ने तैयार किया था.
गोल्ड अपोलो का हंगरी की इस कंपनी से क्या है कनेक्शन?
गोल्ड अपोलो के चेयरमैन सु चिंग कुआंग (Hsu Ching Kuang) का कहना है कि गोल्ड अपोलो का हंगरी की कंपनी BAC Consulting KFT से लॉन्ग टर्म पार्टनरशिप है. हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट स्थित यह कंपनी गोल्ड अपोलो के ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करती है.
गोल्ड अपोलो ने जारी बयान में कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में जिन मॉडल्स वाले पेजर्स में ब्लास्ट की बात कही जा रही है. उन्हें हंगरी की इसी कंपनी ने तैयार कर बेचा था.
इस हमले के बाद चर्चा में आई ताइवान की गोल्ड अपोलो कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन कुआंग ने कहा था कि जिन प्रॉडक्ट में ब्लास्ट हुआ है. वह हमारे नहीं थे. उन प्रॉडक्ट के लिए सिर्फ हमारे ब्रांड के नाम का इस्तेमाल किया गया था. हम जिम्मेदार कंपनी है. लेकिन यह घटना बहुत शर्मनाक है.
उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी ने इन पेजर्स को नहीं बनाया था. इन पेजर्स को यूरोप की एक कंपनी ने बनाया था. इस कंपनी के पास हमारी कंपनी का ब्रांड का इस्तेमाल करने का अधिकार है.
मोसाद ने कैसे दिया हमले को अंजाम?
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल ने हिज्बुल्लाह के खिलाफ मोसाद के खुफिया ऑपरेशन के तहत इन पेजर में विस्फोटक फिट कर दिए थे. हिज्बुल्लाह ने ताइवान की Gold Apollo नाम की कंपनी को लगभग 3000 पेजर का ऑर्डर दिया था. लेकिन इन पेजर के लेबनान पहुंचने से पहले ही इनसे छेड़छाड़ कर दी गई. इन पेजर को इस साल अप्रैल से मई के बीच ताइवान से लेबनान भेजा गया था. इससे लगता है कि इस हमले की साजिश को कई महीने पहले अंजाम दिया गया था.
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, ये पेजर ताइवान की कंपनी के AP924 मॉडल के थे. पेजर की जो खेप ताइवान से लेबनान भेजी गई थी, उनमें हर पेजर पर एक से दो औंस का विस्फोटक लगा हुआ था. इस विस्फोटक को पेजर में लगी बैटरी के बगल में लगाया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, लेबनान में दोपहर 3.30 बजे इन पेजर्स पर एक मैसेज आया. इस मैसेज ने पेजर में लगे विस्फोटक को एक्टिवेट कर दिया.
दावा किया जा रहा है कि पेजर डिवाइसों में विस्फोट से पहले कई सेकेंड तक बीप की आवाज सुनाई दी. सूत्रों के मुताबिक, मोसाद ने दरअसल पेजर के अंदर एक छोटा बोर्ड इंजेक्ट किया था, जिसमें विस्फोटक था. इस विस्फोटक को किसी डिवाइस या स्कैनर से डिकेक्ट करना बहुत मुश्किल है.