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तुर्की में भूकंप की तबाही से बचे तो सिर पर छत नहीं, परिवार लेकर दर-दर भटकने को मजबूर लोग

तुर्की में भूकंप की तबाही से किसी तरह जिंदा बचे लाखों लोगों के लिए सिर पर छत ढूंढने की अलग ही चुनौती तैयार खड़ी है. दरअसर राहत कैंपों में जगह की कमी के चलते ये संकट है. लोग बस किसी तरह खुले आसमान के नीचे कहीं ठहर जा रहे हैं.

तुर्की में अस्थाई टैंटों में लोग (फोटो क्रेडिट- Reuters) तुर्की में अस्थाई टैंटों में लोग (फोटो क्रेडिट- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:46 AM IST

भूकंप के चलते केवल तुर्की में लगभग 44 हजार से ज्यादा लोगों को जानें चली गईं. महाविनाशकारी भूकंप की तस्वीरें और मलबे से हफ्ते भर बाद बाहर निकाले जा रहे लोगों की कहानियां रौंगटे खड़े कर दे रही हैं. यहां किसी तरह जिंदा बचे लाखों लोगों के लिए सिर पर छत ढूंढने की अलग ही चुनौती तैयार खड़ी है. दरअसर राहत कैंपों में जगह की कमी के चलते ये संकट है. लोग बस किसी तरह खुले आसमान के नीचे कहीं ठहर जा रहे हैं.

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तुर्की के अधिकारियों का दावा - 20 लाख लोगों को टेंट दि

दक्षिणी तुर्की में बड़े पैमाने पर भूकंप के लगभग तीन सप्ताह बाद भी ओमरान अलस्वेद और उनका परिवार अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं क्योंकि किसी आधिकारिक शिविर में उन्हें जगह ही नहीं मिल पाई है. हालांकि, तुर्की के अधिकारियों के अनुसार, भूकंप से बेघर हुए लगभग 20 लाख लोगों को टेंट, कंटेनर घरों और अन्य सुविधाओं में और क्षेत्र से बाहर रखा जा रहा है, लेकिन 25 वर्षीय अलस्वेद ने कहा कि उनके परिवार को अभी तक लाभ नहीं हुआ है.

बगीचे में रहने को मजबूर लोग

दक्षिण-पूर्व तुर्की में सिएर्ट विश्वविद्यालय में नर्सिंग की पढ़ाई करने वाली अलस्वेद ने कहा, "हमारे घरों को भारी नुकसान पहुंचा है, इसलिए हमने यहां अपने पड़ोस के एक बगीचे में शरण ली है." उन्होंने कहा, "सबसे बड़ी समस्या टेंट की है. 19 दिन हो गए हैं और हमें अभी तक एक भी टेंट नहीं मिला है. हमने टेंट कैंप में जाने के लिए भी आवेदन किया था, लेकिन उन्होंने कहा कि पास के कैंप भरे हुए हैं."   

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ग्रीनहाउस में रह रही महिला

इधर, अंटाक्य के बाहर, किरीखान शहर की सड़क पर, आयसे नाम की एक महिला अपने टूटे घर के पास एक ग्रीनहाउस में रह रही है. क्योंकि अधिकारियों ने उसे टेंट उपलब्ध नहीं होने की बात कही है. आयसे  ने कहा "हमें एक टेंट नहीं मिला, लेकिन हमसे भी बदतर स्थिति में और लोग हैं और मैं चाहती हूं कि वे उन्हें पहले दे दिए जाएं. कम से कम हमारे पास एक ग्रीनहाउस है. मैं अपने बच्चों को लेकर यहां आ गई.". पति ने बच्चों के सोने के लिए घर से बाहर मलबे से एक सोफा खींच कर निकाला था. हमें खाने पीने की चीजें मिल गई हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई टेंट नहीं है. हम इंतजार कर रहे हैं."ृ

तुर्की के आपदा और आपातकालीन प्रबंधन प्राधिकरण (एएफएडी) ने कहा कि तुर्की में भूकंप क्षेत्र में 335,000 से अधिक टेंट लगाए गए हैं और 130 स्थानों पर कंटेनर होम सेटलमेंट्स स्थापित किए जा रहे हैं. भूकंप क्षेत्र से लगभग 530,000 लोगों को भी निकाला गया है.

तुर्की में धरती हिली तो तबाह करके ही रुकी

गौरतलब है कि तुर्की में भूकंप के झटके 6 फरवरी को महसूस किए गए थे. ये झटके एक बार नहीं कई बार आए. तब तक जब तक तबाही नहीं मच गई. पहला झटका सुबह 4.17 बजे आया. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 मैग्नीट्यूड थी. भूकंप का केंद्र दक्षिणी तुर्की का गाजियांटेप था. इससे पहले की लोग इससे संभल पाते कुछ देर बाद ही भूकंप का एक और झटका आया, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मैग्नीट्यूड थी. भूकंप के झटकों का यह दौर यहीं नहीं रुका. इसके बाद 6.5 तीव्रता का एक और झटका लगा. भूकंप के इन झटकों ने मालाटया, सनलीउर्फा, ओस्मानिए और दियारबाकिर सहित 11 प्रांतों में तबाही मचा दी. शाम 4 बजे भूकंप का एक और यानी चौथा झटका आया. इस झटके ने ही सबसे ज्यादा तबाही मचाई. इसके ठीक डेढ़ घंटे बाद शाम 5.30 बजे भूकंप का 5वां झटका आया था.

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