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'चंद्रयान की तरह हैं भारत-अमेरिका के संबंध, चांद और उससे भी परे पहुंचेंगे', बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

अमेरिकी दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंध अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं. वाशिंगटन में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा जयशंकर ने कहा कि ये द्विपक्षीय संबंध चंद्रयान की तरह चांद पर और उससे भी परे पहुंचेंगे.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत-अमेरिका के संबंध अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं और मोदी सरकार इसे एक अलग स्तर पर ले जा रही है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान की तरह, द्विपक्षीय संबंध चंद्रमा और उससे भी आगे तक जाएंगे. जयशंकर ने शनिवार वाशिंगटन में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित 'सेलिब्रेटिंग कलर्स ऑफ फ्रेंडशिप' कार्यक्रम में भाग लिया और अमेरिका के विभिन्न हिस्सों से इंडिया हाउस में एकत्र हुए सैकड़ों भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित किया.

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अमेरिका की जमकर की तारीफ

यहां सैकड़ों भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘आज एक स्पष्ट संदेश है कि हमारा रिश्ता अब तक के उच्चतम स्तर पर है, लेकिन जैसा कि अमेरिका में कहा जाता है कि आपने अभी तक कुछ भी नहीं देखा है, हम इन संबंधों को एक अलग स्तर, एक अलग जगह ले जाने वाले हैं.  जयशंकर ने कहा कि जी20 की सफलता अमेरिका के समर्थन के बिना नहीं हो सकती थी. उन्होंने कहा, “मेजबान के रूप में, जब चीजें अच्छी होती हैं, तो मेजबान को हमेशा श्रेय मिलता है.  लेकिन यदि जी20 के सभी सदस्य देश इस आयोजन की सफलता के लिए काम नहीं करते, तो यह संभव नहीं था.'

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राजीव गांधी और मनमोहन सिंह का किया जिक्र

एस जयशंकर ने राजीव गांधी की अमेरिका यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, 'लोगों को 1985 में राजीव गांधी की (अमेरिका यात्रा) याद है, मैं उस समय यहां था. लोगों को 2005 में डॉ. मनमोहन सिंह की यात्रा याद है जब परमाणु समझौता हुआ था, मैं भी वहां था. लोगों को पीएम मोदी का दौरा याद है. लेकिन मैं यह कह सकता हूं, यह बिल्कुल अलग था और यदि आप मुझसे पूछें कि क्या बदल गया है, तो मैं कहूंगा कि भारत और अमेरिका पहले एक-दूसरे के साथ डील करते थे और अब वे एक-दूसरे के साथ काम करते हैं.'

चांद के पार तक जाएंगे भारत- अमेरिका के संबंध

जयशंकर ने भारतीय-अमेरिकियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘मैं आज इस देश में हूं, खासकर इसलिए मुझे यह कहना चाहिए कि जी20 को सफल बनाने के लिए जो योगदान, जो सहयोग और समझ हमें अमेरिका से मिली, उसकी मैं वाशिंगटन डीसी में सार्वजनिक तौर पर सराहना करना चाहूंगा.तो, शाब्दिक रूप से यह हमारी सफलता हो सकती है, लेकिन मुझे लगता है कि यह जी20 (राष्ट्रों) की सफलता थी. मेरे लिए, यह भारत-अमेरिका साझेदारी की भी सफलता थी… कृपया इस साझेदारी को वह समर्थन देते रहें, जिसकी उसे आवश्यकता है, जिसकी यह हकदार है और जिसकी अपेक्षा है. मैं आपसे वादा कर सकता हूं कि ये संबंध चंद्रयान की तरह चंद्रमा तक, शायद उससे भी आगे तक जाएंगे.'जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच मानवीय संबंध इस द्विपक्षीय संबंध को और अनूठा बनाते हैं.

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उन्होंने कहा, ‘देश एक-दूसरे के साथ व्यापार करते हैं. देश एक-दूसरे के साथ राजनीति करते हैं. उनके बीच सैन्य संबंध होते हैं, वे अभ्यास करते हैं और उनके बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है, लेकिन जब दो देशों के बीच गहरे मानवीय संबंध हों, तो यह पूरी तरह से अलग स्थिति होती है. हमारे संबंधों की यही आज अहम विशेषता है.’ जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के निर्माण में प्रवासी भारतीयों का अत्यधिक योगदान है.

जी 20 को लेकर कही ये बात

उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मैं जिसकी बात कर रहा हूं, वह वास्तव में एक अलग भारत है. जैसा कि आपने दूसरों से सुना है, यह वह भारत है, जो चंद्रयान-3 मिशन को पूरा करने में सक्षम है. यह वह भारत है, जो सबसे शानदार जी20 सम्मेलन आयोजित करने में सक्षम रहा और उसने उन लोगों को गलत साबित कर दिया, जिन्होंने कहा था कि हम 20 देशों को एक साथ नहीं ला पाएंगे.’

 

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