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पाकिस्तान में बवाल के बावजूद गिरेगी मदीना मस्जिद, SC की दो टूक-अपने पैसे से खरीदी हुई जमीन पर बनाएं मस्जिद

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने कराची में अवैध रूप से बनी मस्जिद को गिराने के अपने फैसले को कायम रखा है. मस्जिद प्रशासन ने एक याचिका दायर कर अपील की थी कि अदालत अपने फैसले की समीक्षा करे. अदालत ने ये कहते हुए याचिका खारिज कर दिया कि वो अपना फैसला नहीं बदल सकती.

सुप्रीम कोर्ट ने मदीना मस्जिद को गिराने का आदेश दिया है (Photo- Twitter@AliFerozz) सुप्रीम कोर्ट ने मदीना मस्जिद को गिराने का आदेश दिया है (Photo- Twitter@AliFerozz)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:29 PM IST
  • पाकिस्तान में मस्जिद गिराने का आदेश
  • मस्जिद प्रशासन ने दायर की समीक्षा याचिका
  • कोर्ट ने कहा- नहीं बदल सकते फैसला

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने कराची के तारिक रोड इलाके में स्थित मदीना मस्जिद को गिराने का आदेश बरकरार रखा है. मस्जिद प्रशासन ने एक याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से इसकी समीक्षा की मांग की थी लेकिन अब शीर्ष अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया है. मंगलवार को अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अदालत अपना फैसला नहीं बदल सकती.

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ये मस्जिद तारिक रोड के पास एमेनिटी पार्क की जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई थी. पार्क की जमीन पर एक दरगाह और एक कब्रिस्तान को भी अवैध तरीके से बनाया गया था. इन सभी अवैध निर्माणों को सुप्रीम कोर्ट ने गिराने का आदेश दिया था. पाकिस्तान के न्यूज चैनल जियो टीवी' के मुताबिक, मस्जिद के प्रशासन ने एक याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के 28 दिसंबर के आदेश पर पुनर्विचार की मांग की थी. 

मस्जिद प्रशासन ने पेश की ये दलील

मस्जिद प्रशासन ने अपनी दलील में कहा कि जिला नगर निगम (ईस्ट) ने उसे मस्जिद खाली करने के लिए एक नोटिस जारी किया है, लेकिन चूंकि डीएमसी ईस्ट के पास जमीन का मालिकाना हक नहीं है, इसलिए उसके पास इस तरह के नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं है.

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याचिका में कहा गया, 'मस्जिद के लिए जमीन PECHS (Pakistan Employees Cooperative Housing Society) द्वारा आवंटित की गई थी और निर्माण कानून के अनुसार भवन योजना की मंजूरी के बाद किया गया था. 1994 में मस्जिद के निर्माण के लिए सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की गई थीं.'

'मामला धार्मिक तनाव पैदा कर रहा, वापस लें फैसला'

इस पूरे मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ कर रही है. पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने मंगलवार को कोर्ट से अपील की कि ये मामला धार्मिक तनाव को जन्म दे रहा है, इसलिए वो अपने फैसले की समीक्षा करें. जस्टिस अहमद ने अटॉर्नी जनरल को बताया कि सिंध की सरकार मस्जिद के लिए कोई दूसरी जमीन दे सकती है.

अटॉर्नी जनरल खान ने सर्वोच्च न्यायालय से फैसले को पलटने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें पता है कि मस्जिद के लिए जमीन उपलब्ध कराना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, लेकिन जब तक मस्जिद निर्माण के लिए नई जमीन आवंटित नहीं हो जाती, तब तक मस्जिद को गिराने का फैसला स्थगित किया  जाना चाहिए.

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सिंध सरकार मामले में पक्षकार नहीं है और उन्होंने अनुरोध किया कि चीफ जस्टिस मस्जिद को गिराने का आदेश जारी करने से पहले सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगे.

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'आदेश नहीं ले सकते वापस'

जवाब में जस्टिस अहमद ने कहा, 'यह एक असल समस्या है, हम अपने आदेश वापस नहीं ले सकते.' चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि तब क्या सर्वोच्च न्यायालय को अपने सभी फैसले ऐसे ही रद्द कर देना चाहिए? अगर हम अपने फैसले वापस लेना शुरू कर देंगे तो हमारे सारी मेहनत बेकार जाएगी.

मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस काजी अमीन ने कहा कि इस्लाम अतिक्रमण की गई जमीन पर मस्जिद बनाने की अनुमति नहीं देता है.उन्होंने कहा, 'अगर आपको मस्जिद बनानी है तो अपने पैसों से खरीदी गई जमीन पर बनाएं.'

सुप्रीम कोर्ट ने समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए सिंध सरकार को मामले पर तीन सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है.

कोर्ट के आदेश को दी गई थी चुनौती 

मस्जिद को गिराने के कोर्ट के आदेश को जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (JUI-F) की तरफ से चुनौती दी गई थी. JUI-F सिंध के महासचिव मौलाना राशिद महमूद सूमरो ने पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश और सिंध के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली को चुनौती देते हुए कहा था कि जब तक हम जिंदा हैं, किसी की जुर्रत नहीं कि मस्जिद का एक ईंट भी गिराए.

मौलाना ने कोर्ट को धमकी देते हुए कहा था कि अगर मस्जिद गिरी तो तुम्हारे ओहदे और दफ्तर भी सलामत नहीं रहेंगे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को चुनौती देते हुए कहा था कि वो मस्जिद को गिराने का आदेश बाद में दें, पहले पाकिस्तान के पेट्रोल पंप, स्कूलों और सैनिक छावनियों को गिराने का आदेश दें. 

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