
मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार मोहम्मद मुइज ने 53% से अधिक वोट हासिल करके शानदार जीत हासिल की है. मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है जिन्होंने इस चुनाव में प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) के उम्मीदवार और भारत समर्थक मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया. मुइज्जू वर्तमान में देश की राजधानी माले शहर के मेयर हैं जो चीन के साथ मजबूत संबंधों की वकालत करते रहे हैं.
पीएम मोदी ने दी बधाई
पीएम मोदी ने जीते बाद मुइज्जू को बधाई दी है. उन्होंने एक्स पर लिखा, 'मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर मुइज्जू को बधाई एवं शुभकामनाएं. भारत समय-परीक्षणित भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और हिंद महासागर क्षेत्र में हमारे समग्र सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.'
राष्ट्रपति सोलिह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक संदेश में मुइज्जू को उनकी जीत की बधाई दी और मालदीव के लोगों को "सुंदर लोकतांत्रिक उदाहरण" के लिए धन्यवाद दिया. वहीं मुइज्जू ने कहा कि लोगों ने ज़ोर से और स्पष्ट रूप से जनादेश दिया है.
भारत और चीन के लिए भी नतीजे अहम
यह चुनाव एक ऐसे वर्चुअल जनमत संग्रह में तब्दील हो गया था कि किस क्षेत्रीय शक्ति (भारत या चीन) का हिंद महासागरीय द्वीपसमूह पर दबदबा कायम होगा. मिहारू न्यूज़ के मुताबिक, मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को 46% वोट मिले थे और मुइज्जू ने 18,000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी.
मौजूदा राष्ट्रपति सोलिह, जो 2018 में राष्ट्रपति चुने गए थे उन पर मुइज्जू ने आरोप लगाया था कि उन्होंने भारत को देश में मनमर्जी से काम करने की आजादी दी है. मुइज्जू की पार्टी, पीपुल्स नेशनल कांग्रेस को पूरी तरह से चीन समर्थक के रूप में देखा जाता है. सोलिह ने जोर देकर कहा है कि मालदीव में भारतीय सेना की मौजूदगी केवल दोनों सरकारों के बीच एक समझौते के तहत एक डॉकयार्ड का निर्माण करने के लिए थी और इससे उनके देश की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं होगा.
हालांकि बयानबाजी के बावजूद, मुइज्जू द्वारा भारत को एक अहम स्थान देने की विदेश नीति को बदलने की संभावना नहीं है , बल्कि, चीनी परियोजनाओं का विरोध कम होने की संभावना है. मालदीव पूर्व और पश्चिम के बीच मुख्य शिपिंग मार्ग पर स्थित हिंद महासागर में 1,200 मूंगा द्वीपों से बना देश है.
ये भी पढ़ें: हनीमूनर्स की जन्नत कहलाने वाले इस देश में हो रहे सबसे ज्यादा तलाक, क्यों डिवोर्स के मामले में US से भी आगे है मालदीव?
भारत के हित होंगे प्रभावित?
दरअसल भारत और चीन दोनों के लिए मालदीव रणनीतिक रूप से बहुत मायने रखता है. मालदीव में अपनी मौजूदगी से भारत को हिंद उस हिंद महासागर के एक प्रमुख हिस्से पर नजर रखने की ताकत मिल जाती है जहां चीन अपना प्रभुत्व तेजी से बढ़ा रहा है. चीन जहां बीआरआई, विकास परियोजनाओं में कर्ज और तेल आपूर्ति के जरिए यहां अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है तो वहीं भारत के भी यहां अरबों डॉलर के प्रोजक्ट चल रहे हैं. चुनाव के दौरान जीत हासिल करने वाले मुइज्जू ने खुलकर भारत के खिलाफ बयानबाजी की थी. ऐसे में यह नतीजे जहां चीन को खुश करने वाले हैं, तो वहीं नई दिल्ली की टेंशन भी बढ़ाने वाले हो सकते हैं.
मुइज्जू ने जीत के बाद दिया ये बयान
अपनी जीत के बाद मुइज्जू ने कहा, 'आज के नतीजे से हमें देश का बेहतर भविष्य बनाने और मालदीव की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की ताकत मिली है.अब समय आ गया है कि हम अपने मतभेद भुलाकर एक साथ आगे आएं. हमें एक शांतिपूर्ण समाज तैयार करना है. 'मुइज्जू ने यह भी अनुरोध किया कि सोलिह पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को जेल हटाकर नजरबंद कर दें.'
यह जीत मुइज्जू के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है क्योंकि वह एक कमज़ोर उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे थे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने यामीन को मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सजा काटने के कारण चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था. इस कदम के बाद मुइज्जू को नामांकन अंतिम तारीख से कुछ समय पहले ही एक वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया. यामीन के समर्थकों का कहना है कि उन्हें राजनीतिक कारणों से जेल में डाला गया है.
मुइज्जू की पार्टी के एक शीर्ष नेता मोहम्मद शरीफ ने कहा,'आज का परिणाम हमारे लोगों की देशभक्ति का प्रतिबिंब है. हम अपने सभी पड़ोसियों और द्विपक्षीय साझेदारों से हमारी स्वतंत्रता और संप्रभुता का पूरा सम्मान करने का आह्वान करते हैं. यह मुइज्जू के लिए अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और यामीन की रिहाई का भी जनादेश था.' सितंबर की शुरुआत में पहले दौर के मतदान तक, न तो मुइज्जू और न ही सोलिह को 50% से अधिक वोट मिले थे.
ये भी पढ़ें: मालदीव के भारत विरोधी और चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को 11 साल की जेल
मुइज्जू ने भारत पर कही थी ये बात
मुइज्जू ने वादा किया कि अगर वह राष्ट्रपति पद जीत गए, तो वह मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटा देंगे और देश के व्यापार संबंधों को संतुलित करेंगे. मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री अहमद शाहीद ने चुनाव के नतीजों को भारतीय प्रभाव से जोड़ने की खबरों को खारिज किया है. उन्होंने नतीजों को आर्थिक और शासन की अपेक्षाओं को पूरा करने में सरकार की विफलता के खिलाफ एक सार्वजनिक विद्रोह करार दिया. शाहिद ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि भारत लोगों के दिमाग में बिल्कुल भी था.'
चीन और भारत के लिए अपने पड़ोसियों के बीच प्रभाव की होड़ कोई नई बात नहीं है. चीन को यहां अपनी बेल्ट एंड रोड पहल की वजह से शुरुआती लाभ मिला, लेकिन भारत ने हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में खुद को और अधिक मजबूत किया है. सोलिह ने भारत के साथ अपने संबंधों को स्वीकार किया और उसकी कंपनियों से निवेश और उसकी सरकार से विकास सहायता आमंत्रित की.
कौन हैं मुइज्जू
पेशे से इंजीनियर रहे मुइज्जू ने सात वर्षों तक आवास मंत्री के रूप में कार्य किया था. वह राजधानी माले के मेयर थे तब उन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार लिए चुना गया था. 45 वर्षीय नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने यूनाइटेड किंगडम से सिविल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है, और राजनीति में आने से पहले उन्होंने निजी क्षेत्र में एक इंजीनियर के रूप में काम किया था. राजधानी शहर के मेयर बनने से पहले उन्होंने आवास और बुनियादी ढांचे के मंत्री के रूप में कार्य किया था.
सोलिह को चुनाव के करीब एक झटका लगा जब करिश्माई पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अपनी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी से नाता तोड़ लिया और पहले चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा किया. उन्होंने दूसरे दौर में तटस्थ रहने का फैसला किया था. पीपुल्स नेशनल कांग्रेस के नेता यामीन ने 2013 से 2018 तक अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान मालदीव को चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का हिस्सा बनाया.