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सोलिह की जीत से भारत-मालदीव के रिश्तों में सुधार की उम्मीद

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उम्मीद है इस जीत से मालदीव में लोकतंत्र की वापसी होगी. साथ ही भारत 'पड़ोसी सबसे पहले' नीति के तहत नए नेतृत्व के साथ काम करने को तैयार है.

इब्राहीम मोहम्मद सोलिह इब्राहीम मोहम्मद सोलिह
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 10:38 AM IST

मालदीव राष्ट्रपति चुनाव में मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी उम्मीदवार इब्राहीम मोहम्मद सोलिह को जीत मिली है. सोलिह की पार्टी को निवर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के मुकाबले 58 फीसदी वोट हासिल हुए. सोलिह की जीत भारत के लिहाज से अहम है क्योंकि उन्हें भारत समर्थक माना जाता है, जबकि पूर्व राष्ट्रपति का झुकाव चीन की ओर था.

मालदीव सरकार ने ज्यादातर राजनेताओं को जेल में डाल दिया था. ऐसे में इन दोनों के अलावा कोई भी उम्मीदवार राष्ट्रपति की रेस में शामिल नहीं था. यह वजह रही कि सोहिल को विपक्षी दलों का समर्थन हासिल है. चुनाव जीतने का साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति यामीन से पद छोड़ने और राजनीतिक कैदियों को रिहा करने की अपील की है.

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रिश्तों को मिलेगी मजबूती

इस चुनाव पर भारत और चीन दोनों की नजरें टिकी हुईं थीं क्योंकि ये मुल्क हिंद महासागर से जुड़े देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की फिराक में हैं. भारत ने मालदीव में विपक्षी उम्मीदवार सोलिह को राष्ट्रपति चुनाव जीतने पर बधाई भी दी है. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उम्मीद है इस जीत से मालदीव में लोकतंत्र की वापसी होगी. साथ ही भारत 'पड़ोसी सबसे पहले' नीति के तहत नए नेतृत्व के साथ काम करने को तैयार है.

दिल्ली और मालदीव के रिश्ते चुनाव से ठीक पहले थोड़े तल्ख भी हो गए थे. बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा था कि अगर चुनाव में धांधली होती है तो भारत को मालदीव पर हमला कर देना चाहिए. इसी ट्वीट के बाद मालदीव ने भारत के उच्चायुक्त अखिलेश मिश्र को समन भी किया था.  

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पैर पसार रहा है चीन

पिछले सरकार में चीन लगातार सड़क परियोजनाओं के जरिए मालदीव में अपने पैर पसार रहा था. साथ ही पिछले दिसंबर में दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत करने के लिए मुक्त व्यापार समझौता भी साइन किया गया था. हाल के दिनों में मालदीव वैश्विक राजनीति के लिहाज से भारत और चीन के लिए काफी अहम हो गया है.

मालदीव में 45 दिनों तक लगी इमरजेंसी के दौरान भारतीय कामगारों के लिए नियमों को सख्त किया गया था. यहां तक कि पिछले दिनों मालदीव ने बचाव अभियान के लिए भेजे गए 2 भारतीय हेलिकॉप्टर भी वापस भेज दिए थे. लेकिन अब शायद नई सरकार के साथ भारत के संबंधों में मजबूत दिखेगी, क्योंकि इब्राहीम मोहम्मद सोलिह ने हमेशा भारत से संबंध सुधारने की वकालत की है.

कौन हैं इब्राहीम सोलिह

साल 1994 में पहली बार जीतकर संसद पहुंचे इब्राहीम मोहम्मद सोलिह की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी बनाने में अहम भूमिका रही है. साथ ही 2003 से लेकर 2008 के बीच उन्होंने देश में राजनीतिक सुधारों के लिए आंदोलन भी चलाया था. इन्हीं के प्रयासों से देश में लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान को मजबूती मिल सकी है. वो साल 2011 से MDP संसदीय समूह के नेता हैं.

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