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भारतीय सैनिकों की वापसी से पहले मालदीव ने तुर्की से खरीदा ड्रोन, इकोनॉमिक जोन की करेगा निगरानी

पिछले दिनों मालदीव और भारत के संबंधों में आई खटास और देश से भारतीय सैनिकों की वापसी के फैसले के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू रक्षा प्रणालियों पर जोर देते दिख रहे हैं. मालदीव ने पहले हथियारों के संबंध में चीन के साथ समझौता किया और अब तुर्की से ड्रोन खरीदे हैं.

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (फाइल फोटो) मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST

मालदीव (Maldives) ने हिंद महासागर में अपने इकोनॉमिक जोन में गश्त के लिए तुर्की से ड्रोन खरीद लिए हैं. मालदीव ने यह खरीदारी चीन से नॉन-लीथल यानी गैर-घातक हथियार प्राप्त करने के लिए हुए एक रक्षा समझौते के बाद की है. मालदीव सरकार अगले हफ्ते ड्रोन का संचालन शुरू कर सकती है. एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ड्रोन कितनी संख्या में आएगा, इसके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी ना तो मालदीव रक्षा मंत्रालय और ना ही विदेश मंत्रालय ने दी है.

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चीन समर्थक मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन से वापस आने पर संकेत दिया था कि सरकार निगरानी ड्रोन हासिल करने के बारे में सोच रही है.

मालदीव में पहली बार सैन्य ड्रोन

ड्रोन खरीदने के लिए सरकार ने तुर्की की एक कंपनी के साथ एक समझौता किया और पहली बार मालदीव में सैन्य ड्रोन लाए गए हैं. ड्रोन 3 मार्च को मालदीव पहुंचाए गए थे. न्यूज पोर्टल Adhadhu की रिपोर्ट के मुताबिक मामले से जुड़े एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि मौजूदा वक्त में ड्रोन नूनू माफारू इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हैं.

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चीन से लौटने के बाद मुइज्जू की थी रक्षा पर बात

जनवरी में, चीन की यात्रा से लौटने के बाद वेलाना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए, मुइज्जू ने भारत का नाम लिए बिना अपने देश की रक्षा के बारे में कई दावे किए थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि भले ही हमारे द्वीप छोटे हैं, हम नौ लाख वर्ग किलोमीटर के एक बहुत बड़े विशेष इकोनॉमिक जोन के साथ एक विशाल देश हैं. मालदीव एक ऐसा देश है, जो इस महासागर का सबसे बड़ा हिस्सा रखता है. यह महासागर किसी खास देश की संपत्ति नहीं है.

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4 मार्च को, मुइज्जू ने कहा था कि हम मालदीव के जल क्षेत्र के लिए 24/7 मॉनीटरिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए इस महीने काम कर रहे हैं, जिससे बड़े क्षेत्र के बावजूद इसके विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone) पर नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके.

हालांकि यह पहली बार है कि मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के लिए ऐसे ड्रोन हासिल किए गए हैं और सरकार ने इस मामले पर कोई जानकारी नहीं दी है. बता दें कि ड्रोन खरीदने के लिए देश के आकस्मिक बजट से 37 मिलियन अमेरिकी डॉलर (MVR 569.8 मिलियन) आवंटित किए गए थे. रक्षा मंत्रालय ने बाद में कहा कि सरकार सड़क, समुद्र और हवाई मार्ग से मालदीव की रक्षा और सुरक्षा के लिए एमएनडीएफ के लिए आधुनिक "प्लेटफॉर्म और उपकरण" खरीद रही है.

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बुधवार की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान रक्षा मंत्रालय ने ड्रोन खरीदने के समझौते की जानकारी देने से इनकार कर दिया था. विदेश मंत्रालय ने भी अब तक इस मामले पर कोई जानकारी नहीं दी है.

यह घटनाक्रम मालदीव सरकार द्वारा देश के तीन विमानन प्लेटफार्मों में एक से भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए निर्धारित तारीख 10 मार्च की समय सीमा से पहले हुआ है. इस हफ्ते की शुरुआत में, राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा कि 10 मई के बाद कोई भी भारतीय सैनिक  नागरिक ड्रेस में भी देश के अंदर मौजूद नहीं रहेगा यानी दस मई तक सभी प्लेटफॉर्म्स से भारतीय सैनिकों की वापसी हो जाएगी.

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