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'लगा मौत हो जाएगी...' Office की लिफ्ट में फंसा युवक, रात भर चिल्लाता रहा

एक शख्स के लिए ऑफिस की लिफ्ट मुसीबत का सबब बन गई. वो ऑफिस की लिफ्ट में फंस गया और रात भर मदद के लिए चिल्लाता रहा. लिफ्ट में बंद होने पर उसकी जान पर बन आई. उसे लगा अब वो जिंदा नहीं बचेगा. उसकी 'खौफनाक' कहानी सुर्खियों में है. शख्स को लगा कि लिफ्ट के अंदर ऑक्सीजन नहीं मिल पाएगी और उसकी सांसे रुक जाएंगी.

ऑफिस की लिफ्ट में फंस गया शख्स (सांकेतिक फोटो- गेटी) ऑफिस की लिफ्ट में फंस गया शख्स (सांकेतिक फोटो- गेटी)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 29 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 1:39 PM IST
  • लिफ्ट में शख्स की जान पर बन आई थी
  • शख्स को लगा कि अब वो जिंदा नहीं बच पाएगा

लिफ्ट की वजह से लोगों को सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से राहत मिलती है. लेकिन एक शख्स के लिए यही लिफ्ट मुसीबत का सबब बन गई. दरअसल, शख्स ऑफिस की लिफ्ट में फंस गया था. रात भर वो मदद के लिए चिल्लाता रहा. लिफ्ट में बंद शख्स की जान पर बन आई थी. उसे लगा अब वो जिंदा नहीं बचेगा. खुद उसने अपनी इस 'खौफनाक' कहानी के बारे में बताया है.

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'द मिरर' के मुताबिक, 27 साल के पैरालीगल अज़ीज़ुल रेहान 17 जुलाई को ब्रिटेन के पोर्ट्समाउथ स्थित एक बिजनेस सेंटर की लिफ्ट में फंस गए थे. उन्हें पूरी रात (7 घंटे से अधिक) लिफ्ट में ही बितानी पड़ी. रेहान रात भर मदद के लिए चिल्लाते रहे. उन्हें लगा कि अब वह नहीं बच पाएंगे. 

रेहान को डर था कि लिफ्ट के अंदर ऑक्सीजन नहीं मिल पाएगी और उनकी सांसे रुक जाएंगी. लिफ्ट के गिरने का भी खतरा था. रेहान ने इसे अपने 'जीवन की सबसे भयानक रात' के रूप में वर्णित किया है. उन्होंने कहा- 'यह एक बहुत ही भयानक अनुभव था. मुझे लगा कि लिफ्ट के तार टूट गए हैं या कट गए हैं और मैं नीचे गिरने वाला हूं. मैंने सोच लिया था कि मेरे साथ कुछ बुरा होगा.'

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कैसे लिफ्ट में फंसे?

रेहान कहते हैं कि मैंने ग्राउंड पर जाने के लिए लिफ्ट का बटन दबाया, लेकिन लिफ्ट अचानक जोर-जोर से हिलने लगी और एक जगह पर रुक गई. रेहान ने फिर आपातकालीन बटन दबाई लेकिन कोई मदद नहीं मिली. उन्होंने तमाम कोशिश की कि किसी तरह लिफ्ट का दरवाजा खुल जाए, लेकिन सफलता नहीं मिली. रात के 11 बज चुके थे और रेहान की हिम्मत जवाब देने लगी. 

बकौल रेहान- मैं पूरी रात मदद के लिए चिल्ला रहा था, लेकिन कोई भी आसपास नहीं था.' रेहान ने कहा कि सुबह के 5 बजते-बजते मेरी जान पर बन आई थी. किसी तरह जान बच गई, लेकिन मुझे इलाज की जरूरत पड़ गई. आज भी Claustrophobia की (बंद जगहों का डर) थेरेपी ले रहा हूं. 

जब सुबह ऑफिस के कर्मचारियों ने रेहान को लिफ्ट से बाहर निकाला तो शुरुआती 30 मिनट डर के चलते उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकला. 

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