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12 महिलाओं से की इस शख्स ने शादी, 102 बच्चों का बन गया पिता

12 पत्नियों के पति ने लोगों को 4 से ज्यादा शादी नहीं करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि जो लोग 4 से ज्यादा शादियां करना चाहते हैं मैं उन लोगों को ऐसा ना करने की सलाह देता हूं. क्योंकि चीजें बिगड़ने लगती है. शख्स ने अब पत्नियों को भी प्रेग्नेंसी से बचने की सलाह दी है.

16 साल की उम्र में शख्स ने की पहली शादी (Credit- GettyImages) 16 साल की उम्र में शख्स ने की पहली शादी (Credit- GettyImages)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

एक शख्स की 12 पत्नियां और 102 बच्चे हैं. वह 67 साल का है और अब उन्होंने फैसला कर लिया है कि वह अपने परिवार को और आगे नहीं बढ़ाएंगे. इतने बड़े परिवार के पालन-पोषण में होने वाले खर्चे की वजह से वह नहीं चाहता है कि आगे किसी और बच्चे का भी जन्म हो.

युगांडा के बुगिसा के रहनेवाले 67 साल के मूसा हसहया ने 12 पत्नियों को गर्भनिरोधक गोली का इस्तेमाल करने को कहा है. उन्होंने कहा- मैं और बच्चों का पालन-पोषण नहीं कर सकता हूं क्योंकि संसाधन सीमित हैं. इसलिए जो पत्नियां अभी प्रेग्नेंसी की उम्र में हैं मैंने उन सभी को यह सलाह दी है वे गर्भनिरोधक गोली का सेवन करें.

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मूसा ने आगे कहा- जो लोग 4 से ज्यादा शादियां करना चाहते हैं, मैं उन लोगों को ऐसा ना करने की सलाह देता हूं. क्योंकि चीजें बिगड़ने लगती है. बता दें कि मूसा के 568 पोते-पोतियां भी हैं. ये सभी लोग 12 बेडरूम के एक घर में साथ रहते हैं. 

मूसा ने कहा कि वह अपने सभी बच्चों और पोते-पोतियां को नाम से नहीं जानते हैं. उन्होंने साल 1971 में हनीफा से पहली शादी की थी. तब मूसा 16 साल के थे और उन्होंने स्कूल छोड़ दिया था. दो साल बाद ही वह पहली बार पिता बने. तब हनीफा ने लड़की को जन्म दिया था.

गांव के चेयरपर्सन और बिजेनसमैन होने के नाते मूसा ने कहा कि तब वह अपनी फैमिली को बढ़ाना चाहते थे क्योंकि उनके पास पैसे और जमीन थी. उन्होंने कहा- मैं कमाई कर सकता था, इसलिए मैंने ये फैसला किया कि मैं और शादियां करूंगा और परिवार को बड़ा करूंगा.

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हालांकि, अब मूसा सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं. वह कहते हैं कि सभी बच्चों की पढ़ाई के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं. लेकिन इतना बड़ा परिवार होने के बावजूद मूसा की फैमिली बताती है कि आमतौर पर उन्हें दिक्कत नहीं होती है.

हनीफा ने कहा- वह सबकी सुनते हैं, वह फैसले तक पहुंचने की जल्दी में नहीं होते हैं. वह सभी पक्ष की दलील जरूर सुनते हैं. वह हम सभी को एक बराबर ही ट्रीट करते हैं.

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