
कनाडा की लिबरल पार्टी ने मार्क कार्नी (Mark Corney) के तौर पर अपना नया नेता चुन लिया है. वह जस्टिन ट्रूडो की जगह प्रधानमंत्री बनेंगे. बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रह चुके कार्नी को ऐसे समय में लिबरल पार्टी ने अपना नेता चुना है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से कनाडा जूझ रहा है.
मार्क कार्नी को डोनाल्ड ट्रंप का विरोधी माना जाता है. प्रधानमंत्री की रेस में क्रिस्टिया फ्रीलैंड जैसे प्रमुख दावेदार को पछाड़कर कार्नी के जीतने की वजह ट्रंप विरोधी माना जा रहा है.
लिबरल पार्टी का नेता चुने जाने के बाद मार्क कार्नी ने डोनाल्ड ट्रंप पर पलटवार करते हुए कहा कि अमेरिका कनाडा नहीं है. कनाडा कभी भी अमेरिका का हिस्सा नहीं बन सकता. अमेरिकी सरकार कनाडा के संसाधन, पानी और जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं. अगर वे इसमें कामयाब हो गए तो हमारी जिंदगी तबाह कर देंगे.
डॉलर के बदले डॉलर का नारा
मार्क कार्नी कनाडा के पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे, जिन्हें राजनीति का अधिक अनुभव नहीं है. उनका ना कोई राजनीतिक बैकग्राउंड है और ना ही वह कभी कोई चुनाव लड़े हैं. वह बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के साथ-साथ G7 ग्रुप की अगुवाई भी कर चुके हैं.
कार्नी ने अमेरिका के खिलाफ डॉलर के बदले डॉलर का भी नारा दिया था.
अर्थशास्त्री के तौर पर मार्क कार्नी कई मौकों पर कह चुके हैं कि अगर कनाडा की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली अमेरिकी नीतियों का जवाब देना है तो डॉलर के बदले डॉलर एकदम सटीक रहेगा. जिस तरह से ट्रंप कनाडा की इकोनॉमी को कमजोर कर कनाडाई डॉलर को नुकसान पहुंचा रहे हैं. हमें भी अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देनी होगी.
मार्क कार्नी 2009 में बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर थे. यह वो समय था जब दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं मंदी की मार से उभर रही थीं. ऐसे में कार्नी ने कहा था कि अमेरिकी डॉलर बहुत डॉमिनेट है और ग्लोबल डिजिटल करेंसी के जरिए डॉलर के वर्चस्व को चुनौती दी जानी चाहिए.
मार्क कार्नी ने लिबरल नेता चुने जाने पर साधा ट्रंप पर निशाना
कनाडा की लिबरल पार्टी का नेता चुने जाने पर मार्क कार्नी ने कहा कि मुझे कनाडा पर गर्व है. कनाडा के नागरिकों पर गर्व है. जब तक हम एकजुट रहेंगे, कनाडा का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकेगा. कनाडा की सरकार ट्रंप के टैरिफ का माकूल जवाब दे रही है. लेकिन हम चुप नहीं रहेंगे. हम ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे हितों की रक्षा हो और कोई भी हमारे देश की तरफ आंख उठाकर नहीं देख सके.
कार्नी ने कहा कि लिबरल पार्टी मिलकर ट्रंप के नापाक इरादों के खिलाफ लड़ेगी. मुझे लगता है कि मेरी जिंदगी के मुश्किल हालातों ने मुझे इस समय के लिए तैयार किया है कि मैं देश का मार्गदर्शन कर सकूं और इस मुश्किल घड़ी से देश को बाहर निकाल सकूं. हमें मिलकर बड़े बदलाव करने हैं और उन ताकतों को दिखा देना है कि हम आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं.
मार्क कार्नी ने कहा कि अब मैं उनका जिक्र करना चाहता हूं, जो हमारे देश की इकोनॉमी को कमजोर करने पर तुले हैं डोनाल्ड ट्रंप. वह गलत तरीके से हम पर टैरिफ लगा रहे हैं. वह कनाडा के परिवारों और बिजनेस पर हमला कर रहे हैं और हम उन्हें सफल नहीं होने दे सकते. मुझे गर्व है कि कनाडा जिस तरह से इसके खिलाफ आवाज उठा रहा है.
ट्रंप के टैरिफ वॉर का कैसे करेंगे मुकाबला?
मार्क कार्नी ऐसे समय पर बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर थे जब पूरी दुनिया मंदी का सामना कर रही थी. लेकिन वह कनाडा को इस संकट से सफलतापूर्वक बाहर निकालने में कामयाब रहे थे. यही वजह है कि लिबरल नेता की रेस में कद्दावर नेताओं के होने के बावजूद उन्हें चुना गया.
लिबरल पार्टी को पता है कि डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर का मुकाबला बेहतर तरीके से कर पाएंगे. उनका डॉलर के बदले डॉलर का नारा इसका प्रमाण है.
कार्नी ने पार्टी नेता चुने जाने पर ट्रंप पर देश की अर्थव्यवस्था को कमतर करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कनाडा को एक ऐसे मुल्क की वजह से मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं, जिन पर हम अब भरोसा नहीं कर सकते.
कार्नी ने कहा कि जब तक अमेरिका हमारे प्रति सम्मान नहीं दिखाता. हम भी अमेरिका पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाएंगे. नई चुौतियों से नए विचार और नए प्लान सामने आते हैं. वह (ट्रंप) हम पर हमले कर रहे हैं तो हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे. जिस तरह से हॉकी में हम हमेशा उन पर भारी पड़ते हैं.
कौन हैं मार्क कार्नी?
मार्क कार्नी का जन्म कनाडा के फोर्ट स्मिथ में हुआ था. उनका बचपन एडमंटन में बीता. इसके बाद वे अमेरिका गए और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की. इसके बाद में वहां से ब्रिटेन चले गए, जहां उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पहले मास्टर डिग्री और फिर 1995 में अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की. कार्नी को 2008 में बैंक ऑफ कनाडा का गवर्नर नियुक्त किया गया था.
उनके नेतृत्व को जल्दी ही पहचान मिली और 2010 में टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया के 25 सबसे प्रभावशाली नेताओं में शामिल किया. 2011 में रीडर्स डाइजेस्ट कनाडा ने उन्हें सबसे विश्वसनीय कनाडाई का खिताब दिया और 2012 में यूरोमनी पत्रिका ने उन्हें सेंट्रल बैंक गवर्नर ऑफ द ईयर घोषित किया. 2013 में कार्नी बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर बने. इस संस्था के 300 साल के इतिहास में इसका नेतृत्व करने वाले पहले गैर-ब्रिटिश नागरिक बन गए. उन्होंने 2020 तक इस पद पर काम किया. कार्नी के पास कनाडा, ब्रिटेन और आयरलेंड की नागरिकता है.