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PAK में तख्तापलट की बरसी पर नवाज शरीफ की बेटी ने मुशर्रफ पर कसा तंज

12 अक्टूबर 1999- यही है वो तारीख जिस दिन जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्ता पलटा था और साथ ही खुद को पाकिस्तान का चीफ एक्जीक्यूटिव घोषित कर दिया था. ये तख्ता-पलट बना किसी खून-खराबे के हुआ था.

मरियम नवाज मरियम नवाज
अनिल कुमार/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 9:04 PM IST

12 अक्टूबर 1999- यही है वो तारीख जिस दिन जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्ता पलटा था और साथ ही खुद को पाकिस्तान का चीफ एक्जीक्यूटिव घोषित कर दिया था. ये तख्ता-पलट बना किसी खून-खराबे के हुआ था. उस तख्ता पलट के 17 साल बाद आज हालात ये है कि पूर्व फौजी तानाशाह शासक मुशर्रफ को खुद अपने देश से भागकर विदेश में रहना पड़ रहा है. वहीं पाकिस्तान में आज उसी शख्स यानी नवाज शरीफ की हुकूमत है जिनका तख्ता मुशर्रफ ने पलटा था.

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मुशर्रफ इन दिनों अमेरिका में है और शरीफ इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हैं. 1999 तख्तापलट की बरसी पर पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम शरीफ ने ट्वीट के जरिए मुशर्रफ पर तंज कसा है. मरियम ने ट्वीट में कहा है- "हालांकि खुदा की चक्की धीरे धीरे पीसती है. लेकिन वो पूरी सफाई के साथ सभी को पीसती है. कुछ के लिए ये बदले के तौर पर ऊपरवाले का इंसाफ होता है." मरियम ने अपनी बात को साफ करने के लिए दो फोटोग्राफ भी अपलोड किए. एक फोटो में सैनिक 12 अक्टूबर को सरकारी इमारतों पर कब्जा करते दिख रहे हैं. वहीं दूसरी फोटो नवाज शरीफ की सत्ता में वापसी की है.

नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल (एन) ने भी अपने अधिकृत फेसबुक पेज और वेबसाइट पर मुशर्रफ पर निशाना साधा है. साथ ही तख्तापलट के बाद मुशर्रफ के कार्यकाल को पाकिस्तान का 'काला अध्याय' बताया.

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पार्टी ने लिखा है- "उनके कार्यकाल में राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया गया, देशनिकाला दिया गया और यहां तक कि कत्ल भी किया गया. 'आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई' के नाम पाकिस्तान के राष्ट्रीय हितों से बुरी तरह समझौता किया गया."

पार्टी ने ये भी लिखा कि बिजली का सबसे बुरा संकट मुशर्रफ के कार्यकाल का ही नतीजा है. मुशर्रफ के 8 साल के कार्यकाल में एक भी ऊर्जा प्रोजेक्ट शुरू नहीं किया गया था. पीएमएल (एन) ने लिखा- "लोगों ने पहले 2008 में पंजाब प्रांत में उसे चुनकर मुशर्रफ को नकारा. फिर केंद्र में भी 2013 में पीएमएल-एन को अवाम ने सत्ता सौंपी. पाकिस्तान के लोग इसी तरह तानाशाही को जवाब देते हैं."

पीएमएल (एन) के पार्टी स्तर पर जश्न के माहौल से इतर देखा जाए तो ये साफ नहीं है कि क्या नवाज शरीफ सरकार खुद को पाकिस्तानी सेना के प्रभाव से खुद को पूरी तरह मुक्त करने में सफल हो पाई है. नई दिल्ली का इस्लामाबाद का गोपनीय आकलन ये है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एक बार फिर सेना के जनरलों के साथ टकराव की मुद्रा में हैं.

खुफिया इनपुट्स के मुताबिक भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद नवाज शरीफ देश की घरेलू और विदेश नीति को लेकर सारे अधिकार खुद के हाथ में रखने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि नवाज शरीफ अपनेबेटे और बेटी का नाम पनामा लीक्स में आने के बाद से बैकफुट पर माने जा रहे थे. ऐसे में समझा जा रहा था कि घरेलू और विदेश नीति पर सेना की ही चल रही थी. ये देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान में आखिरी बाजी किसके हाथ रहेगी. जनता की चुनी हुई सरकार का हाथ ऊपर रहेगा या जनरल राहील शरीफ की अगुआई वाली सेना ही सुप्रीम रहेगी.

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