
पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हाहाकार मचा हुआ है. आरक्षण के विरोध में छात्रों के प्रदर्शन से शुरू हुई इस चिंगारी में शेख हसीना की सत्ता जलकर खाक हो गई. हालात ऐसे बने कि शेख हसीना को इस्तीफा देकर मुल्क छोड़ना पड़ा. लेकिन उसके बाद से वहां हो रही हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही. आरोप है कि हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है, मंदिरों पर हमले हो रहे हैं. खुलेआम कत्लेआम हो रहा है. हालात ऐसे हो गए हैं कि जलपाईगुड़ी में भारत-बांग्लादेश सीमा पर 1000 से ज्यादा बांग्लादेशी हिंदुओं का हुजूम मौजूद है, जो भारत की सीमा में दाखिल होना चाहते हैं.
बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति की तुलना 1971 की जंग से पहले के हालातों से की जा रही है. उस समय भी दस महीने में एक करोड़ बांग्लादेशी शरणार्थी भारत-बांग्लादेश की सीमा पर इकट्ठा हो गए थे. पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना का जुर्म चरम पर पहुंच गया था. बांग्लादेश में बांग्ला भाषियों के खिलाफ बढ़ते जुर्म और कत्लेआम से बचकर बड़ी संख्या में लोग भारत की सीमा में घुस आए थे. इसी स्थिति ने भारत के सामने बड़ा शरणार्थी संकट खड़ा किया था.
लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई?
1947 में बंगाल का पूर्वी और पश्चिमी बंगाल में विभाजन हुआ था. पश्चिम बंगाल भारत के अधीन ही रहा जबकि पूर्वी बंगाल का नाम बदलकर पूर्वी पाकिस्तान हो गया, जो पश्चिमी पाकिस्तान (पाकिस्तान) के अधीन था. यहां एक बड़ी संख्या बांग्ला बोलने वाले बंगालियों की रही और यही कारण था कि भाषाई आधार पर पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) ने पाकिस्तान के प्रभुत्व से बाहर निकलने की कोशिश की और आजादी का बिगुल बजाया.
1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान एक अनुमान के अनुरूप लगभग एक करोड़ लोग बांग्लादेश से भागकर भारत आ गए थे. इन लोगों ने उस समय पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम जैसे इलाकों में शरण ली थी.
यह कोई पहला मौका नहीं था, जब इतनी बड़ी संख्या में बांग्लादेश के लोगों ने भारत में शरण ली थी. इससे पहले 1960 के दशक में भी ऐसा देखने को मिला था. 1964 में पूर्वी पाकिस्तान के दंगों और 1965 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी कहा जाता है कि लगभग छह लाख लोग भारत की सीमा में दाखिल हुए थे. वहीं, 1946 और 1958 के बीच लगभग 41 लाख और 1959 से 1971 के बीच 12 लाख बांग्लादेशी भारत आए थे.
कल भारत-बांग्लादेश सीमा पर क्या हुआ?
भारत और बांग्लादेश सीमा पर बुधवार को 1000 से अधिक बांग्लादेशी नागरिक इकट्ठा हुए. इनमें अधिकतर हिंदू थे. इन सभी लोगों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की थी. लेकिन सूचना मिलने पर बीएसएफ के जवान वहां पहुंचे और इस घुसपैठ को रोक दिया.
इन हिंदू बांग्लादेशियों का आरोप है कि बांग्लादेश में उनके घर और मंदिर जलाये जा रहे हैं. वो भारत में शरण लेना चाहते हैं. वहीं शरणार्थियों की इस भीड़ को लेकर शंका बनी हुई है कि अगर बांग्लादेशी शरणार्थी भारत में दाखिल हुए तो इससे संसाधनों पर असर पड़ेगा.
बीएसएफ का हाई अलर्ट मोड
बांग्लादेश में चल रहे संकट और अल्पसंख्यकों पर कथित हमलों के बीच यह आशंका बनी हुई है कि ये अल्पसंख्यक भारत की सीमा में दाखिल होने की कोशिश करेंगे. ऐसा ही एक प्रयास सात अगस्त को किया गया, हालांकि बीएसएफ ने उत्तर बंगाल के कुछ हिस्सों में इसे विफल कर दिया.
7 अगस्त 2024 की दोपहर बांग्लादेशी नागरिकों को दो सेक्टरों में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास इकट्ठा होते देखा गया. एक सेक्टर में बीएसएफ, बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) ने लोगों को समझा-बुझाकर लौटा दिया. सभी बॉर्डर पर इकट्ठा हो गए थे. बीएसएफ ने बॉर्डर पर अतिरिक्त बलों को तैनात किया है.
वहीं, दूसरे सेक्टर में बांग्लादेश के ग्रामीणों का एक समूह अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास पहुंचा, जिसके बाद कुछ देर के लिए हंगामा हो गया. लेकिन बीएसएफ कर्मियों ने तुरंत स्थिति को संभाल लिया. बीएसएफ फिलहाल हाई अलर्ट पर है.