Advertisement

मोहम्मद यूनुस चीन से पहले आना चाहते थे दिल्ली, लेकिन भारत ने दौरे के प्रपोजल पर भाव ही नहीं दिया

मोहम्मद यूनुस, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वाले हैं और अपने साथ पूरा दल लेकर रवाना हुए हैं, जिसमें उनके नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के विदेशी मामलों, बिजली, ऊर्जा, खनिज, सड़क परिवहन और पुल तथा रेलवे के सलाहकार और उनके प्रेस सचिव शामिल हैं.

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस. (Reuters Photo) बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस. (Reuters Photo)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 8:23 AM IST

ढाका में राष्ट्रीय दिवस पर बांग्लादेश के शहीद सैनिकों (1971 के युद्ध में) को श्रद्धांजलि देने के कुछ ही घंटों बाद, अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस चाइना साउथर्न एयरलाइंस के एक विशेष विमान पर सवार होकर चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर चीन के लिए रवाना हो गए. भारत के साथ बांग्लादेश के तनावपूर्ण संबंधों बीच यूनुस की चीन यात्रा कोई संयोग नहीं है. यह एक संदेश है और इसका संकेत ढाका ने दिया है. एक दिन पहले ही भारत ने बांग्लादेश को 'एक दूसरे के हितों और चिंताओं के प्रति पारस्परिक संवेदनशीलता' की आवश्यकता पर एक संदेश भेजा था.

Advertisement

दावोस, वाशिंगटन डीसी और काहिरा में रुकने के बाद अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा पर यूनुस अकेले चीन नहीं गए. यूनुस, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने वाले हैं और अपने साथ पूरा दल लेकर रवाना हुए हैं, जिसमें उनके नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के विदेशी मामलों, बिजली, ऊर्जा, खनिज, सड़क परिवहन और पुल तथा रेलवे के सलाहकार और उनके प्रेस सचिव शामिल हैं. 'द हिन्दू' की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव ने बताया कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया चीन से पहले भारत का दौरा करना चाहते थे, लेकिन उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली. 

लेकिन ढाका भारत को क्या संदेश देना चाह रहा है? और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के 'नेशनल डे' पर मोहम्मद यूनुस को भेजे अपने संदेशों के जरिए यह संकेत कैसे दिया है कि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के लिए ढाका को क्या करने की आवश्यकता है? बांग्लादेशों के साथ संबंधों में कौन से तनाव हैं जिन्हें नई दिल्ली का शीर्ष नेतृत्व दूर करना चाहता है?

Advertisement

यह भी पढ़ें: मुलाकात की राह देख रहे मोहम्मद यूनुस को मिली PM मोदी की चिट्ठी, भारत ने बांग्लादेश को याद दिलाया मुक्ति संग्राम और साझा इतिहास

यूनुस के चीन दौरे से क्या संदेश देना चाहता है ढाका?

चीन द्वारा भेजे गए चार्टर्ड विमान से मोहम्मद यूनुस का बीजिंग प्रस्थान अपने आप में एक महत्वपूर्ण संदेश है. चीनी राजदूत याओ वेन ने इसे पिछले 50 वर्षों में किसी बांग्लादेशी नेता की सबसे महत्वपूर्ण यात्रा बताया है. उन्होंने कहा कि मोहम्मद यूनुस की इस यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम निर्धारित हैं. इसके अलावा, ढाका के विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी मोहम्मद जशीम उद्दीन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, 'मोहम्मद यूनुस ने अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए चीन को चुना है और इसके साथ ही बांग्लादेश एक संदेश भेज रहा है.'

शी जिनपिंग के साथ बैठक के अलावा, यूनुस 'बोआओ फोरम फॉर एशिया' को संबोधित करेंगे, ग्लोबल और चीनी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से मिलेंगे, पेकिंग यूनिवर्सिटी में लेक्चर देंगे, जहां उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिलेगी, और निवेश आकर्षित करने के लिए हाई-टेक पार्कों और अस्पतालों का दौरा करेंगे. इसके अलावा बांग्लादेश की गिरती अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए बांग्लादेश-चीन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के लिए बातचीत और बाइलेटरल इन्वेस्टमेंट ट्रीटी भी यूनुस के दौरे के मुख्य ऐजेंडे में शामिल हैं. वहीं बांग्लादेश को चीन से 138 मिलियन अमेरिकी डॉलर का हेल्थकेयर ग्रांट मिलने की उम्मीद है.

Advertisement

चीन पहले से ही बांग्लादेश का एक प्रमुख निवेशक और सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और अब वह इस क्षेत्र में अपनी आर्थिक और सामरिक उपस्थिति को और मजबूत करने की कोशिश कर रहा होगा. मोहम्मद यूनुस के कार्यभार संभालने के बाद से कम से कम 14 चीनी कंपनियों ने 230 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जिससे बांग्लादेश में बीजिंग का प्रभाव बढ़ रहा है. यूनुस वित्तीय सहायता और चटगांव में चाइनीज इकोनॉमिक जोन जैसे बुनियादी ढांचे के सौदे हासिल करने की कोशिश करेंगे, क्योंकि ढाका को पश्चिमी देशों से मिलने वाली सहायता कम हो रही है और भारत के साथ उसके रिश्ते खराब हो रहे हैं.

यह भी पढ़ें: 'देश को अस्थिर करने की कोशिश...', बांग्लादेश में तख्तापलट की अटकलों पर बोले मोहम्मद यूनुस, UN से मांगी मदद

बांग्लादेश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और रणनीतिक परियोजनाओं में चीन की भागीदारी में कोई भी वृद्धि भारत के लिए चिंता का विषय होगी, क्योंकि उसके निकट पड़ोस में बीजिंग का प्रभाव बढ़ रहा है. बीजिंग यह भी चाहता है कि बांग्लादेश वन-चइना पॉलिसी का समर्थन करे. ढाका ने 2005 में बीएनपी की खालिदा जिया के नेतृत्व में ऐसा किया था, लेकिन शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान बीजिंग को वन-चइना पॉलिसी पर बांग्लादेश का समर्थन नहीं मिला. इसलिए, यूनुस की चीन यात्रा से जियो-पॉलिटिक्स में व्यापक उथल-पुथल का संकेत मिलता है, जिस पर भारत करीबी नजर रख रहा है. हालांकि, भारत सिर्फ बांग्लादेश की अपनी सीमाओं से परे की गतिविधियों पर ही ध्यान केंद्रित नहीं कर रहा है, बल्कि देश के भीतर के घटनाक्रमों पर भी बारीकी से नजर रख रहा है. साथ ही, ढाका के द्विपक्षीय संबंध, जिनका भारत की पूर्वी सीमाओं पर प्रभाव पड़ेगा, निश्चित रूप से नई दिल्ली की प्राथमिकताओं की सूची में हैं. 

Advertisement

भारत ने आपसी संवेदनशीलता की जरूरत पर दिया जोर

नेशनल डे पर बांग्लादेशियों और मोहम्मद यूनुस को भारत की शुभकामनाएं संतुलित लेकिन स्पष्ट थीं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी और 1971 के मुक्ति संग्राम के 'साझा इतिहास' को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का आधार बताया. मोहम्मद यूनुस को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, 'यह दिन हमारे साझा इतिहास और बलिदान का प्रमाण है. हम शांति, स्थिरता और समृद्धि से प्रेरित तथा एक-दूसरे के हितों और चिंताओं के प्रति पारस्परिक संवेदनशीलता के आधार पर इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'  पीएम मोदी का अपने संदेश में 'पारस्परिक संवेदनशीलता' पर जोर देना कोई मामूली बात नहीं थी बल्कि यह ढाका के लिए एक सूक्ष्म संकेत था. राष्ट्रपति मुर्मू ने 'लोकतांत्रिक, स्थिर, समावेशी, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बांग्लादेश' का समर्थन करने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया है. अस्थिर बांग्लादेश भारत की पूर्वी सीमा को भी, जो कि काफी हद तक बिना बाड़ के है, अवैध घुसपैठ, अपराध और तस्करी नेटवर्क के लिए असुरक्षित बनाता है.

यह भी पढ़ें: क्या बैंकॉक में मोहम्मद यूनुस से मिलेंगे PM मोदी? बांग्लादेश के अनुरोध पर ये बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों से तनाव बढ़ा 

Advertisement

भारत-बांग्लादेश संबंधों में हालिया तनाव अगस्त 2024 में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ किए जाने के बाद उपजा. इसके बाद बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरें आईं, जिनकी भारतीय प्रधानमंत्री मोदी निंदा की. 26 नवंबर 2024 से 25 जनवरी 2025 के बीच बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाकर 76 हमले किए गए. हसीना के 5 अगस्त, 2025 को बांग्लादेश छोड़ने के बाद से, वहां 23 हिंदुओं की हत्या की गई है, और 152 हिंदू मंदिरों को कट्टरवादियों द्वारा अपवित्र किया गया है, जो मोहम्मद यूनुस के सेना समर्थित शासन में अपनी ताकत दिखा रहे हैं. इन घटनाओं पर ढाका की निष्क्रियता ने भारत के साथ उसके संबंधों को खराब कर दिया है.

नई दिल्ली ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सीमा स्थिरता पर आश्वासन मांगा है, और ये मुद्दे उसने विभिन्न स्तरों पर ढाका के साथ उठाए हैं. मोहम्मद यूनुस, जिन्होंने पहले बांग्लादेशी हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों पर कट्टरवादी तत्वों द्वारा किए गए हमलों को राष्ट्र को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित प्रोपेगेंडा बताकर खारिज कर दिया था, अभी तक भारत नहीं आए हैं. द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली ने मोहम्मद यूनुस के चीन से पहले भारत दौरे के अनुरोध पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी. यूनुस के बीजिंग दौरे के बीच, भारत का नेतृत्व यह संकेत दे रहा है कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए बांग्लादेश को पहले नई दिल्ली की इन चिंताओं का सीधे तौर पर समाधान करना होगा. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement